सुबह सुबह फेसबुक पर मित्र रमा शंकर सिंह की एक पोस्ट नज़र से गुजरी। पोस्ट भाजपा सांसद, सुब्रमण्यम स्वामी के एक ट्वीट के संबंध में थी। सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट अफ़ग़ानिस्तान के संदर्भ में है। पहले रमाशंकर सिंह जी का यह लेख पढ़ें,
" भाजपा सांसद सु स्वामी भी वह सच स्वीकार कर बोलने लगे जो अब वैश्विक राजनीति का सच है। पहली बार अफ़ग़ानिस्तान के बारें में जो बात होगी उससे भारत बाहर हो गया है। डा० मनमोहन सिंह के समय में अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय दखल और निवेश से पाकिस्तान हलाकान रहता था और क्षेत्रीय राजनीति में भारत का दबदबा और दबंग उपस्थिति बनी रहती थी।
ईरान में चीन की उपस्थिति इन छ: बरसों में बढ़ती जा रही है और भारत की लगातार कम। जबकि ईरान समेत कई देशों से दशकों की मेहनत से भरोसेमंद मित्रता बन चुकी थी। ट्रंप के चक्कर में वह सब खो दिया। ६ सालों में वैश्विक राजनीति का डंका मात्र देसी वोटरों पर प्रचार करने के लिये बनाया था। जहॉं जहॉं फ़क़ीर गया वहॉं वहॉं से मैदान साफ़ होता चला गया ।
अंधभक्तों और समर्थकों को सिर्फ़ स्थानीय चुनाव दिखते हैं । कोई भी देश कूटनीतिक द्वीप बन कर नहीं रह सकता। दुनिया में व्यापार , संस्कृति और संवाद के ज़रिये मैत्री प्रगाढ़ की जाती है इकतरफ़ा झूठे खोखले व बौद्धिक तत्व से विरत भाषणों के लाइव प्रसारण से नहीं।
डंका तो फटे कुछ समय हो गया लेकिन अब इज़्ज़त भी नहीं बचेगी! यह पंचतंत्र के चमगादड़ की कहानी क्या है जिस ओर स्वामी ने इशारा किया है ? "
डॉ स्वामी ने पंचतंत्र की एक कथा का उल्लेख किया है जो चमगादड़ से जुड़ी है। चमगादड़ पंख होने के कारण उड़ भी सकता है और वह देखने मे चूहे जैसा भी लगता है। जन्तुविज्ञान के अनुसार वह स्तनपायी है यानी मैमल्स में आता है। अब आप पंचतंत्र की यह कथा पढ़े।
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चमगादड़
बहुत समय पहले की बात है. जंगल में शांति से रहने वाले पशुओं और पक्षियों के मध्य किसी बात को लेकर अनबन हो गई. ये अनबन इतनी बढ़ी कि दोनों पक्षों में युद्ध छिड़ गया.
पशुओं की लंबी-चौड़ी सेना थी, जिसमें राजा शेर के अतिरिक्त लोमड़ी, भेड़िया, भालू, जिराफ़, सियार, ख़रगोश जैसे कई छोटे-बड़े जानवर सम्मिलित थे. वहीं आकाश में विचरण करने वाले पक्षियों की सेना भी कुछ कम न थी, उसमें चील, गिद्ध, कौवा, कबूतर, मैना, तोता सहित कई पक्षी सम्मिलित थे.
चमगादड़ बहुत परेशान था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसकी सेना में सम्मिलित हो. उसे अकेला देख पक्षी उसके पास आये और उसे आमंत्रित करने लगे, “चमगादड़ भाई, आओ हमारा साथ दो.”
“मैं तुम्हारे साथ कैसे आ सकता हूँ? देखो मुझे, पंख हटा दिया जाएं, तो मैं तो हूबहू चूहे के समान दिखता हूँ. मैं तो पशु हूँ. मुझे क्षमा करो.” चमगादड़ ने उत्तर दिया.
चमगादड़ का उत्तर सुन पक्षी चले गए.
पक्षियों के जाने के बाद पशुओं की मंडली उसके पास आई और बोली, “अरे भाई चमगादड़, यहाँ अकेले क्यों बैठे हो? आओ हमारी सेना में आ जाओ.”
“तुम्हें मेरे पंख दिखाई नहीं पड़ते. मैं तो पक्षी हूँ. कैसे तुम्हारी सेना में सम्मिलित हो जाऊं.” चमगादड़ ने अपना पल्ला झाड़ा.
पशु भी चले गए.
कुछ दिनों बाद पशुओं और पक्षियों की अनबन समाप्त हो गई. दोनों पक्षों में मित्रता हो गई. जंगल में मंगल हो गया. सभी आनंद मनाने लगे.
उन्हें आनंद मनाता देख चमगादड़ ने सोचा कि अब मुझे किसी एक दल में सम्मिलित हो जाना चाहिए. वह पक्षियों के दल के पास गया और उनसे निवेदन किया कि वे उसे अपन दल में ले लें. किंतु, पक्षियों ने यह कहकर मना कर दिया, “अरे तुम तो पशु हो. ऐसे में तुम हमारे दल में कैसे आ सकते हो?”
मुँह लटकाकर चमगादड़ पशुओं के पास पहुँचा और उनसे भी यही निवेदन किया. पशुओं ने भी उसे अपने दल में स्वीकार नहीं किया. वे बोले, “क्या तुम भूल गए हो कि तुम्हारे पंख है और तुम एक पक्षी हो.”
चमगादड़ क्या करता? वह समझ गया कि आवश्यकता पड़ने पर साथ न देने पर कोई भी मित्र नहीं रहता. तब से चमगादड़ अकेला ही रहता है.
कहानी से सीख.
आवश्यकता पड़ने पर सदा दूसरों का साथ दें. मौकापरस्त का कोई मित्र नहीं होता.
पंचतंत्र ऐसे ही व्यवहारिक अनुभव देने वाली कहानियों से भरा हुआ एक रोचक ग्रँथ है। अब डॉ सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट पढ़े।
" मोदी इस सत्य के करीब पहुंच चुके हैं कि उनके एक वैश्विक नेता होने की सारी कोशिशें अब विफल हो गयीं है। आज उनको यह निश्चय करना ही होगा कि वे या तो QUAD ( क्वाड्रिलैट्रल सिक्युरिटी डायलॉग क्वैड ) की तरफ रहें या BRICS ( की तरफ, या पंचतंत्र के चमगादड़ की गति को प्राप्त हों।"
QUAD यानी क्वाड्रीलैटरल सिक्युरिटी डायलॉग, 2007 में गठित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसमे यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत है। लंबे समय तक निष्क्रिय रहने के बाद नवम्बर 2017 में यह पुनः सक्रिय हुआ है।
BRICS, ब्रिक्स, ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक संगठन है। 2001 में अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने बिना दक्षिण अफ्रीका के इसे ब्रिक BRIC नाम दिया। बाद में दक्षिण अफ्रीका का एस ( S साउथ ) शब्द जोड़ दिया गया। ब्रिक्स का दावा है कि, वर्ष 2050 तक दुनिया की अर्थव्यवस्था में ब्रिक्स का दबदबा कायम हो जाएगा।
( विजय शंकर सिंह )
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