घटना अमेरिका के न्यूयार्क की है। एक शराबखाने में पार्टी चल रही है। पार्टी जब अपने सबाब पर होती है तो दो लोग नशे में झगडने लगते है। विवाद बाद में मारपीट मंे बदल जाता है। शराबखाने का बाउंसर विगो मार्टेंसन वहां पहुंचता है और दोनों को पीटते पीटते बाहर सडक पर फैंक देता है। देर रात पार्टी खत्म होती है तो लोग जाने लगते है। इधर, शराबखाने के बाहर विगो मार्टेंसन अपनी डयूटी में होता है। जब सब ग्राहक नशे में मदमस्त होकर चले जाते हैं तो शराबखाने का मालिक मार्टेंसन को अंतर बुलाता है और उसे बैठने को कहता है। वो उससे अफसोस जाहिर करते हुये कहता है कि विगो मार्टेंसन आज तुम्हारा आखिरी दिन है। साॅरी विगो मार्टेंसन, शराबखाना कल से नहीं खुलेगा। इसे अनिश्चितकाल के लिये बंद किया जा रहा है। सदमे में आया विगो मार्टेंसन घर आता है और पत्नी से बातें साझा करता है। उसकी पत्नी उसे दिलासा देती है। सुबह विगो मार्टेंसन उठता है तो उसे किचन से कुछ आवाजे सुनाई देती है। जब वो वहां पहुंचता है तो दो अश्वेत पलम्बर वहां वाॅशबेसिंग की मरम्मत कर रहते दिखते हैं। काम खत्म होने के बाद विगो मार्टेंसन की पत्नी उन्हें कांच के गिलाश में पानी पीने को देती है। जब वो चले जाते हैं तो विगो मार्टेंसन उनके गिलाश कूडेदान में फैंक देता है और पत्नी को डांटते हुये पूछता है कि आखिर तुमने उन काले लोगों को ग्लास में पानी क्यों दिया।
ये घटना 1962 की है। जब अमेरिका में अश्वेतों का उत्पीडन अपने चरम पर था। उन्हें दोयम दर्जे का माना जाता था। उन्हें वोट देने का अधिकार भी नहीं था। ऐसे में श्वेत टोनी जैसा आम अमेरिकी अश्वेतों से छूआछूत करते थे। बहरहाल, बेरोजगार विगो मार्टेंसन को जल्द ही एक नई नौकरी चाहिये थी। उसे कुछ दिनों बाद एक काॅल आती है। जिसमें उसे दो माह के लिये डाइवर का आॅफर दिया गया था। उसे इस काम के लिये इतने डाॅलर का भुगतान करने की पेशकश हुई, जितना वो बाउंसर रहते हुये तीन माह में कमा पाता था। अगले दिन मार्टेंसन बताये पते पर पहुंचा तो दंग रह गया। उस आलिशान कोठी का मालिक एक अश्वेत आदमी था। चिढकर विगो मार्टेंसन ने मुंह बिछकाया और मन में बुदबुदाया, अब क्या ये दिन आ गये कि किसी काले इंसान की कार चलाउंगा। लेकिन, उसके सामाने और कोई रास्ता भी नहीं था। उस काले आदमी डा महेरशला अली ने उसे बताया कि वो एक म्यूजिशन है। उसे अमेरिका के कई शहरों में म्यूजिक प्रफाॅरमेंस देनी है। इस पूरे टूर में दो माह लगेंगे। डा महेरशला अली बहुत ही अदब और सज्जन आदमी था। वो शालीनता से विगो मार्टेंसन से पूछते हंै कि क्या वो दो माह के लिये उसका डाइवर और असिस्टेंट बनना पसंद करेगा। विगो मार्टेंसन साफ मना कर देता और कहता है कि वो किसी अश्वेत आदमी का डाइवर बनना अपनी तौहीन समझता है। अपमान होने के बावजूद डा महेरशला अली उसे कहते हैं कि एक बार वो उसे सुबह काॅल कर पूछ लेंगे। अगर तब तक उसका मूड बना तो वो बता सकता है।
घर पहुंचा विगो मार्टेंसन अपनी पत्नी को ये सब बताता है। उसकी पत्नी उसे समझाती है कि क्या फर्क पडता है उसे किसी अश्वेत का डाइवर बनने में, वो भी तब जब घर की आर्थिक हालात ठीक नहीं है और वो अश्वेत उसे बेहतर पैसे भी दे रहा है।
खैर, सुबह डा शार्ली का फोन विगो मार्टेंसन को आ जाता है और वो इस शर्त पर हामी भरता है कि वो केवल उसका डाइवर बनेगा, असिस्टेंट नहीं। कुछ शर्तें भी तय करता है। मसलन, रास्ते में वो उससे बात नहीं करेगा और उससे ज्यादा बकवास भी नहीं करनी है। ये ही शब्द थे मार्टेंसन के। डा महेरशला अली मुस्कुरा कर हां बोल देते है। तय समय पर दोनों निकल पडते है। इधर, विगो मार्टेंसन का इस बात की चिढ हो रही थी कि इस काले आदमी ने अपने नाम के आगे क्यों डाक्टर लगाया हुआ है। जबकि अमेरिका में काले लोगों को उच्च शिक्षा