धरती पर खाने-पीने की दिक्कत नहीं थी। बस थोड़ा ढूँढना पड़ता था। जब ऐसे जगह मिल गये, जहाँ जंगली गेहूँ-जौ मिलते हैं, शिकार के लिए जानवर हैं, तो वहाँ पत्थरों के बीच मिट्टी जोड़ कर घर बनाए जाने लगे। उस घर पर उनका नाम नहीं लिखा होता। ये धर्मशाला या रैनबसेरा की तरह थे। जो उधर से गुजरा, रुक गया। यह एक गुफ़ा ही थी, जो आदमी ने बनायी थी। जहाँ गुफ़ा पहले से थे, वहाँ आदमी ने ख़्वाह-म-ख़्वाह घर नहीं बनाए। प्रकृति नहीं छेड़ी।
वे हर साल ख़ास महीने में आते, घास के मैदानों में से अनाज चुनते और फिर से जंगल लौट जाते। ऐसा करने वाले लोग अफ़्रीका के उत्तर में नील नदी के किनारे आने लगे थे। यह आज के केन्या, मिस्र और इथोपिया का इलाका है। यहाँ से एशिया आना आसान रहता।
लेकिन, उस समय भी खाली बैठ कर दिमाग लगाने वाले लोग होंगे। कुछ ऐसी तरकीब हो कि कहीं जाना न पड़े, बैठे-बैठे भोजन मिल जाए। वह अनाज चल कर यहीं आ जाए। वह अपने साथ कुछ जंगली अनाज बाँध कर ले आए, और उसे नील नदी के किनारे गाड़ दिया। मगर वहाँ की गर्मी में वैसी घास उग नहीं पायी। कुछ एक-दो बालियाँ आयी भी, तो उससे क्या होता?
उन्होंने सोचा कि बरसात में रोपेंगे तो शायद आइडिया काम कर जाए। मगर बरसात में बाढ़ आ गयी, और नदी किनारे की सारी मिट्टी बह कर नयी मिट्टी आ गयी। उस दलदल में जब उन्होंने फिर से रोपा तो देखा कि अब कुछ घने घास उग रहे हैं, मगर दलदल में रहें कैसे?
फिर एक आदमी ने दिमाग लगाया, “क्यों न हम पानी ही खींच कर ले आएँ?”
“वह कैसे?”
“हम एक रास्ता बनाएँगे, जो नदी के पानी को यहाँ जंगल तक लेकर आएगा।”
“मगर यहाँ तो घने जंगल हैं। यहाँ कहाँ घास उगेगी?”
“हम ये जंगल काट देंगे। मैदान बना देंगे।”
“क्या बकवास कर रहे हो? इतने बड़े पेड़ काट कर घास उगाओगे?”
“उनसे खाना तो आराम से मिलेगा? ये पेड़ वैसे भी किस काम के है? छाँव के लिए हम घर तो बना ही रहे हैं।”
इस तरह आदमी जंगल काट कर या जला कर मैदान बनाने लगा, अनाज रोप कर फसल उगाने लगा, और नहर बनाने लगा। दस हज़ार वर्ष पूर्व दुनिया के अलग-अलग इलाकों में किसी न किसी नदी के किनारे पहली बार खेती शुरू हुई। एक शिकारी ख़ानाबदोशी मानव अब बस्तियाँ बना कर रहने लगा था।
पहले भी आदमी ने जानवरों का खात्मा किया था, मगर यह पहला मौका था जब मानव ने प्रकृति के नियमों को बदलने की कोशिश थी। अच्छी चीज यह हुई कि मानव भटकना छोड़ कर सेटल होने लग गये, और बुरी चीज भी यही हुई।
( क्रमशः)
#historyforchildren #basics #groundzero
What was the flooding season in Nile River?
A. January-March
B. April-June
C. July-September
D. October-December
(Yesterday’s answer- A. Prayagraj, Pratapgarh, Mirzapur etc. in UP have sites of early agriculture settlements)
प्रवीण झा
© Praveen Jha
स्कूली इतिहास (8)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/07/8.html
#vss
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