Saturday, 16 February 2019

कूटनीति - क्या पाकिस्तान अलग थलग है ? / विजय शंकर सिंह

हमने पाकिस्तान को अलग थलग कर दिया है । यह भी एक जुमला है क्या ? दुनियाभर के मुल्क पाकिस्तान से क्यों संबंध तोड़ कर अलग थलग करेंगे ? हम अमेरिका नहीं है कि हमारी हुक़ूमत दुनियाभर में चलेगी। चीन के अपने हित हैं पाकिस्तान में। उसका काफी निवेश है वहां। पाकिस्तान की जनता के एक हिस्से के विरोध के बावजूद भी वह वहां बड़ी बड़ी परियोजनाएं चला रहा है।

अमेरिका के लिये वह अफ़ग़ानिस्तान नीति का वह लांचिंग पैड है। अमेरिका उसे फाइनेंस ही इसलिये करता था ताकि अफ़ग़ानिस्तान में  सोवियत प्रभाव वह खत्म कर सके। तालिबान, मुजाहिदीन आदि उसी लिये अमेरिका ने फंडिंग किये और अब जब सोवियत प्रभाव खत्म हो गया और सोवियत रूस खुद ही टूट गया तो भी ये आतंकी खत्म नहीं हुए और अब भी उस क्षेत्र में एक नए खतरे के रूप में मौजूद हैं। अमेरिका हमारी बात भी करेगा। पर वह पाकिस्तान को गोद से नहीं उतारेगा। वह उसे डाँटेगा फटकरेगा पर उसे अलग थलग नहीं होने देगा क्योंकि चीन को वह पाकिस्तान से ही चेक कर सकता है।

रूस अफगानिस्तान को अभी नहीं छोड़ना चाहेगा। रूस को तो हमने ही अमेरिका मोह के कारण छोड़ दिया है। रूस ने बेहद कठिन समय मे हमारा साथ दिया है और 1971 में यह रूस ही था जिसके कारण इंदिरा गांधी ने निक्सन को नजरअंदाज कर दिया था। उसके सम्बंध अब पाकिस्तान से हो चले हैं। वह अब हमारे उतना निकट और प्रतिबद्ध मित्र भी नहीं रहा कि हमारे लिये पाकिस्तान के खिलाफ तीन तीन बार वीटो कर दे। पर वह हमारा शत्रु भी नहीं है। वह क्योँ पाकिस्तान को अलग थलग करेगा।

ब्रिटेन और फ्रांस सहित यूरोपीय देश आतंकवाद की निंदा करेंगे और हमारी पीठ सहला कर चल देंगे पर उनकी वही लाइन होगी जो अमेरिका की रहेगी।

जब हम पाकिस्तान को अलग थलग करने की बात करते हैं तो यह नेक शुरुआत हम खुद ही क्यों नहीं करते हैं ? जैसे हमने एमएफएन सबसे तरजीही देश का दर्जा खत्म करने जा रहे हैं। तो इसी क्रम में हम अपने देश के व्यापारिक घरानों को क्यों नहीं कहते हैं कि वे भी अपना कारोबार समेटें और अपने पाकिस्तान के पूंजीपति पार्टनरों को कहें कि अगर उनका मुल्क हमारे देश मे आतंकी गतिविधियों को जारी रखेगा तो व्यापार संभव नहीं है।

यह कैसे संभव हो सकता है कि हम दुनियाभर से यह अपेक्षा करें कि वे पाकिस्तान को अलग थलग करने में रुचि लें और हम तथा हमारे उद्योगपति घराने पाकिस्तान की आर्थिक प्रगति में अपना योगदान दें।

© विजय शंकर सिंह

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