हासिल करना वैसे भी बहुत मुश्किल है। शाम को वो अपने गंतव्य पहुंच जाते है। उस समय पर जहां डा महेरशला अली को अपनी पहली प्रफाॅरमेंस देनी है। एक बडा सा आलिशान आॅडिटोरियम। जहां सभी श्वेत लोग दर्शकदीर्घा में शालीनता से बैठे हुये है। विगो मार्टेंसन बाहर पार्किंग में इंतजार कर रहा है। उसे डा महेरशला अली के म्यूजिक में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। अंदर डा अली पियानो को एडजस्ट करते है। अगल बगल वायलन और बेस गिटार के साथ सहयोगी आर्टिस्ट खडे है। डा महेरशला अली पियानो बजाना शुरू करते है, उससे जो संगीत निकलता है, वो दर्शकों को मदहोश कर देता है। बाहर विगो मार्टेंसन के कानों में संगीत की धुन पडती है तो वो अंदर खींचा आता है। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद होस्ट डा महेरशला अली का परिचय देती है। तब विगो मार्टेंसन को पता चलता है कि उसने क्यों डाक्टर लगाया हुआ है। उस कलाकार के पास तीन डाक्टरेट की डिग्रियां थी। साहित्य में, म्यूजिक में और म्यूजिक के साहित्य में।
लेकिन, जब शो खत्म होता है तो डा महेरशला अली को टायलेट जाना होता है। जहां उन्हें जाने से कार्यक्रम के आयोजक ही रोक देते हैं और उन्हें बाहर एक गंदा सा टायलेट में जाने को कहते हैं। उन्हें बताया जाता है कि ये टायलेट ही अश्वेत लोगों के लिये रखा गया है। अमेरिका में उस समय अश्वेत लोग उन होटलों में नहीं रूक सकते थे, जहां पर श्वेत लोग रूक सकते थे। इसी तरह उनके रेस्टोरेंट और शराबखाने भी अलग थे। कार्यक्रम स्थल से होटल जाते वक्त चार श्वेत लोग डा महेरशला अली की पिटाई कर देते हैं, क्योंकि उन्होंने कोट, पेंट और टाई लगाई हुई होती है।
एक माह बाद मार्टेंसन अपनी पत्नी को पत्र लिखता है। जिसमें वो उसे बेहूदा बाते लिखता है। जब डा महेरशला अली उससे पूछते हैं कि वो क्या लिख रहा है तो बता देता है कि अपनी पत्नी को पत्र लिख रहा है। वो ये भी बता देता है कि उसने क्या लिखा है। डा महेरशला उसे रोकते हैं और बताते हैं कि उसे इन शब्दों को उपयोग नहीं करना चाहिये। उसके बाद डा महेरशला उसे पत्र लिखवाते हैं। जब ये पत्र विगो मार्टेंसन की पत्नी को मिलतस है तो खुशी से झूम उठती है। ऐसा रोमांटिक और क्लासिकल पत्र उसके पति ने पहले कभी नहीं लिखा था। वो मार्टेंसन को पत्र भेजती है कि वो बेहद खुश है।
ऐसे ही डेढ माह कट जाते हैं और विगो मार्टेंसन को डा महेरशला अली के म्यूजिक से प्यार हो जाता है। इधर, वो ये भी देखता है कि कितना शिक्षित, कलाकार और सज्जन इंसान को केवल इसलिये अपमानित किया जा रहा है। क्योंकि वो चमडी से काला है। विगो मार्टेंसन रोने लगता है और डा महेरशला अली से माफी मांगता है। वो पूरे अमेरिका की तरफ से डा शार्ली से माफी मांगता है। इन दो महीनों ने मार्टेंसन की सोच बदल कर रख दी।
ये एक सच्ची घटना है। इस सच्ची घटना पर आधारित एक फिल्म भी बन चुकी है। जिसका नाम है ग्रीन बुक। ग्रीन बुक इसलिये, क्योंकि अमेरिका में पहले अश्वेतों के लिये हर साल सरकार की तरफ से एक डायरेक्टरी प्रकाशित होती थी। जिसमें उनके लिये उन होटलों और रेस्टोरेंट की सूचि होती थी, जिसमें केवल काले नागरिक ही रूक सकते थे। इस फिल्म को कई अंतराष्टीय पुरस्कार मिल चुके है। अकेडमी पुरस्कार समेत बीस से ज्यादा अन्य बडे आवार्ड भी मिले है।
मुझे पता है कि ये कहानी पढ़ने के बाद भी कई लोगों के जेहन वो बात नहीं आयेगी, जो आनी चाहिये। अमेरिका में आज भी अश्वेत वैसे ही लड रहे हैं, जैसे हमारे यहां दलित लड रहे है। दोनों ने हजारों साल भोगा है। अब हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती की किसी डा महेरशला का ड्राइवर बना जाये।
मनमीत
© Manmeet Manmeet
#vss
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