Sunday 21 November 2021

प्रवीण झा - रूस का इतिहास - तीन (18)

              (चित्र: मारिया स्पिरिदिनोवा)

रेड आर्मी (लाल सेना) की शुरुआत देर से हुई, मगर दुरुस्त हुई, और अपने खूंखार रूप में हुई। जैसा मैंने लिखा है कि बोल्शेविक बुरी तरह घिर चुके थे। लेनिन को मारने की सुपारी दी गयी थी, और राजकुमार दिमित्रि ने घोषणा भी कर दी कि उन्होंने यह सुपारी दी है। लेनिन बाल-बाल बच गए। 

समाजवादी क्रांतिकारी (सोशलिस्ट रिवॉल्यूशनरी) समूह राजनैतिक हत्याओं के पुराने उस्ताद रहे थे। उन्होंने तो ज़ार की ही सर-ए-आम हत्या कर दी थी, तो लेनिन क्या चीज थे। इनका नेतृत्व मारिया स्पिरिदिनोवा नामक महिला कर रही थी, जो 1906 में ही ज़ार के अंगरक्षक को गोली से उड़ा चुकी थी। लेनिन से पहले, रूसी क्रांतिकारियों में उनका नाम गर्व से लिया जाता था। यह और बात है कि लेनिन-विरोधी होने के कारण उनको रूसी इतिहास से ही लगभग गायब कर दिया गया। 

20 जून 2018 को लेनिन के ख़ास प्रोपोगैंडा मुखिया वोल्दार्स्की को गोली मार दी गयी। जुलाई में जर्मन राजदूत को। उसी महीने मारिया के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने रूस के केंद्रीय पोस्ट ऑफिस पर कब्जा कर लिया। तमाम बोल्शेविकों को पकड़ कर बंदी बना लिया, जिनमें कद्दावर नेता ज़ेरजिंस्की भी थे। 

लेनिन ने अपने जनरल वात्सेतिस को पूछा, “हम सुबह तक बच पाएँगे?”

उस समय त्रौत्सकी अपने खूँखार रूप में आए। उन्होंने मार्च के महीने से ही एक ‘लाल सेना’ बनानी शुरू कर दी थी। इस सेना का अनुशासन कठिन था, और थोड़ी भी ढील-ढाल पर सीधे गोली मार दी जाती। ज़ार निकोलस के काबिल फ़ौजियों के परिवार को बंदी बना कर उन्होंने उन्हें अपनी सेना में शामिल किया। उनका एक ही मंत्र था- ‘जो भी बोल्शेविक का विरोध करे, उसे पकड़ कर बंद करो या गोली से उड़ा दो’। इसके लिए उन्होंने पहली बोल्शेविक सीक्रेट सर्विस बनायी, जिसका नाम रखा- चेका! 

रातों-रात उन्होंने 600 विरोधियों को जेल में बंद किया और 200 को गोली से उड़ा दिया। इसमें उनके अपने मित्र कामरेड मिखाइल मुरायोव भी शामिल थे, जो लेनिन-विरोधी बन गए थे। उन्हें गोली मार दी गयी। स्पिरिदिनोवा को पकड़ने के लिए उन्होंने सात सौ लातवियाई फौजियों को भेजा, जो उन्हें पोस्ट ऑफिस से घसीटते हुए ले आए। रूस की उस महान महिला क्रांतिकारी को पागलखाने भेज दिया गया (दशकों बाद स्तालिन ने उन्हें गोली से उड़वा दिया)। 

त्रोत्स्की और लेनिन की अगली नज़र अब ज़ार निकोलस पर थी। उन्हें पहले ही साइबेरिया से उठा कर बोल्शेविक गढ़ इकातेरिनबर्ग ले आया गया था।

16 जुलाई को लेनिन और अन्य बोल्शेविक नेता बैठ कर योजना बना रहे थे। 

कामरेड स्वेदलोव ने कहा, “ज़ार निकोलस को भगाने के प्रयास चल रहे हैं। पहले भी हमारा एक गार्ड राजकुमारी के प्रेम में फँस चुका है। वाइट आर्मी के लोग तो उस घर तक पहुँच चुके थे, हमने बहुत मुश्किल से काबू पाया। हमने निर्णय लिया है कि ज़ार को गोली मार दी जाएगी, बाकी परिवार को अलग कर सुरक्षित रखा गया है।”

लेनिन ने कहा, “किसी को कोई आपत्ति?”

एक कामरेड ने कहा, “क्या वाकई परिवार को अलग किया गया है?”

लेनिन ने बात बदलते हुए कहा, “देश की स्वास्थ्य समस्याओं पर थोड़ी चर्चा करते हैं”

ज़ार की देख-भाल का जिम्मा लिए युरोव्सकी एक यहूदी थे, जिन्होंने अपना जीवन गरीबी में गुजारा था। यहूदी होने के कारण ज़ार के समय उनके परिवार के साथ बहुत अन्याय हुआ। वह ज़ार के खून के प्यासे हो गए थे, और सिर्फ़ लेनिन के आदेश का इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने पूरे इलाके की रेकी कर रखी थी, कि कहाँ ज़ार परिवार को मारा जाएगा, और उनकी लाशों को ठिकाने लगाया जाएगा। 

16 जुलाई को वह रसोईघर में पहुँचे तो राजकुमार अलेक्सी एक नौकर लियोनिद के साथ खेल रहे थे। ज़ार परिवार वहीं भोजन करने बैठा था। 

युरोव्सकी ने कहा, “लियोनिद को उसके चाचा इवान ने बुलाया है। आज से वह यहाँ नहीं रहेगा।”

लियोनिद अलेक्सी के बाल-सखा बन गए थे, तो उन्हें निराशा हुई। बाद में उन्हें अधिक निराशा हुई, जब उन्हें पता लगा कि चचा इवान ने उन्हें बुलाया ही नहीं था। उनकी तो पहले ही हत्या कर दी जा चुकी थी। 

डेढ़ बजे रात उन्होंने ज़ार के पारिवारिक चिकित्सक डॉ. बोत्किन को कहा, “बाहर गोलियों की आवाजें आ रही है। ज़ार परिवार पर खतरा हो सकता है। उन्हें नींद से जगा दें, बेसमेंट में ले जाएँ। वहाँ अधिक सुरक्षित रहेंगे।”

ज़ार राजकुमारियाँ इस तरह के स्थान-परिवर्तन के समय अपने अंत:-वस्त्रों में तमाम गहने छुपा कर रख लेती थी। उनकी योजना थी कि भागते समय यह धन काम आएगा। दो बजे रात को वे सभी बेसमेंट पहुँचे।

ज़ारीना अलेक्सांद्रा ने कहा, “यह तो बहुत छोटा कमरा है। कुर्सियाँ भी नहीं है।”

युरोव्सकी ने एक गार्ड को डाँट कर कहा, “तुम्हें तमीज नहीं है? महारानी को कुर्सी दो। दो लाना। एक युवराज के लिए भी”

जब वे दोनों कुर्सी पर बैठ गए, युकोवस्की ने एक काग़ज़ निकाला और ज़ार निकोलस की ओर देखते हुए पढ़ा, “चूँकि ज़ार परिवार के कुछ हितैषी सोवियत के ख़िलाफ़ षडयंत्र रच रहे हैं, यूराल के परिषद ने यह निर्णय लिया है कि ज़ार परिवार को गोली मार दी जाए”
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

रूस का इतिहास - तीन (17)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/11/17_20.html 
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