Friday 8 November 2019

9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट अयोध्या भूमि विवाद का फैसला आएगा / विजय शंकर सिंह



यह मुक़दमा न तो राम के अस्तित्व पर है न ही रामजन्म की ऐतिहासिकता पर है। यह मुक़दमा अयोध्या स्थित एक भूखंड के मालिकाना हक पर है। टाइटिल सूट पर है। हाईकोर्ट इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने उस विवादित भूखंड जो 2.77 एकड़ है को तीन हिस्सों में बांट कर मालिकाना हक तय किया था। एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा, दूसरा हिसा रामलला विराजमान और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दे दिया था। तीनो ही इस फैसले से नाखुश हुये और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट इसी भूमि विवाद पर कल फैसला सुनाने वाला है।

2010 में जब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुनाया था, तब भी कानून व्यवस्था और नागरिकों के  सुरक्षा की अच्छी व्यवस्था की गयी थी। इस बार भी उसी प्रकार की व्यवस्था की गयीं है। एक अच्छी बात यह है कि दोनों धर्मो के नेता और गणमान्य लोग भी इसबार साथ साथ मिलकर शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। उम्मीद है लोग इनकी बातों को सुनेंगे और शांति बनाए रखेंगे। यह फैसला आस्था का है ही नहीं। किसी की आस्था पर कोई सवाल उठाया भी नहीं जा सकता है और उठाया जाना भी नहीं चाहिये। मुक़दमा ज़मीन के मालिकाना हक का है फैसला भी उसी विंदु पर आएगा।

दंगा सब नहीं करते हैं। दंगा भीड़ भी नहीं करती है। दंगा भीड़ और लोगों के बीच छुपे हुये अराजक और असामाजिक तत्व करते हैं। पर उनको दंगे का आधार धार्मिक कट्टरपंथी तत्व उपलब्ध करा देते हैं। आप को अगर यह लगता है हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही धर्मो के कट्टरपंथी एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं तो आप मुगालते में हैं। दोनों ही एक दूसरे को खाद पानी देंते रहते हैं। दोनों ही एक दूसरे के अस्तित्व हेतु आधार उपलब्ध कराते रहते हैं। एक के बिना दूसरा अप्रासंगिक हो जाएगा, मर जायेगा। अब यह इन धर्मो के समझदार लोगों पर निर्भर है कि वह अपने अपने धर्म के ऐसे कट्टरपंथी तत्वों का खुलकर विरोध करें।

एकतरफा कट्टरता टिक ही नही सकती। करार चाहिये, बेकरार होने के लिये । दोनों ही एक दूसरे की कट्टरता के उत्तर में और अधिक अनुदार और कट्टर होते जाते हैं। ये एक दूसरे के धर्मो की उन सारी बुराइयों को ग्रहण कर लेते हैं और जो समाज बनता है वह कट्टर, अनुदार, अतार्किक और अधार्मिक होता है।  यह कट्टरपंथी तत्व धर्म के बाह्य आवरण ओढ़े हुये शैतान की ही तरह होते हैं जो मारीच की भूमिका में अक्सर दिखते हैं। 

ऊपर से यह सब शांति और सद्भाव की बड़ी बड़ी बातें करेंगे । आप को धर्मग्रंथों के रटे पर बगैर आत्मसात किये हुए सुभाषित सुनाएंगे, पर अंदर अंदर वह यह चाहते हैं कि उत्तेजना फैले, दंगे भड़के और उससे उनका हित सधे। इन कट्टरपंथी लोगों को पहचानिए, उन्हें एक्सपोज़ कीजिये। साम्रदायिक दंगो में सबसे अधिक नुकसान उस आम जनता और उन विधिपालक नागरिको का होता है जो मेहनत करके खाते कमाते हैं, और अपने लिये एक बेहतर जीवन चाहते हैं। 

( विजय शंकर सिंह )

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