Friday, 22 February 2019

मेजर मोहम्मद अली शाह का जैश ए मोहम्मद को खुला पत्र / विजय शंकर सिंह

19 फरवरी को मैंने सीआरपीएफ के एक पूर्व कमांडेंट हवा सिंह सांगवान का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया खुला पत्र  साझा किया था, आज एक और खुला पत्र साझा कर रहा हूँ, जो मेजर मोहम्मद अली शाह द्वारा लिखा गया है, और आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को सम्बोधित है।

मैं पत्र का हिंदी अनुवाद दे रहा हूँ। अंत मे पूरा पत्र जो अंग्रेजी में है उसे भी साझा कर रहा हूँ। यह पत्र साभार अंग्रेजी वेबसाइट स्क्रॉल से लिया गया है।

मेजर शाह ने जैश ए मोहम्मद को सम्बोधित करते हुए कहा है कि,
" तुम सब सच मे इस्लाम के शत्रु हो। "
तुम कायरों की इतनी हिम्मत कैसे हुयी कि, तुम खुद को इस्लाम मे यकीन करने वाला कहो ?
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मेरा नाम मेजर मोहम्मद अली शाह ( वेटरन ) है। मेरे परिवार में पिछले 200 वर्षों से सेना में सेवा करने की परंपरा रही है। मेरे पिता भारतीय सेना के उप सेनाध्यक्ष के पद से सेवा निवृत्त होकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं। उनके उत्कृष्ट प्रयासों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय लंदन के टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में विश्व स्तर पर, भारत के उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों में से एक रहा है।

फिर भी तुम्हारे गलत कार्यो के कारण ऐसा उत्कृष्ट विश्वविद्यालय भी मुस्लिम नाम होने की वजह से विवादों के घेरे में आ गया है। मेरे पिता की आत्मकथा ' द सरकारी मुसलमान ' ने भारतीय सेना के सुंदर धर्म निरपेक्ष स्वरूप की भूरि भूरि प्रशंसा की है। लेकिन आज तुम्हारी गंदी हरकतों से मुसलमान शब्द और नाम बदनाम हो गया है।

मेरे पूर्वज दोनों ही विश्व युद्धों में सेना में थे। बंटवारे के समय मेरे परिवार ने अनेक कारणों से पाकिस्तान जाने का विकल्प नहीं चुना था। हम सब इसी देश की मिट्टी में जन्मे हैं। हम सब खुद के भारतीय होने पर गर्व करते हैं और एक ( सच्चे मुस्लिम की तरह ) हज करने भी जा चुके हैं।

जब तुम इस्लाम के नाम पर मासूमों की हत्या करते हो तो, कोई भी व्यक्ति तुम्हे कायर ही कहेगा। तुम सब इस्लाम के वास्तविक दुश्मन हो, और इस मजहब को बदनाम करते हो तथा  अब यह समाज हर जगह बदनामी से ही देखा जा रहा है। आज लगभग हर हिंदी फिल्म में कोई न कोई मुस्लिम किरदार गैंगस्टर के रूप में होता है।

1990 की शुरुआत में मैंने अपने पिता को पंजाब, मणिपुर, नागालैंड और जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों से लड़ते हुये देखा है। खुद मैंने भी अपने जीवन को कई बार , जम्मू और कश्मीर तथा नॉर्थ ईस्ट में मुस्लिम और गैर मुस्लिम अलगाववादियों से लड़ते समय, खतरों से घिरा हुआ पाया है। लेकिन आज तुम्हारी बेवकूफियों से एक विशेष समाज आतंकवादी कह कर संबोधित किया जा रहा है।

मेरा धर्म ( मैं इसे तुम्हारा धर्म नहीं कह रहा हूँ, क्योंकि तुम आतंकी हो और आतंक का कोई धर्म नहीं होता है ) वास्तव में एक अमन पसंद धर्म है जो अनेकता में एकता की बात करता है। जिहाद शब्द जिसका असल अर्थ, संघर्ष है , आतंक नहीं,  तुम्हारी हरकतों से इतने  गलत अर्थ में इस्तेमाल होने लगा है कि, राष्ट्रीय मीडिया भी इन्ही गलतफहमियों से इस्लाम की गलत व्याख्या करने लगा है। आज मुस्लिम समाज के द्वारा किये जा रहे सारे अच्छे कार्यो को तुम जैसे गलत, जाहिल और गलत ईमान रखने वाले मानवता के शत्रुओं की हरकतों से, भुला दिया जा रहा है।

