Wednesday, 17 May 2023

आर्यन खान केस और समीर वानखेड़े की याचिका / विजय शंकर सिंह

आर्यन खान मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में नॉरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के खिलाफ, दिल्ली हाईकोर्ट ने, 5 दिनों तक कोई भी एक्शन लेने से, सीबीआई को मना किया है। 

इस याचिका में समीर वानखेड़े और एनसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुई बातचीत (चैट) भी कोर्ट के सामने रखी गई। एबीपी के अनुसार, यह चैट राहत मिलने की बड़ी वजह है। चैट से यह बात भी सामने आई है कि, समीर वानखेड़े, आर्यन खान से जुड़ा हर अपडेट वरिष्ठ अधिकारियों को बता रहे थे। एनसीबी के वरिष्ठ अधिकारी समीर वानखेड़े को मेसेज भेजकर आर्यन खान के ज्यादा दिनों की रिमांड के लिए जोर देने को कह रहे थे।

याचिका में उल्लिखित चैट के मुताबिक, आर्यन खान कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग्स केस के दौरान एनसीबी के जोनल डायरेक्टर रहे समीर वानखेड़े जांच और कानूनी प्रक्रिया से जुड़ी हर डिटेल एनसीबी के महानिदेशक (डीजी) सत्यनारायण प्रधान , उपमहानिदेशक (DDG) अशोक मुथा जैन, उपमहानिदेशक (DDG) ज्ञानेश्वर सिंह और अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) संजय सिंह के साथ साझा कर रहे थे।

एबीपी की खबर के अनुसार, डीडीजी अशोक मुथा जैन ने कहा था कि डीजी का आदेश है कि, रिमांड के लिए मजबूती से लड़ा जाए। जैन ने वानखेड़े से इस मामले में अतिरिक्त सहायता के लिए इंदौर, अहमदाबाद से अधिकारी और स्टाफ की भी पेशकश की थी जिस पर समीर वानखेड़े ने हां कहा था। इसके बाद डीडीजी ने अतिरिक्त स्टाफ भेजने की बात कही। अब डीजी एनसीबी ने एक ऐसे मामले में, जिसमे बिना बरामदगी के, एनडीपीएस एक्ट का केस दर्ज है में, रिमांड पर लेने के लिए ऐसा क्यों कह रहे हैं, जैसे अनेक सवाल आगे उठेंगे। अभी तो सीबीआई की जांच शुरू हुई है, अभी कोई अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी।

मुझे लगता है, समीर वानखेड़े, अदालत को अब यह समझा रहे हैं कि, आर्यन खान केस में जो कुछ भी हुआ था, वह अकेले उनके स्तर पर नहीं हुआ था। एनसीबी NCB मुख्यालय और वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा जैसा निर्देश मिल रहा था, वैसा ही वे कर रहे थे। रिमांड लेना या न लेना, जमानत का विरोध करना या न करना, यह जांचकर्ता का दायित्व है। महत्वपूर्ण मामलों में मुख्यालय से निर्देश मिलना भी कोई अनोखी बात नहीं है। महत्वपूर्ण मामलों में निर्देश मिलते भी रहते हैं। 

लेकिन समीर वानखेड़े का यह भी दायित्व था कि वे जमीनी स्थिति से अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते रहें। अब यह पता नही है कि केवल चैट ही के द्वारा मुख्यालय से उन्हे आदेश निर्देश मिलते रहे हैं, और समीर भी जमीनी हकीकत से अपने वरिष्ठों को अवगत कराते रहे हैं, या कोई अन्य विभागीय पत्र व्यवहार भी हुआ है। 

आर्यन खान के पास से कोई ड्रग बरामद नहीं हुआ था। फिर भी लंबी अवधि तक, उन्हे रिमांड पर रखा गया और जमानत का विरोध किया गया। यह भी अखबारों से पता चलता है कि, उन्हे छोड़ने और मामला रफा दफा करने के लिए, ₹25 करोड़ की रिश्वत, शाहरुख खान से, समीर वानखेड़े के नाम पर मांगी गई। इतनी बड़ी रकम, बिना समीर वानखेड़े की मर्जी से नहीं मांगी गई होगी। अब जब जांच पूरी हो तो पता चले। यह भी खबर है कि, ₹50 लाख की रकम एडवांस में ली भी गई। क्या इन सबका भी कोई उल्लेख चैट में होगा? मुझे नहीं लगता, इसका कोई उल्लेख चैट में होगा।  

यह मामला शुरू से ही संदिग्ध और एक्सटोर्शन का लग रहा था। न तो ड्रग की बरामदगी, न करनेलिया शिप से गिरफ्तारी, छोड़ने के लिए रिश्वत की मांग करना, रिमांड की अवधि में, इंटेरोगेशन के समय की फोटो सार्वजनिक रूप से मीडिया/सोशल मीडिया पर वायरल कराया जाना, यह सब कुछ ऐसी असामान्य गतिविधियां हैं,  जो समीर वानखेड़े द्वारा की गई कार्यवाहियों को संदेहास्पद बनाती हैं। 

० विजय शंकर सिंह 

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