Friday, 15 February 2013

A Short poem... कुछ वादे , कसमें , यादें थी ,



कुछ वादे , कसमें , यादें थी ,

कुछ वादे , कसमें , यादें थी ,
कुछ कहकहे थे , फरियादें थीं ,
कुछ आंसूं थे जो बहाये थे ,,
कुछ धोखे थे , जो खाये थे .
कुछ लहजों की परछाइयां थी ,
कुछ दिल को रोग लगाए थे 
किस्सा , तो यही ,बस इतना था ,
पर टीस  रहा है ,बरसों से .
-vss 

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