A poem....
मेरा कोई खुदा नहीं .
यहाँ चाहतों का सिला नहीं ,
यहाँ दोस्ती का मज़ा नहीं ,
न जाने कैसा ये वक़्त है ,
रही किसी में, वफ़ा नहीं .
लुट रहे यहाँ, आशियाँ ,
पर रहबरों को खबर कहाँ ,
एक सदा भी, तुझको मैं दे सकूं ,
यह हक भी मुझ को मिला नहीं ,
यायावर, उस राह का मैं ,
कि मुझे मंजिलों का पता नहीं ,
हो चुका बेबस यहाँ मैं ,
जैसे मेरा कोई खुदा नहीं .
-vss
"Mera koi khuda nahi"... ek sundar prayas...
ReplyDeletethanks...
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