Saturday, 15 December 2018

सरकार ने माना - नोटबंदी एक बिना सोचे समझे उठाया गया कदम था / विजय शंकर सिंह

सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि उसने नोटबंदी लागू करने के बार उसके क्या प्रभाव हो सकते हैं इसका कोई अध्ययन नहीं किया।
यह बयान यह बताता है कि सरकार ने बिना किसी तैयारी के किसी अन्य स्वार्थ हित से प्रेरित होकर यह कदम उठाया था। हर कदम की समीक्षा की जाती है और इसका अध्ययन किया जाता है कि अमुक फैसले का क्या अच्छा प्रभाव होगा और क्या बुरा। अगर कोई प्रतिकूल प्रभाव हुआ तो उससे कैसे निपटा जाएगा।

यही कारण है कि नोटबंदी के बाद जब हंगामा मचा तो दो महीने में डेढ़ सौ आदेश निर्देश दिए गए। 150 लोग इसके गलत कार्यान्वयन से मर गए। पीएम को एक जनसभा में रोना पड़ गया और उन्होंने जनता से ' पचास दिन बस पचास दिन ' गिड़गिड़ाते हुये मांगे और फिर यह भी कहा कि यह नहीं सुधरा तो वे किसी भी चौराहे पर आ जाएंगे और जनता जो दंड देना हो दे दे। इतना बेबस, बेहिस देश के सत्तर साल के इतिहास में कोई भी पीएम नही दिखा था, उस वक़्त।

आज यह बात सरकार ने खुद ही संसद में स्वीकार कर ली कि कोई अध्ययन इस कदम के बाद अनुकूल और प्रतिकूल प्रभावों के बारे में सरकार ने नहीं किया था। जब कि यह प्रबन्धन का पहला सबक है कि निर्णय के प्रभाव और उसकी प्रतिकूलता से निपटने के लिये भी कार्ययोजना बना के रखी जाय। यही शासन न करने की कला है । सरकार चलाना सीखिये सरकार !!

© विजय शंकर सिंह

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