समझदार और विवेकवान सोच के लोगों के लिये यह बेहद चुनौतीपूर्ण क्षण है। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के भरोसे, सत्ता में आने वाले दल का बस एक ही एजेंडा है यूपी चुनाव में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण, किसी भी प्रकार से हो जाय। परम्परागत मीडिया तो उस एजेंडे पर लगा ही हुआ है, पर राहत की बात है कि सोशल मीडिया, इस एजेंडे को पहचान चुका है। समझदारी और विवेक से काम लीजिए। असल मुद्दे पर सवाल उठाइये। धर्म के मुद्दों से दूरी बनाइये। विवादित और आग लगाऊ, ध्यान भटकाऊ मुद्दों पर मौन रहें और लक्ष्य स्पष्ट रखें।
धर्मांध घृणावाद आप के घर मे घुसने को आतुर है। नौकरी मांगती बेरोजगारों की फौज को धर्मांधता की अफीम चटाना जारी है। आप जितना ही समझदार और शांत बने रहेंगे यह उतने ही बौखलायेंगे। उनकी सबसे बड़ी समस्या ही यह है कि, लोग न बहक रहे हैं और न भड़क रहे हैं। शायद यह दुनिया के इतिहास में पहली सरकार होगी जो अपने ही देश प्रदेश में हिंसक वातावरण बना कर राजनीतिक सत्ता में आना और उसे बचाये रखना चाहती है। न इन्हें धर्म से कोई मतलब है, न राम से कोई सरोकार।
मर्यादा पुरुषोत्तम की इनकी नज़र में बस इतनी ही मर्यादा शेष बची है कि, भगवा गमछे कंधे पर रखे, गले में लटकाए, कहीं एक अकेली लड़की को, खुले आम जयश्रीराम का नारा लगाते, दौड़ा लेना। और फिर वे अपने आचरण पर शर्म नहीं, बल्कि, उसे हिंदुत्व कहते हैं और उस पर गर्व करते हैं। अपने घर के युवा होते किशोरों को बचाइए कि वे पढ़े लिखें, पर इस धर्मांध लफंगई और गुंडई से दूर रहें। यह एक ऐसी जमात तैयार की जा रही है जो आगे जाकर एक धर्मांध आतंकी जैसी ही बन जाएगी। इस वायरस से बचें।
संघ प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि 'धर्म संसद में कही गयी भड़काऊ बातें हिंदुत्व नहीं है।'
कर्नाटक में जो कुकर्म राम के नाम पर भगवाधारी गुंडों ने किया है, क्या वह हिंदुत्व है मोहन भागवत जी ?
उम्मीद है, आप कर्नाटक की उस घटना का भी समर्थन नहीं करेंगे। फिर तो, जो यह गुंडे कर रहे हैं, उनके खिलाफ, सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही के लिये, सरकार से कहिये।
फिर यह मत कह दीजिएगा कि, आप और आरएसएस का सरकार और राजनीति से कुछ लेना देना नही है। यह बात अब किसी के गले नहीं उतरेगी। संघ, हर चुनाव में भाजपा को जिताने के लिये पूरी ताकत झोक देता है, यह आप, हम, सब जानते हैं। यदि आप इस गुंडई और भड़काऊ आचरण के खिलाफ हैं तो, आप को खिलाफ खड़े दिखना भी होगा सर।
अब भी सत्तारूढ़ दल और संघ के मित्र, बार बार कर्नाटक की घटना पर बहस को हिजाब पहनने या न पहनने पर केंद्रित कर रहे हैं, पर शातिराना ढंग से जय श्रीराम के नारे लगाती भगवा लपेटे गुंडो के आचरण को दरकिनार कर नज़रअंदाज़ कर दे रही है। हिजाब गलत है या सही, यह तय करने के लिये वह स्कूल और कॉलेज अधिकृत है, न कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सारी मर्यादाओं को तार तार करती हुयी गुंडो की यह उन्मादी भीड़।
किसे क्या पहनना है, कैसे पहनना है, कब पहनना है, यह वह खुद तय करेगा या वह संस्था, जहां हर अवसर का कोई ड्रेसकोड निर्धारित है। जिसने ड्रेसकोड निर्धारित किया है, उसने उसके उल्लंघन पर सज़ा का भी विधान रखा होगा। पर इन लफंगों और गुंडो को किसने यह अधिकार दे दिया कि, वे किसी को इसलिए बेइज्जत करें कि वह उनकी मर्जी के कपड़े नहीं पहने है ?
राम का नाम लेकर, उनका जयघोष करते हुए एक लड़की का पीछा करते हुए यह गुंडे, किसकी मर्यादा बढ़ा रहे हैं? कौन हैं वह लम्पटों का सरदार, जो इनकी गुंडई का अनुमोदन कर रहा है? यह गुंडे और लम्पट एक दिन ऐसा आएगा जब इस महान धर्म की सारी प्रतिष्ठा नष्ट और मर्यादा तार तार कर देंगे। इस खतरे को समझिए और बचिए।
आज खतरे में, राम हैं, उनकी मर्यादा है, भारत की सनातन चिंतन और दर्शन परंपरा है। देश की बहुलतावादी संस्कृति है, हज़ारों साल की साझी विरासत समेटे एक शानदार सभ्यता है। खतरे में रोजगार है, शिक्षा स्वास्थ्य और प्रगति के मुद्दे हैं। खतरे में युवाओं का कल है, देश का भविष्य है। गौर से देखिए, आप के घर के वे युवा हैं, जिनका मस्तिष्क, धर्मान्ध कट्टरपंथियों के द्वारा भेजे जा रहे व्हाट्सएप संदेशों से, योजनाबद्ध तरह से प्रदूषित और पंगु किया जा रहा है। इसके पहले कि यह आतंक आप के घर मे पैठे, आप इनका प्रवेश वर्जित कर दें।
(विजय शंकर सिंह)
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