Sunday, 23 February 2020

पत्थर बरसाती भीड़ द्वारा जय श्रीराम कहना, रामद्रोह है / विजय शंकर सिंह

अंततः जय श्रीराम पत्थर बरसाने, गाली गलौज करने, दंगे भड़काने और आग लगाने का एक मान्यताप्राप्त उद्घोष बन ही गया। बिल्कुल उसी तरह जैसे तालिबान आदि आतंकियों का नारा अल्लाह हू  अकबर बन चुका है । पर एक बात साफ है, इन गुंडो, लफंगों, और आतंकियों को न तो राम से कोई मतलब है और न ही अल्लाह से उनका कोई सरोकार। उन्हें मतलब बस देश मे उन्माद फैलाने, दंगा भड़काने और देश को अस्तव्यस्त कर के, देश को तोड़ने से है । मै यह जोर देकर कहता हूं और मुझे यह लगता है कि हो सकता है हम ऐसी शक्तियों के कुचक्र में फंस गए हैं कि जिससे न केवल हमारी आर्थिक स्थिति बिगड़े बल्कि देश का सामाजिक तानाबाना भी मसक जाय। 

आज दिल्ली में जफराबाद में जो हुआ वह बेहद निंदनीय है। वहां पुलिस ने बल प्रयोग नहीं किया। वहां जय श्रीराम का नारा लगा कर पथराव खुद को सीएए समर्थक भीड़ ने किया। वहां भी सड़क जाम है, मेट्रो स्टेशन बंद है। पुलिस को ऐसे मामलों में कार्यवाही करने के कानूनी अधिकार और शक्तियां स्पष्ट हैं। पर सीएए समर्थकों ने जो पथराव किया, उसका उद्देश्य साफ है, कि उधर से भी प्रतिक्रियास्वरूप अल्लाह हु अकबर कहा जाय और फिर संविधान बचाने के नाम पर किया जा रहा यह पूरा आंदोलन साम्प्रदायिक रंग ले ले। सीएए तो लागू हो ही गया है। सरकार भी एक इंच पीछे हटने को तैयार नहीं है। जिन्हें इस कानून पर शक है, और इस कानून को असंवैधानिक मानते हैं वे अपने अपने तरीके से विरोध कर ही रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अक्षम मानते हुए खुद ही पुलिस का काम संभाल लिया और बातचीत के लिये शाहीनबाग में एक दल भेजा। दल ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दे भी दी। कल इसकी सुनवाई है। फिर जफराबाद में समर्थन के नाम पर उसी जगह जहां सड़क जाम कर के महिलाएं बैठीं हैं वहाँ जय श्रीराम के नारे लगाते हुए पथराव करना कहाँ तक उचित है ? 

अब सवाल उठता है कि इस विरोध और समर्थन में राम कहां से आ गए ? यह तो रामद्रोह हुआ। सरकार इस प्रकार के जगह जगह हो रहे जाम को हटाने के लिए बातचीत या बलप्रयोग जो भी जैसी भी परिस्थिति हो, निपटने के लिये सक्षम है। यह उसके अधिकार और शक्तियों पर निर्भर है। पर कम से कम राम को तो इन सब लफंगई से दूर ही रखिये। इस सरकार और सत्तारूढ़ दल को अगर कोई चीज सबसे अधिक असहज करती है तो वह साम्प्रदायिक एकता और सद्भाव। जिस दिन देश मे लोग यह समझ जाएंगे कि साम्प्रदायिक एका, रोजी, रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि से जुड़े मामले हमारे लिये सबसे ऊपर हैं उसी दिन से इनकी दुकान बंद हो जाएगी। जनता को इन असल मुद्दों पर राहत देने के लिये सरकार और सरकारी पार्टी के पास न तो कोई दृष्टि है, न कोई कार्ययोजना है, न कोई नीयत है और न ही कोई नीति है। 

© विजय शंकर सिंह 

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