Sunday, 10 April 2022

शंभुनाथ शुक्ल / कोस कोस का पानी (39) जिम कार्बेट के राजा


धुंधलका होने लगा था और हम पिछले दो घंटे से जंगल के अंदर धूल फाँक रहे थे पर बाघ तो दूर हमें अभी तक किसी टस्कर के भी दर्शन नहीं हुए थे। बेचैनी के उसी क्षण में मैने एक नदी के पाट पर गाड़ी रुकवाई और लघुशंका के उददेश्य से एक झाड़ी की तरफ बढ़ लिया। अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि अब मैं जंगल में अकेला हूं। साथी और गाड़ी दूर छूट चुके हैं। अगर ऐसे में कोई जानवर मिल जाए तो भागना भी मुश्किल होगा। यह सोचते हुए बदन सिहर गया। तभी अचानक गाड़ी में बैठी मेरी बेटी चिल्लाई- हाथी!  जल्दी से निपटकर मैने झाड़ी के बाहर आकर देखा तो पाया करीब आधा किमी की दूरी पर कुछ हाथी किल्लोल कर रहे हैं। चूंकि उस बरसाती नदी में कहीं-कहीं पानी भरा था इसलिए उन्हें शायद कहीं पानी मिल गया था। हाथियों की संख्या बढ़ती जा रही थी और यकायक एक टस्कर हमारी ओर  बढ़ता दिखा। हम घबरा कर अपनी-अपनी गाडिय़ों में बैठ गए। और वहां से खिसकने में ही भलाई समझी। हमारी दोनों गाडिय़ां अभी एक फर्लांग ही आगे बढ़ी थी कि हमारे साथ बैठे हमारे कालागढ़ के संवाददाता अतहर सिद्दीकी ने कहा- सर जो मांगना हो मांग लीजिए, दुर्गा माँ की सवारी जा रही है। गाडिय़ों की हेडलाइट में देखा कि दो बाघ आगे पीछे चले जा रहे हैं। हम चुपचाप उनके पीछे-पीछे अपनी गाडिय़ां रेंगती हुई-सी चलाते रहे। बाघ की कमर पतली होती है और आगे का हिस्सा भारी। उसकी चाल में न तो हड़बड़ाहट होती है न किसी तरह की कोताही। वे एकदम मस्त और बिंदास अंदाज में चलते हैं। उन्हें अच्छी तरह पता होता है कि सृष्टि में उनको पराजित करना आसान नहीं है। यह इतना सुंदर और मनभावन दृश्य था कि कई बार मेरा मन किया कि मैं गाड़ी से उतर जाऊँ पर मेरी पत्नी व बेटियां तथा बेटियों के बच्चे मुझसे चिपटे हुए थे। मानों मैं ही उनको बचा रहा हूं। आगे चल रही गाड़ी में हमारे मित्र तथा बिजनौर में अमर उजाला के ब्यूरो चीफ अशोक मधुप व मेरे दामाद जी थे।

करीब आधा किमी चलने के बाद अचानक वे दोनों बाघ अमानगढ़ की सीमा पर स्थित नाले पर उतर गए और कहां चले गए पता नहीं चला। मैने तत्काल उत्तराखंड में वन व पर्यावरण सलाहकार अनिल बलूनी को फोन किया और कहा कि भाई मेरी तो जिम कार्बेट यात्रा समाप्त अब आगे की योजना रद्द जिस मकसद से आया था वह पूरी हो गई। लेकिन आप के सूबे में नहीं अपने यूपी में ही मैने बाघ देख लिया है। पहले तो बलूनी जी कुछ समझे नहीं और जब समझ में आया तो मानने को राजी नहीं हुए, कि मैने बाघ यूपी के रिजर्ब फारेस्ट अमानगढ़ में देखा है। उन्होंने सफाई दी कि बाघ हैं तो जिम कार्बेट के ही पर यूपी की तरफ कूद गए होंगे। दरअसल जिम कार्बेट की दक्षिणी सीमा यूपी के अमानगढ़ से सटी हुई है और अक्सर बाघ या हाथी इधर भी घुस आते हैं। कुछ भी हो बाघ अगर देखने हों तो जिम कार्बेट और अमानगढ़ सबसे उम्दा अभयारण्य हैं। अब हमने स्पीड बढ़ाई और बजाय अमानगढ़ जाने के काला गढ़ आ गए और वहीं पर वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान के गेस्ट हाउस में रात गुज़ारी। जब शेर दिख ही गए तब अमानगढ़ जाना फ़िज़ूल लगा और हमने  अगले दिन कालागढ़ पावर हाउस डैम देखा तथा उसके सात किमी और ऊपर स्थित मिट्टी का डैम भी। तीसरी सुबह हम दिल्ली के लिए वापस चल दिए।
(जारी)

© शंभुनाथ शुक्ल

कोस कोस का पानी (38)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/04/38.html
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