पहली बार दुनियाभर में हमारी क्षवि एक उन्मादी और हिंसक समाज की बन रही है जो हमारी परंपरा, सभ्यता, संस्कृति और दर्शन के बिलकुल उलट है।
भीड़ हिंसा को लेकर ब्रिटिश संसद के समक्ष प्रदर्शन हो रहा है। इंडिया हाउस के समक्ष प्लेकार्ड प्रदर्शित कर के धरना हो चुका है।
अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स ने सोनभद्र के गांव उम्भा घोरावल में हुये 10 लोगों की हत्या को सामुहिक नरसंहार का नाम दिया है।
आप यह कह सकते हैं कि इससे बड़ी हिंसक घटनाएं मुस्लिम देशों में रोज़ होती हैं और पश्चिमी देश क्यों नहीं बोलते हैं।
इसका कारण है इस्लामी आतंकवाद पहले से चला आ रहा है। वह इजरायल के अस्तित्व, उसका फिलिस्तीन से झगड़ा और इस्लामी यहूदी धर्म के विवाद के कारण है। तालिबान, अल कायदा, आईएसआईएस आदि अनेक संघटन हैं और इनके कारण, राजनीतिक और धार्मिक हैं। इस आतंकवाद ने उन मुल्क़ों में क्या हालत बना रखी है यह किसी से छुपा नहीं है।
पर 2014 के बाद गौरक्षा, बीफ, धर्म पूछकर जय श्रीराम के नारे लगाने की ज़िद के साथ जो पागलपन शुरू हुआ है उसे दुनियाभर के लोग जो हिंदू धर्म और दर्शन में रुचि लेते हैं और पढ़ते तथा इससे प्रभावित हैं के लिये यह बिलकुल एक नया और अचंभित कर देने वाला विकास है।
दुनियाभर ने हिंदू धर्म को ऋग्वेद और अन्य वेदों की नज़र से जो मैक्समूलर के अनुवाद से वहां पहुंचा था, जाना है। पश्चिम जिस हिंदू धर्म को जानता है वह स्वामी विवेकानंद का धर्म था। वह धर्म कर्मकांड नहीं एक उदात्त दर्शन था। फिर उन्होंने, महर्षि अरविंद, रमण महर्षि, रजनीश के लेखों और भाषणों से जाना। प्रभुपाद के माध्यम से कृष्ण भक्ति और महेश योगी के प्रयासों से योग को जाना।
उन्होंने तो शायद ही कभी सोचा हो कि इक्कीसवीं सदी के पूर्वार्ध में एक ऐसा हिंसक समाज भारत मे विकसित हो जाएगा जो किसी उद्घोष विशेष के न दुहराने पर, किसी खान पान के आदेश को न मानने पर ह्त्या कर देगा। लेकिन यह हो रहा है ।
देश के अंदर जिला बस्ती यूपी से एक और खबर आ रही है। आभी तक तो जय श्री राम नारे के नाम पर ही देश भर में हंगामा मचाया जा रहा है। मगर यूपी के बस्ती में दबंगों ने मंदिर के पुजारी पर जय भीम नारे लगाने के लिये दवाब बनाया, मगर जब पुजारी ने इनकार किया तो फायरिंग कर जान लेने की कोशिश की गई। पीड़ित ने पुलिस के आलाधिकारियों से गुहार लगाई है।
इसी क्रम में मित्र डॉ प्रमोद पाहवा जी का कहना है कि,
पार्लियामेंट स्क्वेयर लन्दन में भारत में हो रही लिंचिंग और आतंकी घटनाओं के विरुद्ध प्रदर्शन जिसमे स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री मोदी एवम सहयोगी शाह को जिम्मेदार बताया गया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने सोनभद्र की स्टोरी कवर करते हुए इसे "नरसंहार" की संज्ञा दी है।
एक बात नोट कर लें, हिंसा या दंगा भड़काना बहुत ही आसान है। मिनटों में इसे भड़काया जा सकता है पर इसे नियंत्रण में लाकर स्थिति सामान्य बनाना बहुत मुश्किल है। यह मेरा पेशागत अनुभव है।
© विजय शंकर सिंह
No comments:
Post a Comment