Thursday, 21 February 2019

पुलवामा हमला और उसके बाद बढ़ते  साम्प्रदायिक उन्माद और सीआरपीएफ की ऐडवायज़री / विजय शंकर सिंह

सीआरपीएफ के 40 जवान 14 फरवरी को हुये कश्मीर में पुलवामा के पास एक आतंकी हमले में शहीद हो गए। दुःख और आक्रोश का वातावरण पूरे देश मे फैल गया और इसकी अलग अलग प्रतिक्रिया भी हुयी। बड़े पूंजीपति घरानों से लेकर जन प्रतिनिधियों तक ने अपनी अपनी हैसियत से शहीद जवानों के आश्रितों और परिवार जनों की मदद की। यह सिलसिला अभी भी जारी है।

इस आतंकी घटना की एक और प्रतिक्रिया हुई। कुछ लोगों ने इस आक्रोश को राजनीतिक और साम्प्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया। दुःख और आक्रोश के इस भाव से उन्माद बढ़ा और इस पागलपन में कुछ लोग कश्मीरी युवकों जो भारत के अलग अलग स्थानों पर रह रहे थे को तंग करने लगे। इन कश्मीरी युवाओं, शाल स्वेटर बेचने वालों के साथ,  कुछ हिंसक घटनाएं भी हुयीं, और कश्मीरी वापस जाओ के नारे भी लगाए गए। उन मूर्ख, उन्मादी और दंगाइयों को यह भी एहसास नहीं रहा कि कश्मीर और कश्मीरी देश के अभिन्न अंग है। कुछ कश्मीरी युवक और नेता भले ही इन आतंकी गतिविधियों का समर्थन करते हों और आतंकवाद के साथ हो अलगाववाद का स्वर साधते हो, पर वे कश्मीर की जनभावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वे यह समझ भी नहीं रहे हैं कि ऐसी हरकतें कश्मीर समस्या को और भी अधिक जटिल बनाएंगी। ऐसे तत्व पाकिस्तान का ही पोशीदा एजेंडा कि कश्मीर को शेष भारत से मानसिक रूप से अलग करो को ही धार दे रहे है।

सरकार को ऐसे उन्माद का आभास है और सरकार ने उसी दिन ऐसी हरकतों को रोकने के लिये आदेश निर्देश जारी किया। सीआरपीएफ ने भी ऐसी घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है और सीआरपीएफ मुख्यालय ने सीआरपीएफ मददगार के नाम से एक हेल्पलाइन भी शुरू की और इस हेल्पलाइन का हिंसा और उन्माद से पीड़ित कुछ कश्मीरी भुक्तभोगियों ने उपयोग भी किया और सीआरपीएफ ने 70 परिवारों की मदद भी की।

सीआरपीएफ के प्रवक्ता और डीआईजी एम दिनकरन ने एक वक्तव्य में ऐसे उन्मादित और पागलपन भरे कृत्य की निंदा की है। मैं उनका वक्तव्य साझा कर रहा हूँ।

