Wednesday, 28 July 2021

प्रवीण झा - स्कूली इतिहास (16)


                      ( चित्र: मेहरगढ़ )

“आप यह कैसे कह सकते हैं कि मानवों की बस्तियाँ पूरी दुनिया में थी जबकि सभ्यता के चिह्न गिने-चुने जगह ही मिले?”

“इसके लिए पहले बताए गए मानव प्रवास पर नज़र डालिए। मानव तो हिम-युग से पहले ही पूरी दुनिया में पसर चुके थे। मानव के चिह्न भी हर क्षेत्र में मिले। यह सत्य है कि सभ्यता कहने के लिए हर स्थान उपयुक्त नहीं।”

“मतलब मनुष्य हर स्थान पर थे, मगर सभ्यता नहीं थी?”

“कुछ हद तक। जैसे अगर भारत के अभी हर स्थान ध्वस्त कर दिये जाए, तो हमें क्या मिलेगा? जहाँ फूस की या मिट्टी की झोपड़ियाँ होंगी, वहाँ शायद कुछ न मिले। शहर की बड़ी इमारतों की नींव शायद मिल जाए। इसका अर्थ यह नहीं कि सिर्फ शहर में सभ्यता थी।”

“लेकिन, सभ्यताओं में भी जितना लिखित हमें सुमेर में मिलता है, उतना मेहरगढ़ या मिस्र में नहीं मिलता।”

“इसकी वजह एक तो यह भी है कि बलूचिस्तान के राजनैतिक हालात ऐसे नहीं कि वहाँ तरीके से छान-बीन की जा सके। मगर हमें भिन्न-भिन्न कालखंडों के नगर भिन्न-भिन्न गहराइयों में मिले। जैसे एक नगर दब गया, उसके ऊपर दूसरा नगर बसा।”

“मिस्र में तो यह बात नहीं थी। वहाँ क्यों नहीं मिले?”

“इसका एक विचित्र कारण है। मिस्र एक कदम आगे बढ़ गया था। वहाँ पेपिरस (काग़ज़) पर लिखने की शुरुआत पहले हो गयी थी, जबकि सुमेर में गीली मिट्टी पर ही लिखा जा रहा था। काग़ज़ और वह भी हज़ारों वर्ष पुराना काग़ज जो कहीं दब-गल गया, उसका मिलना और उस पर लिखी स्याही का सही सलामत बचना असंभव है। फिर भी लगभग साढ़े चार हज़ार वर्ष पुरानी ‘मेरर की डायरी’ तो मिली ही।”

“ऐसा ही तालपत्रों और भोजपत्रों के साथ भी हुआ होगा?”

“संभव है। संभव तो यह भी है कि आज अगर दुनिया तबाह हो जाए, तो कंप्यूटर और क्लाउड के करोड़ों दस्तावेज स्वाहा हो जाएँगे, लेकिन मौर्यकालीन शिलालेख फिर भी बचे रह जाएँगे। इसका अर्थ यह तो नहीं कि मानव ने पढ़ना-लिखना छोड़ दिया था”

“लेकिन, यह कैसे कहा जा सकता है कि भारत में भिन्न-भिन्न स्थान पर मानव आगे बढ़ रहे थे?”

“हमें प्रगति के अन्य चिह्न मिलते रहे हैं। पाषाण युग से कांस्य युग और लौह युग की प्रगति के वैसे ही प्रमाण मिले हैं। भीमबेतका में भी कई कालखंडों के चित्र हैं, जिसका अर्थ है कि वहाँ हज़ारों वर्षों तक मनुष्य रहे। संगीत-रंगकर्म से जुड़े चित्र भी हैं। क्या इसे सभ्यता न कहा जाए?”

“तो क्या महाभारत और रामायण के कालखंडों को भी माना जाए?”

“यहाँ मैं सामाजिक मान्यता और विश्वास की बात नहीं कर रहा। कार्बन और यूरेनियम डेटिंग की चर्चा पहले की है। वैज्ञानिक रूप से काल-खंड उसी से निर्धारित होता है। चाहे सुमेर हो या मिस्र हो या भारत, अब काल-गणना उसी आधार पर होती है। यह बात ज़रूर है कि जिसकी डेटिंग नहीं हुई, या जो खोजा नहीं जा सका, उसके विषय में वैज्ञानिक रूप में कहना कठिन है। यह काम तो आप में से किसी एक को भविष्य में करना है।”
( क्रमशः)

Question for discussion: What did those humans do, who were not part of any civilization? 

A. Lived like hunter-gatherer
B. Did farming but didn’t read or write
C. Didn’t design cities, but lived in small groups. 
D. All of the above
E. None of the above (Explain) 

(Last Answer: B. Daojali hading is a neolithic site in Brahmaputra valley) 

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

स्कूली इतिहास (15)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/07/15.html
#vss 

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