Monday, 10 February 2020

दिल्ली का गार्गी कॉलेज - क्या हम भी उन जैसे निकलेंगे ? / विजय शंकर सिंह

जैसे आज जय श्रीराम के नारे लगाती भीड़ के साथ स्थानीय पुलिस मूक दर्शक बनी रही, धर्मान्धता और कट्टरपंथी चेहरे उनके साथ रहे और सिविक सोसायटी के लोग खामोश हैं, वैसे ही जब तालिबान, अल कायदा और अन्य इस्लामी धार्मिक कट्टर संगठन अल्लाहू अकबर के नारे के घोष के साथ हिंसक अराजकता फैला रहे थे, और अब भी वे फैलाते हैं तो, इसमें भी वे अपने धर्म की जीत पाते हैं । परिणाम दुनियाभर में इस्लाम की क्षवि एक कट्टर और हिंसक धर्म की बन गयी। अभी उतना तो नहीं हुआ है, लेकिन जो कुछ भी 6 फरवरी को दिल्ली के गार्गी कॉलेज में राम के पवित्र नाम के साथ, लफंगापन और खुली गुंडई की गयी है और उस पर जैसी चुप्पी सरकार और पुलिस की दिख रही है, वह उसी नक़्शे क़दम पर जाता दिख रहा है जहाँ आज इस्लामी आतंकियों ने इस्लाम को पहुंचा दिया है। आज जिन मूल्यों के लिये हिन्दू धर्म दुनिया भर में विख्यात और विशिष्ट माना जाता है, उसके इन्ही मूल मूल्यों में आ रही गिरावट को लेकर विश्व भर में बहस और चर्चा होने लगी है।

हाल ही में वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स में नए नागरिकता कानून पर कई लेख लिखे गए जिसमें भारतीय संविधान के आलोक में इन कानूनों पर टिप्पणी की गयी। उन लेखों के अनुसार, अमेरिका ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की और मामले को भारतीय अधिकारियों के समक्ष भी उठाया है।  मीडिया की खबरों के अनुसार, भारत में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर व्यापक स्तर पर जारी प्रदर्शन के बीच यह चिंता व्यक्त की गयी है। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि,  " उन्होंने ( यूएस ने ) भारत में मौजूदा धार्मिक स्थिति को लेकर भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की और गहरी चिंता व्यक्त की। " यह अधिकारी हाल ही में भारत यात्रा पर आए थे.उन्होंने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि, ‘‘भारत में जो हो रहा है हम उसको लेकर चिंतित हैं. मैंने भारतीय विदेश मंत्री से मुलाकात की थी. मैंने भारतीय राजदूत से भी मुलाकात की थी।"

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा 27 राष्ट्रों के लिए ‘इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम एलायंस' जारी करने के बाद यह बयान आया है। अखबारों के अनुसार, उक्त अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने इनमें से कुछ मुद्दों पर मदद करने और इन्हें मिलकर हल करने की पेशकश भी की है. अधिकारी ने कहा, ‘‘ मेरे लिए, अधिकांश जगहों पर हमारा शुरुआती कदम यह पूछना होता है कि हम उन मुद्दों से निपटने में कैसे आपकी मदद कर सकते हैं, जहां धार्मिक उत्पीड़न है। यह पहला कदम होता है, यह कहना कि क्या हम आपकी इसमें मदद कर सकते हैं.''

वहीं भारत लगातार यह कहता रहा है कि भारतीय संविधान अल्पसंख्यक समुदायों सहित अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है.गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के अनुसार धार्मिक प्रताड़ना से परेशान होकर 31 दिसम्बर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.सीएए के व्यापक विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने इसका बचाव करते हुए कहा था कि कानून किसी की नागरिकता लेने के लिए, बल्कि नागरिकता देने के लिए बनाया गया है।

यह जो नये आक्रामक और उद्दंड हिदुत्व  की प्रयोगशाला बनाई गयी थी, उसने परिणाम देने शुरू कर दिए हैं। गांर्गी कॉलेज, जेएनयू की तरह न तो वामपंथी है और न जामिया की तरह अल्पसंख्यक। गांर्गी कॉलेज लड़कियों का है और उसमें हिंदू ही अधिक हैं। यहां धर्म प्रेम लुप्त है। दरअसल इन गुंडो को न तो धर्म से कोई मतलब है और न राम से कोई सरोकार। यह सत्ता के भरोसे और पुलिस के नज़रअंदाज़ कर दिए जाने के कारण दिन प्रतिदिन उद्दंड होते जा रहे हैं।

( विजय शंकर सिंह )

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