Monday, 29 July 2019

भीड़ हिंसा से निपटने के लिये, सरकार ने मंत्री समूह बनाया / विजय शंकर सिंह

49 ' देशद्रोही ' बुद्धिजीवियों के पत्र पर कुछ हुआ है या नहीं यह तो नहीं पता पर भीडहिंसा के मामले में,  सरकार थोड़ा कुनमुनाई है। यह एक अच्छी खबर है। यह खबर भीडहिंसा मॉब लिंचिंग से जुड़ी है।

अपराध के इस नए ट्रेंड को लेकर दुनियाभर में देश की छवि पर असर पड़ रहा है। अमेरिका ने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल को आतंकी संगठन तक कह दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब तक इस विषय मे कोई कानून न बनाये जाने पर सरकार को कड़ा निर्देश दिया है। वहां मुक़दमा अभी जारी है।

24 जुलाई को सरकार ने राज्यसभा में बताया कि उसने इस अपराध से निपटने के लिये मंत्री समूह का गठन किया है। इस मंत्री समूह के प्रमुख गृहमंत्री अमित शाह हैं। यह समूह पहले से ही बना है पर इसकी बैठक अभी होनी बाकी है। यह समूह इस अपराध से निपटने के लिये उपाय और उपचार सुझाएगा। इस मंत्री समूह में विदेश मंत्री एस जयशंकर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, और सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलौत हैं।

पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कार्यवाही की गयी है यह जानने के लिये एक नोटिस राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सरकार को जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ही इस अपराध के संदर्भ में कड़ी कार्यवाही करने के लिये कई दिशा निर्देश जारी किये थे। पर उनपर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुयी है।

2018 मे गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में एक उच्च अधिकार सम्पन्न कमेटी ने इस पर अध्ययन कर के इस अपराध को कम करने के लिये एक संस्तुति सरकार को दी थी। पर अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। ज़रूरत पड़ने पर आइपीसी और सीआरपीसी में संशोधन के भी सुझाव करने की संस्तुति इस समिति ने की है।

अकेले 2018 के मई और जून के महीने में ही 20 लोगों की हत्या भीडहिंसा में हुयी है। कभी बीफ के नाम पर, शुरू होने वाला यह अपराध, गौरक्षा से होते हुए जय श्रीराम तक पहुंच गया है। लगभग हर दिन ही देश के किसी न किसी भाग में मॉब लिंचिंग की खबर पढ़ने को मिलती है।

अगर यह अपराध नहीं रुका और सरकार का इसके प्रति इसी प्रकार का नरम रुख रहा तो इसका असर विदेशी निवेश पर भी पड़ेगा, जो बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण वैसे भी कम होता जा रहा है। सरकार को तत्काल इस मामले में कानून बनाकर कार्यवाही करनी चाहिये।

© विजय शंकर सिंह

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