एक भारतीय विद्यार्थी जिसने फ्रांस में नाज़ियों की खिलाफत की थी,जिसे गेस्टापो द्वारा गोली से उड़ा दिया गया था । एक भूला बिसरा शहीद.... माहे, पोंडिचरी के फ्रेंच स्कूल से दसवीं पास की, फिर पोंडिचरी यूनिवर्सिटी से ग्रेड्यूट हुआ, फिर इंजीनियरिंग पढ़ने पैरिस यूनिवर्सिटी गया ।
माधवन फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी का अगुआ सदस्य था जो नाज़ियों का विरोध करता था । मार्च 1942 में उसे नाज़ी ब्रिगेड ने उसे गिरफ्तार कर लिया । बाद में उसे
गेस्टापो के हवाले कर दिया गया । उस पर एक थियटर में बम फेंकने का आरोप लगाया गया जिसमें 2 नाज़ी अफसर मारे गए थे ।
उसे फोर्ट देरोमांविल्ले में बुरी तरह से टार्चर किया गया फिर गेस्टापो के कंसंट्रेशन कैम्प में 115 अन्य कैदियों
के साथ उसे हथकडी बेड़ी लगा कर मोंट वलेरिया ले गए जहां पर फायरिंग स्क्वाड द्वारा सभी को गोलियों से मार दिया गया। और वहीं दफन कर दिया गया ।
1933 से 1945 तक नाज़ियों ने लाखों लोग कंसन्ट्रेशन कैम्प में मारे जिनमे एक 28 साल का मलियाली युवक मिचलोटटी माधवन भी था, जो उच्य शिक्षा के लिए पेरिस, फ्रांस गया था । माधवन एकलौता भारतीय था जिसे नाज़ियों ने द्वतीय विश्व युध्द के दौरान 21 सितंबर 1942 को फायरिंग स्क्वाड द्वारा गोली से उड़ा दिया गया था । हिटलर शाही के खिलाफ लड़ने वाले छात्र माधवन को कोई नही जानता । ऐसे तमाम लोग हैं जो आज़ादी के लिए लड़े और शहीद हुए....
आज तक न ही कोई मेमोरियल हुआ और न ही कोई शोकसभा ।
रामशंकर बाजपेयी
(Ramashanker bajpayi)
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