भारत अपने रक्षा बजट में कटौती करेगा। केन्द्र सरकार ने खर्च में कटौती के लिए हथियारों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। 2011 में रक्षा के क्षेत्र में खर्च करने वाले देशों में भारत का स्थान विश्व में सातवां था। यह बातें रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने कहीं।
एंटनी ने यहां एयरो इंडिया 2013 के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि सरकार कठिन दौर से गुजर रही है। सरकार खर्च में कटौती करना चाहती है लेकिन सेना की तैयारियों पर होने वाले खर्च में कोई कटौती नहीं की जाएगी। सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियां बोइंग और रुसी विमान कंपनी मिग बाजार में कड़ी प्रतियोगिता का सामना कर रही हैं। हथियारों की खरीद बढ़ने का अनुमान है। केपीएमजी इंटरनेशनल ने पिछले साल अनुमान लगाया था कि भारत अगले पांच सालों में रक्षा में करीब 42 अरब डालर खर्च कर सकता है।
नई दिल्ली स्थित रक्षा अनुसंधान संगठन इंडिसिया रिसर्च एंड एडवाइजरी के अध्यक्ष देब रंजन महंती ने कहा कि सरकार रक्षा आधुनिकीकरण पर होने वाले खर्च में कमी किए गए बगैर वेतन व भत्तों पर होने वाला खर्च घटाना चाहती है। अगले आम चुनाव को ध्यान में रख कर राजनीतिक बाध्यतों के कारण खर्च में अस्थायी तौर पर कटौती करने का फैसला किया गया है।
आरबीआई ने पिछले महीने कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.5 प्रतिशत रहेगी। 2002-03 से लेकर अब तक यह न्यूनतम दर है। दिसंबर में समाप्त हुई तिमाही में वर्तमान में वित्तीय घाटा बढ़ने की संभावना है। जबकि पिछली तिमाही में 22.4 अरब डालर का रिकार्ड वित्तीय घाटा था।
पाकिस्तान तनाव
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले महीने एक साक्षात्कार में कहा था कि मार्च 2014 तक सकल घरेलू उत्पाद पर होने वाले 4.8 प्रतिशत के वित्तीय घाटा पर टिके रहने की योजना है। जबकि पिछले साल यह दर 5.3 प्रतिशत थी। सरकारी खर्च और रुपए में गिरावट से महंगाई 7 प्रतिशत से आगे निकल गई है। यहां तक कि आर्थिक विकास दर भी धीमी है।
पिछले एक दशक में दक्षिण एशिया के देशों ने अपने रक्षा बजट में तीन गुना बढ़ोतरी की है। भारत ने भी अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्विंयों पाकिस्तान और चीन का मुकाबला करने के लिए सेना के आधुनिकीकरण हेतु हथियारों की खरीद करने के लिए अपनी नीति में बदलाव किया है।
पिछले महीने, भारत और पाकिस्तान के सामान्य होते संबंध में कड़वाहट आ गई थी जब विवादित कश्मीर के हिस्से में सीमा का उल्लंघन किया गया था। 1947 से लेकर अब तक ये दोनों देश तीन बार लड़ाई लड़ चुके हैं जिनमें से एक कश्मीर को लेकर किया गया था।
स्थानीय उत्पादन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार अगले 10 सालों में रक्षा उपकरणों का घरेलू उत्पादन 30 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करना चाहती है। देश अपने 36 अरब डालर के वार्षिक रक्षा बजट का 70 प्रतिशत हिस्सा आयात पर खर्च करता है। एंटनी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य हथियारों का स्थानीय उत्पादन बढ़ाना और आयात में कमी करना है। हम स्वदेशीकरण को लेकर काफी गंभीर है। मैं नहीं मानता कि आयात बिल्कूल शून्य हो जाएगा लेकिन हम धीरे-धीरे आयात घटाना चाहते हैं।
2011 में रक्षा उपकरण हासिल करने की नीति में संशोधन किया गया था। जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों को नए बाजार में पहुंच मिली थी। उक्त नई प्रक्रिया में बाय एंड मेक इंडियन को शामिल किया गया है। ठेका हासिल करने के लिए केवल स्थानीय कंपनियां निविदा के लिए आवेदन कर सकती हैं। विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए भी आवेदन दिया जा सकता है।
फाइन ट्यून पालिसी
भारत ने भी स्थानीय खरीद जरुरतों के लिए नीति में बदलाव किया है। विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को स्थानीय कंपनियों से करीब 30 प्रतिशत सामान हासिल करने का ठेका लेना होता है। इस नीति को आफसेट पालिसी कहते हैं। विदेशी हथियार निमार्ताओं को सिविल वायु उपकरणों की खरीद कर स्थानीय सुरक्षा के लिए के लिए हथियार देने होते हैं। एंटनी ने कहा कि हर खरीद के लिए तकनीक का हस्तांतरण आवश्यक है। हम जल्द ही नई रक्षा खरीद नीति लाने वाले हैं।
नवंबर में चीन ने विमान पर स्वेदश निर्मित फाइटर जेट उतारा जो एक बड़ी उपलब्धि है। पनडुब्बी व अन्य क्षेत्र में भी यह काफी तेजी से प्रगति कर रहा है। अमेरिका के बाद रक्षा के क्षेत्र में खर्च करने में चीन का स्थान विश्व में दूसरा है। 2006 से लेकर अब तक चीन के रक्षा बजट में दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है। 2012 में चीन का रक्षा खर्च करीब 107.5 अरब डालर रहने का अनुमान है।
स्रोत: News Bharati Hindi तारीख: 2/6/2013 7:51:30 PM... |
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