“हम यह कैसे कह सकते हैं कि मानव अफ़्रीका से ही आए?”
“मानव अफ़्रीका से नहीं आए। होमो सैपिएन्स अफ़्रीका से आए, यह माना जाता है।
“यानी मानव प्रजातियाँ अन्य स्थानों पर थी?”
“इसके एक नहीं कई सबूत हैं। भारत में नर्मदा स्त्री, रामापिथिकस, चीन में दाली मैन, इंडोनेशिया में जावा मैन आदि”
“मगर सैपिएन्स अफ़्रीका से ही आए, यह कैसे कहा जा सकता है? हो सकता है भारत में भी रहे हों?”
“जब तक अफ़्रीका से पुराने सैपिएन्स मिल नहीं जाते, यह कहा नहीं जा सकता। अफ़्रीका में तीन लाख वर्ष पुराने सैपिएन्स मिले, लेकिन अन्य स्थानों पर तीस से साठ हज़ार वर्ष पुराने ही मिल सके। ऐसा नहीं कि खोजा नहीं गया। भारत ने तो डायनॉसोर के अंडे तक खोज लिए, कई मानव अस्थियाँ मिली। यूरोप में नियंडरथल खूब मिले। मगर सैपिएन्स प्रजाति में अफ़्रीका अभी लाखों वर्ष की लीड लेकर चल रहा है।”
“इस बात की क्या गारंटी है कि अफ़्रीका से ही मानव भारत या अन्य स्थानों पर गए?”
“आज से तीन-चार दशक पहले यह सब पक्का कहना कठिन था। लोग उनके औजारों से, भाषा से, रस्मों से, रंग से, बनावट से, धर्मग्रंथों की बातों से, आज के ब्लड ग्रुप से मिलान करते रहते। मगर डीएनए ने सभी गणित बदल कर रख दिए। आज के समय वह ऐसी पत्थर की लकीर है, जिसे काटना कठिन है।”
“तो क्या वाकई अफ़्रीका से बाहर हर व्यक्ति के पूर्वज एक ही थे?”
“हर व्यक्ति का डीएनए तो जाँचा नहीं गया। मगर पूरी दुनिया के उपलब्ध डीएनए डाटा का एक बैंक बना, जिसे जीनोम बैंक कहते हैं। यह एक ओपेन-एक्सेस डाटा-बैंक है, जिसमें हर दिन सैकड़ों जीनोम जमा होते हैं। हैदराबाद का परीक्षण भी वहाँ अपलोड होता है, सिडनी का भी। उनके आधार पर समूह तैयार होते हैं।”
“कैसे समूह?”
“एक जैसे डीएनए अक्षर और एक जैसे म्यूटेशन के समूह। इसे हैप्लोग्रुप कहते हैं। जैसे अफ़्रीका के अंदर मूल L समूह के कई उपसमूह मिलते हैं, जबकि अफ़्रीका के बाहर सिर्फ़ L3 समूह ही बहुधा मिलते हैं। उस समूह की M और N शाखा एशिया, और अधिकांश N शाखा यूरोप में।”
“भारत में कौन सी शाखा है?”
“वर्तमान डाटा के अनुसार, भारत में N की उपशाखा R और उसकी उपशाखा U अधिक है।”
“इसका क्या अर्थ निकलता है?”
“इसका एक अर्थ तो यह है कि सभी भारतीयों के पूर्वज लगभग एक ही आदि-मूल शाखा से हैं। उपशाखाओं का अर्थ है कि भारत एक जंक्शन था, जहाँ भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से मानव आए, कई आकर बसे, और कई अन्य स्थान गये।”
“जैसे आपने लिखा कि भारत से ही ऑस्ट्रेलिया गये? कूद-फाँद कर गये? ऐसा कैसे मुमकिन है?”
“आप मानचित्र पर ग़ौर फरमाइए और बताइए कि यह कैसे मुमकिन है? किस रास्ते से मुमकिन है? थाइलैंड से मलेशिया से इंडोनेशिया से ऑस्ट्रेलिया तक कई टूटे पुल शायद दिख जाएँ? शायद कोई रीफ़ (उथले चट्टान/शैलभित्ति) दिख जाए? यह अंदाज़ा लगे कि हिम-युग में बर्फ़ जमने से रास्ते बने हों? सबसे अकाट्य सत्य तो वहाँ के आदिवासियों के डीएनए का मिलान ही होगा। आदमी क्या, किसी जानवर की भी कुंडली निकल जाएगी। जैसा एक ख़ास कुत्ते का जिक्र किया है।”
“हाँ! मैंने पढ़ा है कि ऑस्ट्रेलिया कभी भारत से जुड़ा हुआ था, और बाद में कट कर अलग हुआ”
“वह मानव के आने से लाखों वर्ष पुरानी बात है। मानव के आने के बाद डगर कठिन थी। मगर वे जहाँ तक पहुँच सकते थे, बिना हवाई जहाज के और बिना जीपीएस के, पहुँचे!”
( क्रमशः)
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What does homo sapiens literally mean?
A. Erect Human
B. Modern Human
C. Wise Human
D. Ape like human
(Yesterday’s answer: D. Burial sites)
प्रवीण झा
© Praveen Jha
स्कूली इतिहास (5)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/07/5.html
#vss
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