Tuesday 27 September 2022

सच्चिदानंद सिंह / आइंस्टीन के शब्दों में सापेक्षता - रिलेटिविटी (8)



17. मिंकोव्स्की का चार-आयामी विश्व ~
(हर्मन मिंकोव्स्की एक गणितज्ञ थे जो कभी आइंस्टीन के शिक्षक भी रहे थे. आइंस्टीन के स्पेशल थ्योरी के प्रकाशन के शीघ्र बाद मिंकोव्स्की ने चार आयाम की दुनिया की बात रखी थी.) 

गणित से कम सरोकार रखने वाले लोग चार आयाम की दुनिया की बात सुनकर थोड़े असहज हो सकते हैं. लेकिन जैसे दिशा (स्पेस) का सातत्व (कॉन्टीनुअम) है, (हम दिशा में स्थित किसी बिंदु के निकट और बिंदुओं को पाने की सतत आशा रखते हैं, यदि किसी बिंदु के तीन कोआर्डिनेट x,y,z हों तो दूसरे किसी बिंदु के कोआर्डिनेट  x’,y’,z’   ऐसे हो सकते हैं कि x’ x के,  y’ y के, और z’ z के बिलकुल निकट हों,) इसी तरह हम काल के सातत्व को भी समझ सकते हैं. 

सच तो यह है कि हमारा विश्व, जिसमे ये सारी घटनाएं घट रहीं हैं स्वभावतः चार आयामों का है - चौथा आयाम है काल. तब हमें दिशा के सातत्व की जगह दिक्काल के सातत्व की बात समझनी चाहिए. आइंस्टीन के अनुसार यदि मिन्कोवस्की ने चार आयामों के विश्व को स्पष्ट नहीं किया रहता तो रिलेटिविटी का जेनेरल थ्योरी बस गुड्डों के कपडे भर रह जाता - यानी तब उसका पूरा विकास नहीं हो पाता.

स्पेशल थ्योरी के पहले भौतिकीविद काल के प्रवाह को स्वतंत्र मानते आये थे. यह मान्यता हमने देखा, तब बिलकुल टूट गयी जब समान गति v से चलते कोआर्डिनेट सिस्टम में समय t' का स्थिर कोआर्डिनेट सिस्टम के समय t से समबन्ध लॉरेंज के समीकरण से मिलता है: t’ = (t – v/c^2).x / sqrt(1 – v^2/c^2). यह संबंध दिखा रहा है कि गतिमान सिस्टम में समय प्रकाश की गति के साथ साथ उस सिस्टम की गति पर भी निर्भर करता है. यानी समय 'स्वतंत्र' नहीं है. यह रेफेरेंस सिस्टम की गति पर निर्भर करता है!    

कल्पना करिये कि कोआर्डिनेट सिस्टम K में दो घटनाएं घट रहीं हैं और उनके बीच का समय डेल्टा t  है. वही दोनों घटनाएं सिस्टम K' के अपेक्षा देखने से उनके काल का अंतर्, मानिये, डेल्टा t' है. t' के मान हमें  समीकरण से मिलेंगे. यह सर्वथा संभव है कि K सिस्टम में यदि वे घटनाएं समक्षणीय हो जाएं यानी डेल्टा t शून्य हो जाए तब भी K' सिस्टम के अपेक्षा वे समक्षणीय नहीं रह सकतीं हैं और डेल्टा t' शून्य नहीं रह सकता है. इसका अर्थ है कि एक सिस्टम में  'दिशा की दूरी' दूसरे सिस्टम में 'काल की दूरी' के रूप में दीख सकती है; अर्थात काल स्वतंत्र आयाम नहीं है.
(क्रमशः) 

सच्चिदानंद सिंह
Sachidanand Singh

आइंस्टीन के शब्दों में सापेक्षता - रिलेटिविटी (7) 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/09/7.html 

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