जिन बेरोजगार और अज्ञानी युवाओं को जिन्हें यह भी नहीं पता कि कुरआन की शिक्षाएं क्या हैं, तुम जन्नत का लोभ दिखा कर, बेदिमाग फिदायीन में तब्दील करते हो, उन्हें दोजख ही नसीब होगी। इस्लाम एक शांतिप्रिय, वैज्ञानिक और सरल धर्म है। इस पागलपन का अंत अब होना ही चाहिये। तुम लोगों ने इस सुंदर धर्म को इतना बरबाद कर दिया है कि मुझे जो सदैव अपनी मातृभूमि के प्रति सही बात सोचता है को व्यक्तिगत रूप से भी कभी कभी अपमानित होना पड़ता है। सौभाग्य से मेरे पिता ने मुझे सबसे उत्तम उपहार, जो वे मुझे दे सकते थे, सबसे अच्छी शिक्षा दिलाई । जिससे आज मैं गर्व से खड़ा हो कर तुमसे लड़ रहा हूँ, और तुम्हे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि तुम कभी उसे जीवन मे भूल भी नहीं पाओगे। हांथो में हथियार उठा लेना और लोगों की हत्या करना, किसी समस्या का समाधान नहीं है।

शिक्षा प्रगति का एक मात्र मार्ग है। मुझे मुस्लिम होने पर गर्व है और एक भारतीय होने पर तो और भी गर्व है। मैंने पर्याप्त शिक्षा ग्रहण की है, इसलिए नहीं कि मैंने सबसे अच्छे स्कूलों, सबसे अच्छे कॉलेज या इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में पढ़ाई की है, बल्कि मैं अपने धर्म को तुमसे अधिक समझता हूं। एक सच्चे मुसलमान होने के कारण मैं तुम सबसे शांति बनाये रखने की अपील करता हूँ। तुमने भी हो सकता है कुछ पढ़े लिखें जिसमे पीएचडी किये हुए भी लोग हों को अपने संगठन में भर्ती किया हो। लेकिन पढा लिखा होने और शिक्षित होने में बहुत अधिक फर्क है। तुम्हारे जैसे आतंकी संगठन जाहिल हैं और तुम्हे स्वयं ही आत्मावलोकन करना चाहिये, और इस वास्तविकता का सामना करना और समझना चाहिये कि तुम लोग न केवल इस अमन पसंद धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हो, बल्कि मानवता के दुश्मन हो। तुम सबको अपने आत्मावलोकन का एक प्रयास करना चाहिये और इस तथ्य को समझना चाहिये कि तुम न केवल इस अमनपसंद धर्म के विपरीत आचरण कर रहे हो, बल्कि मानवता के भी विरुद्ध हो। लानत है तुम पर !

मेरे द्वारा इस पत्र को लिखने का मक़सद यह है कि यह पत्र तुम तक किसी भी प्रकार से पहुंचे और इससे कहीं न कहीं कुछ बदलाव आये। मुझे यह पक्का विश्वास है कि जब तक हम खुद को नहीं बदलते हैं समाज मे भी बदलाव नहीं आ सकता है। मुझे आशा है कि यह पत्र तुम तक ज़रूर पहुंचेगा और तुम अपने बारे में गम्भीर आत्मचिंतन करोगे। किसी भी रूप में की गयी हिंसा, किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।

जैसा कि मार्टिन लूथर किंग ने एक बार ने कहा था, " अंधकार से अंधकार के विरुद्ध नहीं लड़ा जा सकता है, केवल प्रकाश से ही यह काम हो सकता है। उसी तरह घृणा से घृणा के विरुद्ध नहीं लड़ा जा सकता है, यह केवल प्रेम से ही संभव है। " मुस्लिम आतंकी संगठनों को यह बात सोचनी होगी कि वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मुसलमानों की ही हत्याएं कर रहे हैं। कोई भी विवेकवान व्यक्ति यह समझ सकता है कि तुम किसी उद्देश्य के लिये नहीं लड़  रहे हो बल्कि एक गिरोह चला रहे हो। तुम घृणा पैदा करने की मशीन हो। तुम जिन फिदायीन को बनाते हो, जिनके वीडियो मैंने देखे हैं, वह कभी भी जन्नत में जाकर उन हूरों को प्राप्त करेंगे जैसा कि तुम यह सब उन्हें सिखलाते हैं। वे फिदायीन, दोजख में सड़ेंगे। मैं एक फ़िल्म खुदा के लिये का एक संवाद जो एक महान कलाकार ने फ़िल्म में बोला है को यहां उदधृत करना चाहूंगा, " दीन में दारी है, दारी में दीन नहीं। " किसी को भी अपने धर्म और देशभक्ति का लबादा ओढ़ने की ज़रूरत नहीं है। लोग इतने समझदार हो चुके हैं कि वे यह समझ जाते हैं कि किसी के मन मे क्या है।