" सीआरपीएफ पर आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया में इस घटना से जुड़ी पोस्ट्स और फ़ोटो की बाढ़ आ गयी है। इनमे से कुछ तो साम्प्रदायिक घृणा से भरी हुई हैं। यह बहुत ही विचलित करने वाली बात है। कुछ पोस्ट तो हमारे जवानों की बेइज्जती करती हुयी पोस्ट की गयी हैं। उन्होंने अपनी शहादत इस लिये नहीं दी है कि उनकी मृत्यु के बाद देश मे साम्प्रदायिक दंगे फैलें। हम यह जानते हैं कि हमे कुछ न कुछ करना है। जब हम अपने सहकर्मियों और साथियों के अंतिम संस्कार में व्यस्त थे और इस घटना में घायलों की चिकित्सा और सुश्रुषा की व्यवस्था कर रहे थे तब हमने गौर किया कि व्हाट्सएप पर बहुत सी झूठी पोस्ट्स फैलायी जा रही हैं। इनमे से कुछ पोस्ट उन असामाजिक तत्वों द्वारा फैलायी जा रहीं थीं जो यह चाहते थे कि साम्प्रदायिक उन्माद और दंगे फैले। हमने उन पर कार्यवाही करने के लिये ऐसे ट्वीटों को एकत्र किया। हमने अपने निजी और नागरिक सम्पर्को को सक्रिय किया और उनसे यह कहा कि वे ऐसी पोस्ट्स और फोटोज को हमें भेजें जो उन्हें फर्जी लगती हों। हमने अपनी इस टीम में और भी लोगों को जो भारत मे फैले हमारे क्षेत्रीय कार्यालय में नियुक्त थे को जोड़ा और उनसे सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही, ऐसी सामग्री की मॉनीटरिंग करने को कहा। कुछ पोस्ट्स के लिये हमारे जवान खुद ही सोशल मीडिया पर गये और सही समय पर सूचनाएं एकत्र कीं। हमने महसूस किया कि हमारे पास तो सबसे बड़ी टीम है जो हमारे सैनिकों की है। हमने अपने तीन लाख कार्मिकों को इस काम पर लगाया कि वे खुद सोशल मीडिया पर जाएं और तथ्यों से सबको अवगत कराएं। उनसे कहा गया कि वे  किसी भी ग्रुप पर चाहे वह सरकारी हो या निजी जहाँ भी उन्हें ( इस घटना के बारे में ) फर्ज़ी सन्देश मिले,  यह तथ्यात्मक सन्देश प्रसारित करें। बहुत से लोग यह दावा करते हुये कि शरीर के यह क्षत विक्षत भाग सीआरपीएफ जवानों के हैं, ऐसी फ़ोटो डाल रहे हैं, जो हमे बहुत विचलित और परेशान कर रही हैं। मैंने बुलढाणा से की गयी एक पोस्ट देखी जिसमे शरीर के कुछ अंग एक बाल्टी में रखे हुये थे। फ़ोटो में यह दावा किया गया था कि ये अंग सीआरपीएफ जवान के हैं और ऐसे ही उक्त जवान के परिवार को सौंपे गए हैं। वह फ़ोटो बहुत ही दर्दनाक और विचलित करने वाली थी। हमारी टीम ने मौके पर जाकर इसे देखा और लोगों को सच बताया। तब हमने ऐसी पोस्ट्स और फोटोज के लिये एडवाइजरी जारी की। तब जाकर सीआरपीएफ ने ऐसी दुःखद और उदास घड़ी मे इन फर्ज़ी खबरों को रोकने के लिये एक टीम का गठन किया। ऐसी फर्ज़ी खबरों को साझा करने और झूठ फैलाने वाले लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं उनका यह कृत्य हमारे जवानों की शहादत का अपमान करना है। "

That the CRPF in such a grieving and sad time has to set up a team to stop fake news shows the amount of fake posts our there. People who are sharing them don’t realise they are spreading lies and that this is an absolute disrespect to our soldiers, There was a flood of posts and photos and videos. Some outright gory and others filled with communal hatred. It was disturbing, Some of the posts were almost an insult to our jawans. They did not lay down their lives so that their death could become the cause for communal hatred. We knew we had to do something, While we were busy with the last rites of our colleagues and friends and arranging help for the injured, we noticed that many wrong and fake posts were being circulated on WhatsApp. Some of the posts were being spread by miscreants wanting to create a sense of communal unrest. Some posts were demeaning and filled with hatred. We started collecting the tweets for further actions. We reached out to all our personnel and our civilian contacts and asked them to send any images and posts they thought were false. We also deputed more people to the team who based in different regional offices across the country started monitoring content on social media platforms, For some posts we had our men go to the ground and collect real time information We realised we have one of the biggest teams with us – our own soldiers. We contacted all the three lakh of our personnel and told them that we will start sending the factual messages and they should in turn send it to any group – official and personal – where they spotted the fake news, Many people were sharing photos of body parts claiming they belonged to CRPF soldiers and that disturbed us. I saw one post from Buldhana which showed some body parts in a bucket. It claimed that they were the remains of a CRPF soldiers and that’s how it was given to the family of the jawan. The photo was horrific and disturbing. We informed the team and they found many more such photos and the issued the advisory. That the CRPF in such a grieving and sad time has to set up a team to stop fake news shows the amount of fake posts our there. People who are sharing them don’t realise they are spreading lies and that this is an absolute disrespect to our soldiers,”

- M Dinakaran, DIG and Chief Spokesperson, CRPF

( विजय शंकर सिंह )

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