Sunday, 7 April 2013

A poem ..... जुदाई मौत होती है .





जुदाई मौत होती है .

सुनो  जानां 
जुदाई , मौत  होती  है !
कभी  फुरसत मिले  तो  देखना ,
पत्तों  का  गिरना  तुम ,
कि जब  यह  पेड़  से  गिर  के  ज़मीन  पर    पड़ते  हैं
तो  कैसे  रौंदे  जाते  हैं .

ठिठुरती रात  के  खामोश  लम्हों  में ,
किसी  बेबस  अकेली  बावफा  खामोश  लडकी  की
कभी  तुम  सिसकियाँ  सुनना ,
कभी  ड़ाल से  बिछुड़े  हुए  पंछी  युगल  को  देखना
कि  कैसे  एक  दूजे  की  जुदाई  पर  तड़प  कर ,
आह  भरते  हैं

कभी  विरह  के  छनो में  किसी  कि  आँख  से ,
ढुलके हुए  आंसू  को  देखोगे ,
तो  शायद  जान  जाओगे ,
कि , जुदाई  मौत  होती  है .
जुदाई  मौत  होती  है .

अभी  तुम  ने  मुहब्बत  के  बरसते, भींगते,मौसम  नहीं  देखे ,
अभी  तुम  तितलियों  के  रंग ,
हथेली  में  छुपाती  हो ,
अभी  तुम  मुस्कुराती  हो .

सुनो  जाना  !
कभी  जो  ज़िन्दगी  ने  अजनबी  वीरान  राहों  पर ,
तुम्हारी  यह  हंसी  छीनी ,
तो  फिर  आंसू  बहाओगे ,
तुम  इतना  टूट  जाओगे ,
कि .रूठ जाओगे ज़माने से.  
तुम  इतना  जान  जाओगे 

जुदाई  मौत  होती  है ,
जुदाई  मौत  होती  है
--(vss)

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