Sunday, 13 February 2022

प्रवीण झा - दक्षिण भारत का इतिहास - तीन (16)

(चित्र: एन. टी. आर., एमजीआर और दिलीप कुमार, तीनों ने ‘रामडु भीमडु’ (राम और श्याम) को अलग-अलग भाषाओं में पर्दे पर निभाया)

दो अभिनेता। दो राज्य। दो मुख्यमंत्री। 
एम जी रामचंद्रन (MGR) और एन टी रामाराव (NTR) का उदय दक्षिण की राजनीति का एक आयाम है, जो उत्तर भारत में नहीं मिलता। अमिताभ बच्चन जैसे महारथी भी राजनीति में स्थायी मुकाम नहीं बना पाए। जबकि ये दोनों न सिर्फ़ पर्दे पर, बल्कि राजनीति में महानायक रहे। इनका कद आधुनिक अवतारों की तरह था। एन टी रामाराव तो जैसे भगवान के भेष में ही रथयात्रा करते, और जनता उनकी पूजा करती। यह भाजपा की रथयात्रा राजनीति से पहले की बात है। वहीं, एमजीआर का बॉडी-लैंग्वेज किसी समृद्ध राजा की तरह होता, जो प्रजा के उत्थान के लिए जन्मा है। 

यह भी कहा जा सकता है कि ये पेरियार के दर्शन के दो विलोम थे, जब सामंत और ईश्वर जैसी छवियों में प्रजा को विश्वास होने लगा। एमजीआर अपनी मृत्यु तक, और एन टी आर अपनी मृत्यु के एक वर्ष पूर्व तक गद्दी पर रहे। इन्हें पदच्युत करना लगभग असंभव था, और कम से कम एनटीआर के लिए यह तभी पूरी तरह मुमकिन हुआ जब उनके अपने दामाद चंद्रबाबू नायडु ने ही विद्रोह कर दिया।

एक ने अपनी अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम से तमिल अस्मिता को केंद्र बनाया, ‘तमिल ईलम’ की लड़ाई में हिस्सा बने। वहीं, एनटीआर ने तेलुगु देशम पार्टी बना कर तेलुगु अस्मिता का बिगुल बजाया। एमजीआर को तो अंग्रेज़ी ठीक से आती नहीं थी, वह अधिकांश संवाद तमिल में ही करते।

दोनों अपने-अपने अंदाज़ में गरीबों के मसीहा बन कर उभरे। यह संभव है कि इंदिरा गांधी की ‘इंडिया इज इंदिरा’ राजनीति के समानांतर ही इस तरह की मसीहाई और छवि-निर्माण की रेल चली। इसमें कौन कितने सफल हुए, यह कहना कठिन है, लेकिन अस्सी के दशक में क्षत्रप मसीहा उभरने लगे थे।

एमजीआर के फैसले किसी मध्ययुगीन राजा की तरह होते। कभी वह अचानक घोषणा करते कि श्रीलंका के तमिल टाइगर को वह धन देने जा रहे हैं। कभी वह गरीबों के लिए अनाज योजना का ऐलान कर देते। जिस ‘मिड डे मील’ को के. कामराज ने शुरू किया था, उसे एमजीआर ने इस बृहत स्तर पर लाया कि अब उन्हें ही इस योजना का कर्णधार माना जाता है। प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति रिकॉर्ड 96 प्रतिशत तक पहुँच गयी। उस गति से तमिलनाडु शायद केरल को भी पीछे छोड़ देती।

उनके साथ दो स्त्रियाँ एक अलग ही ग्लैमर लाती। दोनों पर्दे पर अलग-अलग कालखंडों में उनकी अभिनेत्री रही थी। एक उनकी पत्नी जानकी, दूसरी जयललिता। हालाँकि जयललिता वास्तविक दुनिया में उनकी पत्नी नहीं थी, लेकिन पर्दे पर छवि के कारण यूँ आभास होता जैसे दो रानियों के मध्य महाराज बैठे हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि पेरियार के उत्तराधिकारी और एक कुशल राजनेता एम. करुणानिधि को उन्होंने अपने चमक-दमक से पूरी तरह नेपथ्य में ला दिया था। लिट्टे को समर्थन देकर उन्होंने तमिल मोर्चे पर भी अपनी मजबूत जगह बना ली थी। लेकिन, इस कारण कहीं न कहीं तमिलनाडु में धर्म और जातिवाद फिर से अपनी जगह बनाने लगा था। 

मंदिरों के घंटे गूँजने लगे थे। श्रीलंकाई तमिल अपने जयघोष में देवी-देवताओं का नाम लेते। स्वयं एमजीआर अपने दल के सदस्यों के साथ मंदिरों में दर्शन के लिए जाते थे। एक फ़िल्म में वह देवता मुरुगन के रूप में आए, जब उनकी नायिका जयललिता थी। अपनी बीमारी के दौरान उन्होंने पूजा करवा कर देवी मुखाम्बिका मंदिर में एक तलवार अर्पित किया। 

एमजीआर ने पेरियार की धारा में जा रहे तमिलनाडु पर जैसे ‘रीसेट’ बटन दबा दिया। कहीं न कहीं उनकी बनायी इस ज़मीन के बदौलत एक ब्राह्मणी जयललिता बार-बार मुख्यमंत्री बनी। एक और उदाहरण इसी कड़ी में देता हूँ। 

जब 1984 में एमजीआर गंभीर अस्वस्थ थे, तो घोर नास्तिक करुणानिधि ने अपने पुराने मित्र के लिए खुला पत्र लिखा, 

“मेरे प्रिय मित्र! आज पूरा तमिलनाडु तुम्हारे स्वास्थ्य की कामना कर रहा है। तुम्हारे दल के सदस्य और समर्थक मंदिरों में पूजा-अर्चना कर रहे हैं। 

तुम मुझे जानते हो कि मैं बचपन से पेरियार और अन्ना का अनुयायी रहा। कभी ईश्वर के दरवाजे पर कुछ माँगने नहीं गया। कभी परिक्रमा नहीं की। पूजा नहीं की। यही मेरा आदर्श रहा। 

लेकिन, मेरी नास्तिकता तुम्हारे लिए की जा रही प्रार्थना को ग़लत नहीं ठहराती। अगर इन प्रार्थनाओं से तुम पुन: उसी तरह खड़े होकर लौटते हो, जैसे मैंने तुम्हें यौवन से देखा है, तो मेरी प्रसन्नता किसी से कम न होगी।

अस्पताल तो तुमसे मिलने की इजाज़त नहीं दे रहा, लेकिन आज एक बात कहूँगा। प्रार्थना का अर्थ सिर्फ़ स्तुति नहीं, याचना भी है। उस अर्थ में मैं आज जीवन में पहली बार प्रार्थना करुँगा कि तुम स्वस्थ हो जाओ। जैसे सूर्य की किरणों से ओस की बूँदें वाष्पीकृत हो जाती है, तुम्हारा यह रोग भी लुप्त हो जाए। 

सदैव तुम्हारा मित्र
मु. क. “
(क्रमश:)

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

दक्षिण भारत का इतिहास - तीन (15)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/02/15.html 
#vss 

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