बना गुलाब तो कांटे चुभा गया एक शख्श ,
बना गुलाब तो कांटे चुभा गया एक शख्श ,
हुआ चिराग तो घर ही जला गया एक शख्श .
सभी रंग मरे , सारे स्वप्न मरे ,
फ़साना थे, कि फ़साना बना गया एक शख्श .
कैसे हवा में उडूं , किस तरह मैं लहराऊँ ,
कैसे हवा में उडूं , किस तरह मैं लहराऊँ ,
ग़मों का जाल एक सा बिछा गया एक शख्श .
लौट सकता , न आगे ही बढ़ पाऊंगा,
लौट सकता , न आगे ही बढ़ पाऊंगा,
मुझे न जाने किस राह छोड़ गया एक शख्स .
मोहब्बतें भी थी अज़ब, उसकी बातें भी कमाल ,
मेरे ही तरह का मुझ में समा गया एक शख्स.
मोहब्बत ने किसे भला बचा रखा है अब तक ,
मोहब्बत ने किसे भला बचा रखा है अब तक ,
मिले वो घाव कि फिर याद आ गया एक शख्स.
खुला यह भेद की आइनाखाना है यह दुनिया ,
और मुझ को तमाशा बना गया एक शख्स.
-vss
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