A poem..
दुःख और ज़िंदगी
आँखों में ,
अश्कों के दरिया, का ,
सागर है ,
और मुस्कराहट !
उस दरिया में तैरती एक नाव ,
उफनती लहरों से लड़ती हुयी,
लगा अब डूबी , अब पलटी..
अजीब हमसफ़र हैं दोनों ,
दरिया भी नाव भी ,
अश्क भी , मुस्कराहट भी ,
इन्हें रहने दो साथ साथ ,
बहने दो ऐसे ही ,
जब तक ज़िन्दगी है ..
दुःख और ज़िंदगी अलग अलग नहीं रह सकते ,
मेरे दोस्त !!
-vss
बढ़िया कविता...बहुत कुछ सीख लिया इन चंद लाइनो से...
ReplyDeletethanks Digvijay...
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