Sunday, 24 June 2018

Ghalib - Qatraa dariyaa mein jo mil jaay / क़तरा दरिया में जो मिल जाय - ग़ालिब / विजय शंकर सिंह

ग़ालिब - 96
क़तरा दरिया में जो मिल जाय, तो दरिया हो जाय,
काम अच्छा है वो,  जिसका म'आल अच्छा है !!

Qatraa dariyaa mein jo mil jaay, to dariyaa ho jaay,
Kaam achchaa hai wo, jiskaa m'aal achchaa hai !!
- Ghalib

बूंद यदि सागर में मिल जाती है तो वह सागर हो जाती है। वही काम अच्छा है जिसका परिणाम अच्छा है !!

ग़ालिब का यह शेर दार्शनिक अंदाज़ का एक उदाहरण है। बूंद का अस्तित्व सागर में मिल कर समाप्त हो जाता है और उसका स्वरूप सागर हो जाता है। यह व्यष्टि का समष्टि में समाहित होना है। यहां वे कार्य, काम का उल्लेख करते हैं। हर वह कार्य अच्छा है जिसका परिणाम उत्तम हो। अगर किसी कार्य का परिणाम ही अच्छा नहीं है तो वह कार्य कैसे अच्छा कहा जा सकता है ?

© विजय शंकर सिंह

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