Sunday 3 November 2019

व्यक्तित्व - 98 साल के एन शंकरैय्या / विजय शंकर सिंह


15 जुलाई 1921 को तमिलनाडु में जन्मे एन शंकरैया 100 साल पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं और अब भी इस उम्र में मानसिक रूप से सक्रिय हैं। वे एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी है। पर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी की हैसियत से सरकार द्वारा दी जा रही कोई भी सुख सुविधा, जैसे, पेंशन, भत्ते, रेलवे पास या अन्य कुछ नहीं लेते हैं । उन्होंने जीवन भर ऐसी सुविधा ली ही नहीं। अब वे 98 साल के हैं।
1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुयी तो अन्य सक्रिय मार्क्सवादी नेताओ की तरह वे भी जेल में डाल दिये गए। जब सब छोड़े गए तो वह भी छूटे। जेल में भी, मीसाबंदियों के लिए घोषित सुविधाओं को नहीं लिया। बोले मैने विरोध और आंदोलन का फर्ज निभाया है, जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी की है। मैंने देश पर कोई अहसान नही किया है।
शंकरैया, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिव भी रहे। वे चार बार मदुरै ईस्ट और वेस्ट विधानसभा क्षेत्र से, तमिलनाडु विधान सभा के लिए भी निर्वाचित हुए। शंकरैया, सीपीआई(एम) के तमिलनाडू राज्य समिति के सचिव और केंद्रीय कमेटी के सदस्य भी रहे। बाद में वे पार्टी के कंट्रोल कमिशन के चेयरमैन रहे। फिर केंद्रीय कमेटी के स्थाई आमंत्रित सदस्य। बाद में उन्होने ने ही स्वास्थ्य कारणों से मुक्त होने के लिए पार्टी से निवेदन किया।
यह सब तो उनके जीवन के बारे में है । उनके त्याग, लगन, समाजवादी आंदोलन के प्रति उनके समर्पण की बातें हैं। महत्वपूर्ण यह है कि 98 साल के कॉमरेड शंकरैया ने, कम्युनिस्ट पार्टी के एक समारोह में जो उसके गठन के सालगिरह के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा था, मंच से अपनी बात कही।
वैसे तो कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 26 दिसंबर 1925 में कानपुर में की गई थी और यही आधिकारिक स्थापना दिवस भी है। पर इसके पहले ही 17 अक्टूबर 1920 को कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना ताशकंद में की जा चुकी थी। ताशकंद में स्थापित कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना करने वालों में, एमएन रॉय ( मानवेन्द्र नाथ रॉय ) उनकी पत्नी एवलेन्ट ट्रेंट रॉय, अबनी मुखर्जी, उनकी पत्नी, रोसा फिटिंगफ, मोहम्मद अली ( अहमद हसन ), मुहम्मद शफीक सिद्दीकी, हसरत मोहानी, भोपाल के रफीक अहमद, एमपीटी आचार्य, और नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रविन्सेस के सुल्तान अहमद खान तरीन थे। यह ग्रुप कम्युनिस्ट पार्टी का ताशकंद ग्रुप कहा जाता है, क्योंकि इसकी स्थापना ताशकंद में हुयी थी । एमएन रॉय इसमे सबसे सक्रिय थे।
इसके अलावा देश के विभिन्न भागों में भी कम्युनिस्ट आंदोलन के आधार पर कम्युनिस्ट ग्रुप लोगों ने गठित किये। जैसे, बंगाल में मुजफ्फर अहमद, बंबई में श्रीपाद अमृत डांगे, मद्रास में सिंगरवेलु चेट्टियार, संयुक्त प्रान्त में शौकत उस्मानी, पंजाब और सिंध में ग़ुलाम हुसैन द्वारा कम्युनिस्ट ग्रुप गठित किया गया था। इन सभी अलग अलग ग्रुपों को मिला कर कानपुर में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 1925 में हुयी। अपने उद्योगों के कारण तब कानपुर पूर्व का मैनचेस्टर कहा जाता था। अब कानपुर का वह औद्योगिक गौरव नहीं रहा।
शंकरैया 17 अक्टूबर को 1920 में गठित कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग ले रहे थे। इस उम्र में भी उन्होंने लोगो से कहा कि,
" पार्टी की विचारधारा को लेकर गांव गांव पहुंचे। जो सदस्य नाराज हो कर घर बैठ गए हैं उनसे कहा कि यदि मार्क्स और लेनिन से कोई मतभेद विवाद नहीं है तो तुच्छ बातों को भूल कर पार्टी में सक्रिय हों। "
98 वर्ष की वय तक पहुंचना तो कठिन है ही, पर उस उम्र में मंच पर सक्रिय रह कर अपनी बात कहना तो और भी कठिन है। और यह एक सुखद आश्चर्य की अनुभूति भी कराता है। शंकरैया जीवन के सौ वर्ष स्वस्थ, सानन्द और सुखी रहते हुये पूरा करें, यही शुभकामना है

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