Monday 8 November 2021

प्रवीण झा - रूस का इतिहास - तीन (6)

(चित्र: युद्धकालिक गृहमंत्री अलेक्सी खोस्तोव)

रासपूतिन के हत्या की साजिशें आश्चर्यजनक रूप से असफल हो रही थी। इसका कारण रासपूतिन की साइबेरियाई हट्टी-कट्टी बनावट रही होगी। वह छुरा मारने पर बारंबार बच गए। इलियोदोर द्वारा एक हमले में उन्होंने ही उलट कर पीट दिया था। इन सबके ऊपर थी उनकी सम्मोहक क्षमता। वह बारंबार ईश्वर और बाइबल का नाम लेकर हमलावर को ज्ञान दे देते कि संत को मार कर पाप लगेगा।

देश का गृह मंत्री स्वयं हत्या की योजना बनाए, और हत्या न कर पाए तो क्या कहा जा सकता है? अलेक्सी ख्वोस्तोव को रासपूतिन ने ही गृह मंत्री के पद पर बिठाया था। उन्हें वह मोटू, बेवकूफ़ आदि विशेषणों से संबोधित करते, और ख्वोस्तोव चिढ़ जाते। ख्वोस्तोव ने इलियोदोर के साथ मिल कर एक फ़ूल-प्रूफ़ योजना बनायी। 

उन्होंने इलियोदोर को बुला कर कहा, “एक खूबसूरत शाही महिला रासपूतिन को फ़ोन कर अपने बंगले पर बुलाएगी। हमारा आदमी ड्राइवर बन कर रासपूतिन को उसके आवास से पिक करेगा। वहाँ रासपूतिन के स्वागत में जो मदिरा होगी, उसमें जहर डाल देंगे।”

“मगर आप तो गृह मंत्री हैं? अगर पता लगा तो हंगामा हो जाएगा। ज़ार आपको नहीं बख्शेंगे।”

“और कोई रास्ता नहीं है। रासपूतिन कभी भी प्रधानमंत्री बन सकता है। उसकी ताकतें बढ़ती जा रही है।”

गृह-मंत्री ऐसे विमर्श अपने कुछ अन्य मंत्रियों के साथ भी कर चुके थे। उनमें से कुछ ने समझाया था कि आप गृह-मंत्री हैं, कोई माफ़िया नहीं कि हत्या की सुपारी देते फिरें। आखिर गृह-मंत्री का भंडा-फोड़ इलियोदोर ने ही कर दिया, जब उन्होंने सीधे रासपूतिन को टेलीग्राम कर खबर कर दी। रासपूतिन को जब अपने सबसे बड़े शत्रु का टेलीग्राम आया तो उन्हें भरोसा नहीं हुआ। मगर एक-एक कर पत्ते खुलते गए, और गुप्तचरों ने गृह-मंत्री को धर लिया। 

ज़ार उस समय फ्रंट से लौटे थे। उन्होंने गृह-मंत्री को बुला कर पूछा, “यह युद्ध का समय है। हमें जनता की समस्याओं को समझना चाहिए। आप हत्या की प्लॉट बना रहे हैं?”

ख्वोस्तोव ने कहा, “क्षमा चाहूँगा ज़ार! मगर हमें सूत्रों से खबर मिली है कि रासपूतिन जर्मनों और यहूदियों का एजेंट है।”

“अगर ऐसा है तो आप मुझे सबूत देते। हम सजा देते, न्याय करते।”

“लेकिन, ज़ारीना बुरा मान जाती। इसलिए हमें गुप्त रूप से यह करना पड़ा।”

“हमें नहीं, सिर्फ़ आपको। कोई भी और मंत्री इस घिनौने षडयंत्र में शामिल नहीं।”

गृह-मंत्री को गिरफ़्तार कर लिया गया। इलियोदोर अमेरिका भाग गए, और वहाँ एक संत बन गए। अपने आखिरी दिनों में वह मानहट्टन में कहीं सफ़ाई कर्मचारी का काम करते देखे गए।

ज़ार परिवार के दामाद फेलिक्स युसुपोव भी एक षडयंत्र कर रहे थे। उनकी पत्नी इरीना बहुत ख़ूबसूरत थी और रासपूतिन की उन पर नज़र थी। उन्हें मालूम था कि अगर वह बुलाएगी तो रासपूतिन भागे चले आएँगे।

मगर सवाल तो यह था कि युसुपोव ऐसी साजिश कर क्यों रहे थे? क्या वाकई रासपूतिन एक एजेंट थे? 

5 जून, 1916 को ब्रिटेन का एक जहाज गुप्त मिशन पर निकला। फ़ील्ड मार्शल अर्ल किचनर सीधे ज़ार निकोलस से मिलने आ रहे थे। कहा जाता है कि उनके पास कुछ ख़ुफ़िया जानकारी थी कि रासपूतिन शत्रुओं से मिले हुए हैं। अभी जहाज रूस की ओर बढ़ ही रहा था कि एक धमाका हुआ, और किचनर सहित पूरा जहाज खत्म! 

युसुपोव अपने संस्मरण में लिखते हैं - ‘रासपूतिन और ज़ारीना सभी गुप्त जानकारियाँ और युद्ध की पूरी योजना जर्मनी भेज रहे थे। इसी कारण रूस हार रहा था। किचनर के जहाज विस्फोट की कोई और वजह हो ही नहीं सकती, क्योंकि यह टॉप-सीक्रेट था, जो सिर्फ़ ज़ार और उनके करीबियों को मालूम था।’

वह आगे लिखते हैं- ‘पेत्रोग्राद में रासपूतिन के घर में यहूदियों का आना-जाना था। बड़े यहूदी व्यवसायी रूबेनस्टाइन तो रासपूतिन से नियमित मिलते ही, सबसे बड़ी बात कि रासपूतिन का सचिव सिमानोविच ही यहूदी था। इसमें कोई शक नहीं कि रासपूतिन एक अंतरराष्ट्रीय यहूदी साजिश के तहत ऑपरेट करता था।’

कट्टर दक्षिणपंथी संगठन ‘ब्लैक हंड्रेड’ ने एक व्यंग्य नाटक का मंचन किया जिसमें रासपूतिन रूस में ईसाईयत खत्म कर देश यहूदियों के हवाले कर रहे थे। 

जब 1916 में ओडेसा टाइम्स के एक पत्रकार ने रासपूतिन से यहूदियों के विषय में पूछा, तो उन्होंने कहा, “यहूदी हमारी तरह ही ईश्वर के संतान हैं। इतिहास में उनका शोषण और दमन कर हमने अच्छा नहीं किया।”

इस साक्षात्कार के कुछ ही महीनों बाद रासपूतिन की हत्या कर दी गयी।
(क्रमश:)

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

रूस का इतिहास - तीन (5)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/11/5.html
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