Wednesday, 14 November 2012

A Short Poem.....''तुम्हारे बिन अधूरे हैं,






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सुनो ,
कैसे कहें तुम से,
कि , ''तुम्हारे बिन अधूरे हैं,
न कोई प्यास बाकी है
न कोई दर्द उठता है ,
हाँ !
मगर एहसास है बाकी,
कि,
तुम्हारे बिन अधूरे हैं !!''

शब्द जो होता कोई ऐसा  ,
तो, कह देते जुबां से हम ,
तुम्हारे दिल पर जा गिरता,
तुम्हे भी याद आते ,
वो शोख लम्हे . वो बीते क्षण, !
गम -ए -हिज्राँ से कांप उठते तुम .
मथती  इक भंवर यादों  की तुम को,
और ,
तड़प के तुम भी कह उठते ,
तुम्हारे बिन अधूरे हैं ,
तुम्हारे बिन अधूरे हैं ...
-vss

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