दो दिन पहले मैंने पुलवामा हमले के संदर्भ में सरकार द्वारा राजनीतिक कार्यवाही करने की बात कही थी। बदला लेने को इच्छुक मित्र इस पर नाराज़ हो गए और यह कहने लगे कि यह कैसी कार्यवाही होगी।
दूसरे दिन मैंने सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात कही। आज वह बैठक बुलाई गई। हालांकि प्रधानमंत्री उस बैठक में नहीं शामिल हुए, वे महाराष्ट्र की रैलियों में थे, लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने उस बैठक की अध्यक्षता की और आतंकवाद के विरुद्ध कार्यवाही करने का एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित हुआ।
मैंने साम्प्रदायिक सौहार्द की भी बात लिखी थी । सरकार ने इस हेतु सभी राज्यो को साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के ज़रूरी प्रबंध करने को कहा। सरकार को पता है कि दंगो के कारण क्या नुकसान होता है। यह बात अलग है कि सरकार के अधिकांश सनर्थक पूरी तरह इस कोशिश में हैं कि साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ जाय।
जब सरकार ने पाकिस्तान के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा खत्म किया तो मैंने फिर लिखा कि और आर्थिक बंदिशें लगाई जांय। आज अभी सरकार ने पाकिस्तान से आने वाले सामान पर 200 प्रतिशत कस्टम्स ड्यूटी बढ़ा दी है। अब इसका कितना असर पड़ेगा यह देखना हीगा।
जब तक हम अपनी तरफ से पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमज़ोर करने के कदम नहीं उठाते तब तक पाकिस्तान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जब वहां के उद्योग धंधे, और व्यापार प्रभावित होंगे तो उसका सीधा असर पड़ेगा। और आर्थिक रूप से कमज़ोर देश युद्ध का खतरा नहीं उठा सकता है। जब तक व्यापार पर बंदिश नहीं होगी पाकिस्तान पर 200 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी और एमएफएन खत्म करने का बहुत असर नहीं पड़ेगा ।
अब उन बड़े उद्योगपतियों को सोचना है कि वे अपने उद्योग धंधे देशहित में थोड़ा कम करें ताकि पाकिस्तान सरकार को लगे कि उसे आर्थिक चोट भी पहुंचायी जा सकती है। हो सकता है उसकी जनता का दबाव भी पाकिस्तान सरकार पर पड़े।
कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान को अलग थलग करना फिलहाल मुश्किल है। जब तक अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका, तालिबान और पाकिस्तान की बातचीत नहीं खत्म हो जाती है। अमेरिका अभी ऐसा नहीं होने देगा। चीन तो पाकिस्तान के साथ आज उसी प्रकार से खड़ा है जैसे कभी रूस हमारे साथ था।
© विजय शंकर सिंह
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