जिस एंकर को 2000 रुपये के नोट में चिप लगे होने की गलत सूचना सार्वजनिक रूप से फैलाने और आरबीआई के खिलाफ वितंडा खड़ा करने के आरोप में आजतक को हटा देना चाहिये था, वह आज सत्ता की निकटता के कारण पत्रकारिता के मानदंडों के विपरीत आचरण कर रही है।
जिस आईसीयू में आप अपने प्रियजनों को देखने के लिये भी जूता चप्पल उतार कर, सर्जन का लबादा पहन कर प्रवेश करते है, औऱ बस एक दो मिनट के लिये वह भी दूर से देख कर बाहर आ जाते है, वही यह एंकर अंजना ओम कश्यप मय लवाजमा के अंदर जूता चप्पल पहने प्रवेश करती हैं और वहां चीखती चिल्लाती हैं।
इन्ही एंकर महोदया की इतनी हिम्मत नहीं कि वे बिहार के पांच साला स्वास्थ्य बजट की समीक्षा और उस पर बिहार सरकार के मंत्रियों से सवाल पूछें और जनता के सामने सच रखें। मुझे सन्देह है इनमें ऐसा करने की विश्लेषकीय क्षमता और योग्यता भी इनमें होगी। यह केवल झूठ फैला सकती हैं, उन्माद फैला सकती हैं, और कुछ नहीं।
© विजय शंकर सिंह
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