दो महीने से ज्यादा समय से देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में चल रहे धरना-प्रदर्शन के मामले में पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. उन्होंने धरनास्थल पर पैदा हुई अफरा-तफरी के हालात के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। पूर्व सीआईसी ने सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया है। शाहीनबाग प्रोटेस्ट के मामले में 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
हलफनामे में कहा गया है कि सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों से बातचीत को लेकर कोई पहल नहीं की गई। वजाहत हबीबुल्लाह ने सड़क को बंद करने को लेकर हलफनामा दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते 17 फरवरी को वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला को वार्ताकार नियुक्त किया था और प्रदर्शनकारियों से बात कर विरोध प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक रास्ता तलाशने को कहा था.
न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक वजाहत हबीबुल्ला ने अपने हलफनामे में कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहा प्रदर्शन शांतिपूर्ण है. भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों में से एक हबीबुल्ला ने ये भी कहा है कि शाहीन बाद में पुलिस ने पांच तरफ से रास्ते को बंद कर रखा है।
वार्ताकारों ने 19 फरवरी से लेकर अब तक में शाहीन बाग में पदर्शनकारियों से चार बार बातचीत की है. बीते शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकारों ने सामने अपनी नई मांग रखी और कहा कि अगर रोड 13 ए के एक तरफ की सड़क खोली जाती है तो सर्वोच्च न्यायालय उनके सुरक्षा की गारंटी दे।
वजाहत हबीबुल्लाह ने अपने हलफनामे में पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने कई गैरजरूरी जगहों को भी ब्लॉक कर दिया है। इससे अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जा रहा है। बता दें कि शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ महिलाएं दो महीने से भी ज्यादा समय से धरने पर बैठी हैं। प्रदर्शनकारियों के हाइवे पर बैठने से दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले मार्ग पर आवागमन ठप पड़ा हुआ है. इस रूट को खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को धरनास्थल से जबरने हटाने को लेकर भी आगाह किया है्. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कि प्रदर्शनकारियों को वहां से जबरन हटाने के प्रयास से उनकी सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। वजाहत हबीबुल्लाह ने अपने हलफनामे में प्रदर्शनकारियों के लिए वैकल्पिक स्थान मुहैया कराने के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है. हालांकि, इसमें इस बात का उल्लेख जरूर किया गया है कि पुलिस की ओर से जांच-पड़ताल के बाद स्कूल वाहन और एंबुलेंस को इस रूट से जाने दिया जा रहा है।
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