कट्टरपंथ और प्रगाश बॅंड
कश्मीर में प्रगाश बॅंड के विरुद्ध फ़तवे की व्यापक आलोचना पूरे देश में हो रही है .मैने मलाला युसुफज़ई एक छोटी सी बच्ची जिस ने सिर्फ़ पढ़ाई के कारण तालिबान का ज़ुल्म झेला है और अभी भी वह विदेश में स्वास्थ्य लाभ कर रही है . की सराहना में एक कविता लिखी थी. आज जब प्रगाश बॅंड की लड़कियों के खिलाफ फतवा आया और उनके विरुद्ध अत्यंत वहशी कुक्रित्य करने की धमकिया दी गयीं तो मलाला का प्रकरण स्मरण हो आया . इस से भी स्तब्ध कर देने वाली बात यह है कि उस मुफ़्ती ने इन लड़कियों को धमकी देने वाले तत्वों के विरुद्ध कुछ नहीं कहा और मौन साध लिया . आइए इस संघर्ष में जो कट्टरपन की उस मानसिकता से है जो सिर्फ़ हमें उस अंधी खोह में ले जाता है जहाँ सिर्फ़ विनाश ही विनाश है.
इन बच्चियों की हिम्मत बढ़ाइए और कट्टरपंथ और कूपमन्डूकता की दुनिया से बाहर आइए . धार्मिक कट्टरता एक मानसिकता है .जिस की अपनी ही दुनिया है .कूपमन्डूकता की यह दुनिया न सिर्फ़ आप को ईश्वर के दिव्य अध्यात्मिक सानिध्य से दूर करेगी , वरन आप को पतनोन्मुख भी करेगी . मलाला की हिम्मत, उसकी जिजीविशा की सराहना करते हुए अपनी कविता भी प्रस्तुत कर रहा हूँ. धर्म की कट्टरता आप को न सिर्फ़ धर्म से विमुख करती है , बल्कि आप को इंसान भी नहीं रहने देती है .
मलाला के लिए ....
(पाकिस्तान की एक छोटी सी बच्ची के लिए जिसने एक आस जगाई
है )
वह हथेली पर जुगुनू लिए
अँधेरे से लड़ रही है ,
और तुम दूर खड़े
,
तमाशा देख रहे हो
.
तुम्हे अँधेरे पर यकीन है ,
पर इस जुगुनू
पर नहीं ,
जो चीरता हुआ अँधेरे को ,
एक आस की तरह टिमटिमा
रहा है .
साहस को आने दो दोस्त
,
थोड़ी हिम्मत बटोरो
,
अन्धकार सदा अस्तित्व
हीन होता है ,
केवल अभाव है यह
, प्रकाश का .
कोई सूरज मार्ग
दिखाने नहीं आता यहाँ
,
पहचानो इस चिनगारी
को ,
शायद यह ले जाए हमें ,
इस सीलन और संडाध भरे अंधे गह्वर के पार .
चलो उस के साथ , थामो
हाँथ उस का ,
उस की हथेली में रोशनी
बिखेरते जुगनू को देखो ,
कितने वीभत्स तिमिर के साथ ,
युद्ध रत है वह
.....
-vss
wah
hathelee par jugunu liye
andhere se
lad rahee hai,
aur tum
door khade,
tamaashaa
dekh rahe ho.
tumhe
andhere par yaqeen hai,
par is
jugunu par nahin,
jo cheerataa
huaa andhere ko,
ek aas kee
tarah timtimaa rahaa hai.
saahas ko
aane do dost,
thodee
himmat batoro,
andhkaar
sadaa astitwa'heen hotaa hai,
kewal
abhaaw hai yeh, prakaash kaa.
koi sooraj
maarg dikhaane nahin aataa yehaan,
pahachaano
is chingaaree ko,
shaayad ye
le jaaye hamein,
is seelan
aur sandaadh bhare andhe gahwar ke paar.
chalo mere
saath, thaamo haanth us kaa,
us kee
hathelee mein roshanee bikherate jugnu ko dekho,
kitne
veebhats timir ke saath,
yuddh rat
hai ye.....
-vss
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