मूल कारण.
जम्मू कश्मीर, और नॉर्थ ईस्ट में लंबे समय तक अलगाववादियों से लड़ने और अनेक बार अपनी जान जोखिम में डालने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि उग्रवाद का कारण न तो धर्म है और न जिहाद, जैसा कि आम तौर पर यह माना जाता है। इसका मूल कारण है युवाओं में बढ़ती हुयी बेरोजगारी है जिसके कारण वे आसानी से सीमापार से होने वाली इन गतिविधियों के शिकार बन जाते हैं। उनका दिमाग आसानी से ब्रेन वाश किया जा सकता है। उनको शिक्षित और उनका सशक्तिकरण कर उन्हें आत्मनिर्भर बना कर के इस समस्या से सदैव के लिये मुक्त हुआ जा सकता है। हथियारों और बल द्वारा उनका अस्थायी समाधान तो किया जा सकता है पर अगर एक को मारा जाएगा तो दस और उतपन्न हो जायेंगे। उन पर विजय पाने की यही एक उम्मीद है।

दूसरा बड़ा सवाल मुस्लिम समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह को लेकर उठता है। हां, यह पूर्वाग्रह है, पर केवल मुस्लिम के प्रति ही नहीं अन्य उन समुदायों के प्रति भी जो अल्प शिक्षित हैं। आखिर क्यों कोई किसी को कोई नौकरी देगा जो पर्याप्त शिक्षित न हो, या उस नौकरी के लिये योग्य और उपयुक्त न हो ? हमे यह स्वीकार करना होगा कि भारत मे मुस्लिम समाज पर्याप्त शिक्षित नही है, और यही हमारी मुसीबतों की जड़ है। आगे बढ़ने का एक ही उपाय है कि हम अपने बच्चों को शिक्षित बनायें।

यदि हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिली तो उन्हें अच्छी नौकरियां नहीं मिलेगी जिससे वे अपनी संतानों को शिक्षित नहीं बना पाएंगे, और इस प्रकार वे कभी भी गरीबी उबर नहीं पाएंगे और इस प्रकार वे समाज से अलग थलग बने रहेंगे। शिक्षा का मतलब केवल स्कूल ही भेजना नहीं होता है। बल्कि यह सुनिश्चित करना होता है कि उनकी सोच और मानसिकता उचित हो। जैसा कि मुस्लिम समाज के लिये महान कार्य करने वाले अल्लामा मोहम्मद इकबाल ने कहा है,

" खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है !! "

अंत मे अगर हमें भारत को एक रखना है तो अपने सभी आपसी मतभेद भुला देने होंगे। हममें एक महाशक्ति बनने की योग्यता है और हम एक दिन बनेंगे भी।

जय हिंद

( मेजर मोहम्मद अली शाह ने 2008 में भारतीय सेना ने शॉर्ट सर्विस कमीशन पूरा किया और सैन्य सेवा के दौरान जम्मू और कश्मीर तथा नार्थ ईस्ट में चल रहे अलगाववादी गतिविधियों के खिलाफ सैन्य कार्यवाहियों में भाग लिया है। संप्रति वे एक रक्षा विश्लेषक हैं। उन्होंने कई फिल्मों में भी अभिनय किया है, जिनमे से हैदर, बजरंगी भाईजान और एजेंट विनोद प्रमुख हैं । )

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‘You are truly the enemies of Islam’: Indian Army ex officer’s open letter to Jaish-e-Mohammad
by Mohommed Ali Shah

How dare you bunch of cowards think of calling yourselves believers of Islam?

My name is Major Mohommed Ali Shah (veteran). My family has had a tradition of soldiering for 200 years. My father retired as the deputy chief of Army Staff and was vice chancellor of the Aligarh Muslim University thereafter. Because of his and his brilliant team’s back-breaking efforts, Aligarh Muslim University was ranked as India’s best university by the Times Higher Education Ranking, London, the most reliable ranking of universities in the world.

However, because of your ill actions, even such a fine university has to bear the brunt of having the word “Muslim” in its name. My father’s honest autobiography, The Sarkari Mussalman, which speaks very highly of the fine, secular organisation that is the Indian Army, was misunderstood because it had the word “Mussalman” in the title.

My ancestors were veterans of both the world wars. My family chose not to go to Pakistan during Partition but stay in India, for various reasons. We are the children of this soil. We are a family of proud Indians and have performed the pilgrimage of Haj.

So there cannot be a person more qualified to tell you cowards that nowhere in Islam does it say go kill anyone. You people are truly the enemies of Islam, giving it a bad name to the extent that the community is getting typecast. Today, every Hindi movie has a criminal or a gangster bearing a Muslim name.

