कुछ तुम पर
, मैंने गीत लिखे
हैं ,
कहो आज तो
, पढ़ दूँ सब
!
कुछ शेर तुम्हारी
ज़ुल्फ़ों पर ,
कुछ नग्मे हैं , तेरी
आँखों पर !
अधरों पर खोये
, कुछ भाव प्रिये
,
कुछ लिख न
सका तेरे आरिज पर
,
फिर भी कुछ
तुक ले आया
हूँ ,
कहो आज तो
, पढ़ दूँ सब
!
जो तुम पर
, मैंने गीत लिखे
हैं !!
( विजय शंकर सिंह
)
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