Saturday, 27 May 2023

सेंगोल, जिसे चोल साम्राज्य का राजदंड कहा जा रहा है, का सच / विजय शंकर सिंह

जिस सेंगोल को, लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा सत्ता के हस्तांतरण के संदर्भ में, चोल साम्राज्य के राजदंड के रूप में,  जवाहरलाल नेहरू को प्रदान करने की बाद सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा कही जा रही है, वह अब तक, किसी तत्कालीन साक्ष्य या दस्तावेजों से प्रमाणित नहीं हो पायी है। 

सेंगोल का सच, इस पेपर कटिंग से आप जान सकते हैं। यह पेपर कटिंग, मद्रास, (अब चेन्नई) से छपने वाले अखबार, इंडियन एक्सप्रेस के 12 अगस्त का है। इंडियन एक्सप्रेस में एक खबर शीर्षक, Golden Sceptre For Pandit Nehru, से छपी थी, जिसमे इस सेंगोल का पूरा विवरण अंकित है। अंग्रेजी में छपे इस खबर का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है। 
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पंडित नेहरू के लिए सुनहरा राजदंड
थिरुवदुथुराई मठ के प्रमुख द्वारा प्रस्तुति

मायावरम, 11 अगस्त। यह आधिकारिक रूप से घोषित किया गया है कि, परम पावन श्री ला श्री अंबालावना देसिका स्वामीगल, तिरुवदुथुरे के महासन्निदनम!  आदिनम, तंजौर डीआईबी-ट्रस्ट ने पंडित जवाहरलाल नेहरू, भारतीय डोमिनियन के पहले प्रधान मंत्री के लिए एक स्वर्ण  राजदंड, पेश करने का फैसला किया है, जो लगभग 15,000 रुपये मूल्य के रत्नों से जड़ा हुआ है और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने परम पावन द्वारा प्रदत्त यह उपहार ठीक उसी समय, 14 अगस्त को, 11 बज कर 5 मिनट पर, ग्रहण करना स्वीकार किया है।  

इस समारोह में परम पावन का प्रतिनिधित्व करने के लिए थिरुवथिगल के श्री कुमारस्वामी थम्बिरन और श्री आर रामलिंगम पिल्लई, दक्षिणम अधीक्षक कल न्यू दिल्ली के लिए रवाना हुए। गोल्डन राजदंड को नाथस्वरम या श्री टी. एन. राजरत्नम पिल्लई आदिनम विद्वान के साथ जुलूस में संविधान सभा हॉल में ले जाया जाएगा।
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इससे यह साफ पता चलता है कि, यह दक्षिण भारत के एक प्रतिष्ठित मठ द्वारा गढ़वाया गया और मंत्रों से अभिषिक्त और पूजित दंड है और उसे मठ के आचार्य, जिन्हे अखबार में His Holiness परम पावन कहा गया है, ने अपने आशीर्वाद स्वरूप जवाहरलाल नेहरू को भेजा था। 10 अगस्त को यह प्रसाद दंड,  चेन्नई, (तब मद्रास) से, रवाना किया गया और यह तय हुआ था कि, संविधान सभा के हॉल में जहां आजादी के उत्सव का प्रारंभ होना था, वहां इसे जुलूस में, समारोह पूर्वक ले जाया जाएगा और यह प्रसाद, नेहरू जी को दिया जायेगा। और ऐसा ही हुआ भी। 

अब इस पूरे प्रकरण में न तो लॉर्ड माउंटबेटन का उल्लेख है और न ही चोल राजाओं के राजदंड का। यह एक आशीर्वाद प्रतीक था, जिसे नेहरू ने,  ग्रहण किया और फिर इसे म्यूजियम में रख दिया गया। तत्कालीन इतिहास की पुस्तकों में भी लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा राजदंड दिए जाने का कोई उल्लेख इसलिए नहीं मिलता है कि, ऐसी कोई सेरेमनी हुई ही नहीं थी। यदि माउंटबेटन द्वारा ऐसी कोई सेरेमनी हुई होती तो, वह उस समय के संस्मरणों में जरूर लिखी होती। 

आप खबर का अंग्रेजी अंश यहां पढ़ सकते हैं ~ 

GOLDEN SCEPTRE FOR PANDIT NEHRU

Presentation by Head Of Thiruvaduthurai Mutt

MAYAVARAM, Aug. 11. It is officially announced that His Holiness Sri La Sri Ambalavana Desika Swamigal, the Mahasannidanam of the Thiruvaduthure ! Adinam, Tanjore DIB- trust has decided to present Pandit Jawaharlal Nehru, the first Prime Minister to the Indian Dominion with a Golden Sceptre studded with jewels and worth about Rs 15,000 and that Pandit Jawaharlal Nehru has accepted to receive the present of His Holiness at exactly 11-5 pm. on Aug. 14.

To represent His Holiness at the function Sri Kumaraswami Thambiran of Thiruvathigal and Mr. R Ramalingam Pillal, Dakshinam Superintendent left for New Dell yesterday. The Golden Sceptre will be taken to the Constituent Assembly Hall in pro- cession to the accompaniment of the Nathaswaram or Mr. T. N. Rajaratnam Pillai the Adinam Vidwan.

विजय शंकर सिंह 
Vijay Shanker Singh 

फोटो, इंडियन एक्सप्रेस की पेपर कटिंग, साभार सौमित्र रॉय  (Soumitra Roy)

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