Saturday 4 June 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - तीन (8)

चित्र: कॉमोडस के किरदार में अभिनेता फ़ीनिक्स

“यूँ तो कोमोडस दुष्ट नहीं था, बल्कि इसके विपरीत रोम का सबसे निश्छल व्यक्तित्व था। उसके सीधे-सादे स्वभाव और उसकी कायरता के कारण उसके मित्र उसका ग़लत फ़ायदा उठाते। उन्होंने उसे युद्धभूमि की तपिश से दूर रख कर अय्याशी और क्रूरता में धकेल दिया। मुझे लगता है, यह अंदेशा उसके पिता मार्कस को भी था।

जब उन्नीस वर्ष में कोमोडस राजा बना, तो सिनेट के तमाम बुद्धिजीवियों ने अपने मंतव्य देने शुरू किए। लेकिन, वह किसी की सुनने को राजी नहीं था। लगभग हारे हुए और शक्तिहीन बर्बरों (जर्मन) के साथ उसने संधि कर ली, और राजमहल की भोगविलासिता में डूब गया।”

- कैसियस डियो, रोमन इतिहास, खंड 9, पृ. 73

कोमोडस रोमन इतिहास पर बनी फ़िल्मों और फंतासी कथाओं के प्रचलित किरदार रहे। उनका चरित्र नीरो से भी अधिक विलासपूर्ण दिखाया जाता रहा, जिसमें उनकी अपनी बहन लूसिया (Lucilla) से प्रेम भी जोड़ दिया गया।  लेकिन, अगर प्रामाणिक इतिहास ढूँढें, तो उस काल के एकमात्र इतिहासकार कैसियस डियो के लिखे नौ खंड (वॉल्यूम) हैं। उनके भी कई पन्ने और मूल प्रति गुम हो गयी। 

ग्रीक में लिखी नकल किताब को अंग्रेज़ी अनूदित करने वालों ने अपने हिसाब से फेर-बदल की। सबसे अधिक ‘क्रिश्चियन’ शब्द का प्रयोग, और वह भी अटपटी जगहों पर प्रयोग इसी किताब में मिलता है। जैसे लिखा है-

“उनकी रखैल मार्सिया बहुत उदार थी, शायद इसलिए कि उसे ‘क्रिश्चियन’ पसंद थे”। 

आप अगर आगे-पीछे की पंक्तियाँ पढ़ेंगे, तो एक साधारण पाठकीय नजर से भी पहचान लेंगे कि यह शब्द ख़्वाह-म-ख़्वाह डल गया है। खैर, अब जो भी प्रामाणिक इतिहास पुस्तकालयों में उपलब्ध है, यही है। मैं अपनी लीक उसी अनुसार रखता हूँ।

यह बात पक्की है कि कोमोडस को ग्लैडिएटर और उससे जुड़े अन्य खेल बहुत पसंद थे। यह भी वर्णित है कि उनके तीन सौ से अधिक रखैल (concubine) थी, जिनमें कई उनके प्रिय पुरुष सेवकों की पत्नियाँ थी। नीरो की तरह कला या संगीत में अभिरुचि नहीं दिखती। एक रहस्यमय यूनानी कल्ट ‘एलिसिनियन मिस्ट्री’ से जुड़े नशे और विचित्र यौन-क्रियाओं से ईश्वर की साधना का विवरण मिलता है।

उनकी बहन लूसिया के विषय में डियो लिखते हैं कि वह भी अपने भाई की तरह अय्याश औरत थी। उसने अपनी बेटी का विवाह पोम्पियानस नामक एक सुंदर पुरुष से किया, और बाद में माँ-बेटी दोनों उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करते। एक दिन लूसिया ने पोम्पियानस को अपने भाई राजा कोमोडस की हत्या के लिए प्रेरित कर दिया।

कोमोडस जंगल में शिकार करने की बजाय अपने महल के मैदान में खतरनाक पशुओं (गैंडा, शेर आदि) को बुलवाते, और वहीं दौड़-दौड़ कर उनका शिकार कर खुश होते। जब वे मैदान के संकरे दरवाजे से निकल रहे थे कि पोम्पियानस ने तलवार से हमला करते हुए कहा,

“सिनेट ने मुझे तुम्हारी हत्या के लिए भेजा है”

लेकिन, कुछ अन्य सैनिकों ने पोम्पियानस को दबोच लिया। कोमोडस ने अपनी बहन लूसिया को कैप्री द्वीप निर्वासित कर दिया, जहाँ उसकी जहर देकर हत्या कर दी गयी। चूँकि यह घटना गद्दी पर बैठने के अगले ही वर्ष की है, इसलिए भाई-बहन के किसी प्रेम-संबंध की ऐतिहासिक पुष्टि नहीं होती। लुसिया 182 ई. में ही मर गयी थी।

उसके बाद भी कोमोडस की हत्या के षडयंत्र होते रहे, और डियो की भाषा से ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं वह स्वयं भी इनमें शामिल थे। यह बात तो खैर आगे उन्हीं के शब्दों में सत्यापित भी होगी।

उस वक्त कोमोडस कछुए की तरह अपने खोल में चले गए। उनके एक प्रिय सिपहसलार क्लिएंडर ने राज-काज की पूरी ज़िम्मेदारी ले ली। पूरे पाँच साल (185-190) तक क्लिएंडर की मनमानी चलती रही। वह रिश्वत लेकर पद बाँटते रहे, अपने प्रतिद्वंद्वियों को मरवाते रहे। राजा कोमोडस खेल खेलने, और रंगरेलियाँ मनाने में डूबे रहे। उनके एक सेवक एक्लेक्टस की पत्नी मार्सिया अब उनकी प्रिय रखैल थी।

कोमोडस ने स्वयं को दर्जनों पदवियाँ दे दी थी, और सभी महीनों के नाम स्वयं के नाम पर रख दिए थे। डियो लिखते हैं कि उनके नाम से चिट्ठी आती तो एक पन्ने में उनकी पदवियाँ ही लिखी होती जिसमें ‘पृथ्वी का रक्षक’ और ‘ईश्वर का दूत’ जैसे पद भी थे। 

लेकिन कब तक? 

एक दिन जब रोम के विशाल मैदान ‘सर्कस मैक्सिमस’ में खेल आयोजित हुए, तो वहाँ बैठे हज़ारों रोमन चिल्लाने लगी,

“सीज़र! हम भूखे हैं। आज हम इस क्लिएंडर का रक्त पी जाएँगे।”

भोग-विलासिता में अंधे हो चुके राजा को भी उसी दिन मालूम हुआ कि जनता के पास खाने के लिए अनाज नहीं। 
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

रोम का इतिहास - तीन (7) 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/06/7.html 
#vss 

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