Friday, 26 May 2023

सेंगोल, सत्ता का हस्तांतरण और नेहरू की छड़ी / विजय शंकर सिंह



यहां दो प्रतीक दिए गए हैं। एक के शीर्ष पर, सिंह और एक के शीर्ष पर बैल या नंदी जो कह लें वह है। शेर तो सम्राट अशोक का प्रसिद्ध प्रतीक है जो भारत का अब राज चिह्न है और सारनाथ म्यूजियम में रखा है। नंदी या बैल भी मौर्य या मगधकालीन प्रतीक है। वैसे नंदी प्रतीक तो सैंधव सभ्यता के समय से ही मिलता आया है। हो सकता है मौर्यों से ही कालांतर में यह प्रतीक दक्षिण पहुंच कर, चोल साम्राज्य का प्रतीक बन गया हो। या हो सकता है कि, सिंधु घाटी का ही नंदी, मगध से होते हुए चोल साम्राज्य तक पहुंच गया हो। जो भी हो, इसकी कोई विशेष जानकारी मुझे नहीं मिली। इतिहासकार मित्रों से अनुरोध है कि, वे इसपर शोध कर हम सबका ज्ञानवर्धन करें। 

मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त आखिरी समय में जैन हो गए थे और उन्होंने दक्षिण में ही देह त्याग किया था। हो सकता है उन्ही के बाद जो दक्षिण उत्तर के साम्राज्यों का जो सम्मिलन हुआ हो, उसी में नंदी की यह यात्रा हुई हो। सैंगोल, जिसे चोल साम्राज्य का राजदंड कहा जा रहा है, उसे भी इलाहाबाद के म्यूजियम में जवाहरलाल नेहरू की सुनहरी छड़ी के रूप में रखा गया है। अमूमन अजायबघरों में, सरक्षित वस्तुओं का संक्षिप्त विवरण भी अंकित होता है। यदि यह चोल साम्राज्य के राजदंड की अनुकृति है तो इस पर चोल साम्राज्य का राजदंड जरूर अंकित होना चाहिए था। अब वामपंथी इतिहासकारों ने इसे भी छुपा लिया हो तो मैं नहीं जानता। 

14/15 अगस्त को जो सत्ता के हस्तांतरण का जो उल्लेख, तत्कालीन विवरणों के रूप में, जैसे, वीपी मेनन की ट्रांसफर ऑफ पावर, उस समय उपस्थित देश विदेश के पत्रकारों के विवरण, फ्रीडम एट मिडनाइट, लॉर्ड माउंटबेटन की डायरी, उनका एक इंटरव्यू है और भी कुछ संदर्भ है में संगोल का उल्लेख नहीं मिलता है। हो सकता है यह नेहरू को किसी मीमेंटो के रूप में दिया गया हो, और इसे नेहरू ने स्वीकार कर फिर अलग रख दिया हो। एक ऐतिहासिक क्षण में दिया गया हर उपहार का महत्व ऐतिहासिक ही होता हो। फिर यह सेगोल, इलाहाबाद म्यूजियम में रख दिया गया हो। 

जो भी सच्चाई हो, पर सेंगोल, सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक नहीं है। क्योंकि एक दिन पहले, 14 अगस्त को, पाकिस्तान भी अस्तित्व में आया था, पर वहां इस तरह के किसी प्रतीक की चर्चा नहीं होती है। गृहमंत्री अमित शाह जी का एक इंटरव्यू मैं देख रहा था। इतिहास की जानकारी वह साझा कर रहे थे। अडानी के मनी लांड्रिंग आधारित, 20 हजार करोड़ रुपए के निवेश की, उन्हे जानकारी हो या न हो, सत्ता के हस्तांतरण और सेंगोल की आध्यात्मिकता की उन्हे पूरी जानकारी है। सेंगोल या राजदंड का आदान प्रदान, सत्ता के हस्तारण का प्रतीक नहीं था, यह एक सामान्य घटना थी। सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था, यूनियन जैक का उतारा जाना और तिरंगे का आरोहण। ट्रिस्ट ऑफ डेस्टिनी जैसे कालजयी उद्बोधन का प्रसारण और जब दुनिया सो रही थी तो, एक राष्ट्र का अंगड़ाई लेते हुए उठ खड़ा होना। 

विजय शंकर सिंह 
Vijay Shanker Singh 

No comments:

Post a Comment