pl read this short poem...
सुनो ,
कैसे कहें तुम से,
कि , ''तुम्हारे बिन अधूरे हैं,
न कोई प्यास बाकी है
न कोई दर्द उठता है ,
हाँ !
मगर एहसास है बाकी,
कि,
तुम्हारे बिन अधूरे हैं !!''
शब्द जो होता कोई ऐसा ,
तो, कह देते जुबां से हम ,
तुम्हारे दिल पर जा गिरता,
तुम्हे भी याद आते ,
वो शोख लम्हे . वो बीते क्षण, !
गम -ए -हिज्राँ से कांप उठते तुम .
मथती इक भंवर यादों की तुम को,
और ,
तड़प के तुम भी कह उठते ,
तुम्हारे बिन अधूरे हैं ,
तुम्हारे बिन अधूरे हैं ...
-vss
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