Friday, 30 November 2012

A poem.. दुःख और ज़िंदगी




A poem..
दुःख  और ज़िंदगी 

आँखों  में , 
अश्कों के दरिया, का , 
सागर   है ,
और मुस्कराहट !
उस  दरिया  में  तैरती  एक  नाव ,
उफनती  लहरों  से  लड़ती  हुयी,
लगा अब डूबी , अब पलटी..

अजीब  हमसफ़र  हैं  दोनों ,
दरिया  भी  नाव   भी ,
अश्क  भी , मुस्कराहट  भी ,

इन्हें  रहने  दो  साथ  साथ ,
बहने  दो   ऐसे  ही ,
जब  तक  ज़िन्दगी  है ..
दुःख  और  ज़िंदगी अलग अलग  नहीं  रह सकते ,  
मेरे  दोस्त  !!
-vss

2 comments:

  1. बढ़िया कविता...बहुत कुछ सीख लिया इन चंद लाइनो से...

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