Saturday, 13 April 2013

मैं सत हूँ , मैं चित हूँ , मैं आनन्द हूँ



मैं सत हूँ , मैं चित हूँ , मैं आनन्द हूँ 

मैं शरीर हूँ , शरीर का विकार हूँ ,
मैं इन्द्रियाँ हूँ , मैं इन्द्रियों का विषय हूँ ,
मैं सत ,चित आनंद हूँ , मैं यह हूँ , मैं यह हूँ ,

मैं मृत्यु हूँ , मृत्यु का भय 
मेरा कभी जन्म हुआ है , कभी मेरे माता पिता  थे ,
मैं सत हूँ , चित हूँ , आनन्द हूँ .

मैं पीड़ा या दुःख नहीं हूँ , मुझे कोई कष्ट है
मैं किसी का शत्रु हूँ , कोई मेरा शत्रु है ,
मैं सत हूँ , चित हूँ , मैं आनन्द हूँ,

 मैं निराकार हूँ , असीम हूँअनंत हूँ , देश कालातीत हूँ ,
मैं सब में हूँ , मैं सृष्टि का आधार हूँ ,
मैं सत हूँ , मैं चित हूँ , मैं आनन्द हूँ 

आप , मैं ,और सृष्टि में सब कुछ , वही पूर्ण है ,
उसके अंश नहीं, वरन पूर्ण .उस परम के पूर्ण,
जो सत्य है , चित है आनन्द है .....
-निर्वाणाष्टकम ..... 

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