Friday, 22 February 2019

फेसबुक पर एक इनबॉक्स वार्तालाप / विजय शंकर सिंह

पांच साल, इस बार के और छह साल अटल जी के, कुल ग्यारह सालों में कम से कम वामपंथी इतिहासकारों के जवाब में इतिहास की ही नयी किताब निकाल दिये होते ।

मैं जब भी इतिहास का कोई उल्लेख करता हूँ तो मेरे इनबॉक्स में कुछ मित्र आकर यह झगड़ा करते हैं आप का इतिहास अध्ययन जेएनयू और एएमयू के ऐतिहासिक सोच से ' ग्रसित ' है। ग्रसित शब्द भी मेरे मित्र का ही है। उनका कहना है कि आप के अनुसार, आप तो डॉ रोमिला थापर, डॉ बिपन चन्द्र, डॉ हबीब सीनियर, डॉ खलीक अहमद निजामी, डॉ इरफान हबीब आदि जो वामपंथी विचारधारा के इतिहासकार हैं का लिखा इतिहास पढ़ते है। इन वामपंथी इतिहासकारों ने तो देश का इतिहास ही विकृत कर दिया है।

फिर जब मैं इतिहास लेखन की राष्ट्रवादी विचारधारा के डॉ आरसी मजूमदार, डॉ केआर कानूनगो, डॉ जदुनाथ सरकार जैसे दिग्गज इतिहासकारों का उल्लेख करता हूँ तो वे कुछ नहीं कहते हैं और वे इन महान इतिहासकारों के द्वारा लिखे गए इतिहास पर भी चुप्पी साध लेते हैं। फिर थोड़ा रुक कर कहते हैं, आपने दीनानाथ बत्रा जी को पढ़ा है ? आप ने पीएन ओक को पढा है ?.

जब मैं कहता हूं कि मैंने पीएन ओक को भी पढ़ा है पर दीनानाथ बत्रा जी का लिखा कुछ  नहीं पढा है तो वे तुरन्त पहले बत्रा जी को पढ़ने और तब फिर इतिहास पर बहस करने और कुछ लिखने का परामर्श दे डालते हैं।

पर जब मैं कहता हूं कि आप ही इतिहास की कोई पुस्तक सुझाये जो आप के अनुसार देश का सच्चा इतिहास लेखन हो, तो कह बैठते हैं, सत्तर सालों में कांग्रेस ने देश की संस्कृति और इतिहास को बिगाड़ कर रख दिया है। जानबूझकर कर गलत इतिहास लिखवाया।  अब इस बार जब सरकार दुबारा आएगी तो नया इतिहास लेखन होगा।

मैं उनको शुभकामनाएं देता हूँ और इनबॉक्स से बाहर आ जाता हूँ।

© विजय शंकर सिंह

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