Saturday, 20 April 2013

A poem.... मेरा कोई खुदा नहीं .



A poem....
मेरा कोई खुदा नहीं .

यहाँ चाहतों का सिला नहीं ,
यहाँ दोस्ती का मज़ा नहीं ,
न जाने कैसा ये वक़्त है ,
रही किसी में, वफ़ा नहीं .

लुट रहे यहाँ, आशियाँ ,
पर रहबरों को खबर कहाँ ,
एक सदा भी, तुझको मैं दे सकूं ,
यह हक भी मुझ को मिला नहीं ,

यायावर, उस राह का मैं ,
कि मुझे मंजिलों का पता नहीं ,
हो चुका बेबस यहाँ मैं ,
जैसे मेरा कोई खुदा नहीं .
-vss

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