I saw my father fight insurgency in Punjab in the early 1990s, in Manipur, Nagaland, and Jammu and Kashmir. I have risked my life on several occasions while serving in the Army in Jammu and Kashmir and the North East, in both Muslim and non-Muslim areas of insurgency. However, only one community is being branded as a terrorist community because of ignorant fools like you.

My religion (I am not saying yours because you are not Muslims; you are terrorists and terror has no religion) is actually a very peace-loving religion and talks of unity in diversity. The term “jihad”, which actually means struggle and not terrorism, has been misunderstood and misinterpreted by non-Muslims to the extent that even the national media has started misrepresenting Islam, for which terror outfits like yours are responsible. Today, all good work the Muslim community is doing is being discredited because of the wrongdoings of a few misled, uneducated, disloyal enemies of humanity like you.

The brainless “fidayeen” you have been breeding are going to rot in hell and not to any heaven as you mislead and brainwash young, unemployed, ignorant youth who have absolutely no idea what the holy Quran says. Islam is a peace-loving, scientific, logical and simple religion. There has to be an end to this madness. You people have spoilt the name of such a beautiful religion that once even I, a right-thinking citizen of my motherland India, had to suffer personally. Fortunately, my parents had given me the best gift a parent can give to their child, the gift of education. I could stand tall and fight, and teach the perpetrators a lesson they would never forget in their life. Taking up arms and killing people is not the answer to anything.

Education is the only key to progress. I am a proud Muslim and a very proud Indian, and I am qualified enough, not only because I was educated at the best school and the best college or an Indian Institute of Management but because I understand the religion much better than you do. I appeal for peace in order to be a true Muslim. You might have recruited people with little intellect who might be PhDs. However, there is a huge difference between being literate and being educated. Members of terrorist outfits like you are uneducated and should make an effort to analyse yourself, and face and understand the reality that you are not only doing great disservice to a peace-loving religion but to humanity itself. Shame on you!

My reason for writing this open letter is that I hope it reaches you somehow and, maybe, makes a difference somewhere. I truly believe the society will not change unless and until we change ourselves. I hope it reaches you and you do serious introspection, and the change begins. Violence in any form is not the answer to anything.

As Martin Luther King once said, “Darkness cannot fight darkness, only light can do that, hate can not fight hate, only love can do that.” Muslim terror outfits must realise they inflict casualties, directly and indirectly, on Muslims themselves. Any sensible person can see it is not some cause you are fighting for, it is a racket you are running. You are manufacturers of hate. The “fidayeen” whose video I saw will certainly not be going to heaven to enjoy the hospitality of hoors as he claimed. He will rot in hell. To quote a line from the film Khuda ke Liye (which made a lot of sense to me as a Muslim) that was delivered by a great actor playing the character of a maulvi, “Deen mein daari hai, daari mein deen nahi.” There is no need to wear one’s religion or patriotism on one’s sleeve. People are intelligent enough to see what is inside a person’s mind.

Root cause
Having spent considerable time combating insurgency in Jammu and Kashmir and the North East, and having risked my life multiple times in the process, I strongly believe the root cause of the militancy in Kashmir is not religion or “jihad”, as is widely believed. The real cause is that unemployed youth are extremely vulnerable and easily susceptible to brainwashing by vested interests from across the border. Educating and empowering them, making them self-sustaining will help weed out this problem once and for all. The use of arms or a show of strength can defeat them only temporarily – you kill one and 10 more will be ready to take his place. Our only hope is to win them over.

The next big question that arises is about prejudices against the Muslim community. Yes, prejudices exist, not only towards Muslims or any other community in particular, but for those who are less educated. Why would anyone employ someone who is not educated enough, or capable or suitable for the job? We have to admit that Muslims in India are not educated enough and that is the cause of all our woes. The only way forward is to educate our children.

If our children don’t get good education, they won’t have good jobs, then they won’t be able to educate their children, and so on. We will never be able to rise above the poverty line and will always be discriminated against. Education does not mean merely sending them to school. Making sure they have the right mindset is also extremely important. As Allama Mohammad Iqbal, who did great service to the Muslim community, said,

“Khudi ko kar buland itna ke har taqdeer se pehle,
Khuda bande se khud pooche bata teri raza kya hai.”

If one is educated, one can stand tall.

Finally, if we forget all our differences, if India is united, if we stand together, we have the ability to be a superpower – and we surely will be.

Jai Hind!

( Major Mohommed Ali Shah completed his short service commission in the Army in 2008, participating in counter insurgency operations in Jammu and Kashmir and the North East. He is currently a defence analyst. He has also worked on and acted in several films, including Haider, Bajrangi Bhaijaan and Agent Vinod. )
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© विजय शंकर सिंह

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