व्यभिचारी और सज़ायाफ्ता राम रहीम, खेती किसानी करने नहीं, हरियाणा विधानसभा के आसन्न चुनाव में भाजपा को वोटो की फसल काटने में मदद करने के लिये पेरोल पर छोड़ा जा रहा है। दुराचारी अब सदाचारी होने लगा। भाजपा को पता है कि इस दुराचारी के पास कितने सिर हैं जिनमे शून्य हैं ।
क्या यह दुर्भाग्यपूर्ण नहीं है कि बेटी बचाओ का नारा देने वाली, संस्कारो पर एकाधिकार रखने की बात करने वाली, दुनिया की सबसे बडी राजनीतिक पार्टी को अब चुनावी संभावनाएं एक दुराचारी और सज़ायाफ्ता राम रहीम में दिख रही हैं ?
अगर सच मे ऐसा है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही दुःखद भी है।
एक उदाहरण उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव के समय का भी है। नाबालिग से दुराचार के आरोप में जेल काट रहे यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को अमेठी में लोक सभा चुनाव के दौरान कारगार से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। जून 2019 में विशेष अदालत में जमानत की सुनवाई का प्रयास हुआ। इसका राजनीतिक लाभ अमेठी में लिया गया।
पेरोल के बारे में यूपी जेल मैनुअल कारागार में जो प्राविधान हैं, उन्हें मैं नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ। हरियाणा में क्या नियम हैं यह मुझे पता नहीं। यह सारे नियम ब्रिटिश काल के समय ही बनाये गये थे और लगभग सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत मे एक ही प्रकार से लागू थे। हरियाणा पहले अविभाजित पंजाब का भाग था। बंटवारे के बाद भारतीय पंजाब का भाग बना फिर जब भाषाओं के आधार पर राज्य पुनर्गठित हुये तो हरियाणा बना। पंजाब में भी लगभग यही जेल मैनुअल लागू है। हो सकता है हरियाणा में भी यही व्यवस्था हो।
यूपी जेल मैनुअल के अनुसार, पेरोल या परिहार के प्राविधान निम्नानुसार हैं
* प्रत्येक बन्दी को परिहार अच्छे आचरण के लिये प्रतिमाह 03 दिन तथा निर्धारित श्रम को पूरा करने के लिये 03 दिन का परिहार दिया जाता है।
* जेल मैनुअल में उल्लिखित कार्य के लिये बंदी को कारागार अधीक्षक द्वारा प्रतिमाह 03 दिन तथा महानिरीक्षक द्वारा प्रतिमाह 06 दिन का विशेष परिहार दिया जा सकता हैं।
* हत्या तथा डकैती के बन्दियों को छोड़कर किसी सिद्धदोष बन्दी का उसके परिवार के आश्रित माता–पिता व परिजनों की बीमारी व मृत्यु, पुत्र व पुत्री के विवाह तथा अनाश्रित कृषि कार्य, आवास मरम्मत इत्यादि के प्रयोजन जिला अधिकारी द्वारा अधिकतम एक माह का पैरोल स्वीकृत किया जा सकता है।
* इसके अतिरिक्त मण्डलायुक्त उक्त परियोजनार्थ जिला मजिस्ट्रेट द्वारा स्वीकृत बन्दी के पैरोल की अवधि में 16 दिन की वृद्धि कर सकते हैं अथवा अधिकतम 01 माह का पैरोल स्वीकृत कर सकते हैं।
* उपरोक्त अवधि से अधिक अवधि के लिये पैरोल शासन द्वारा स्वीकृत किया जाता है।
कहते हैं, राम रहीम के तो लाखों चेले है, फिर, वे लाखों चेले अपने गुरु के लिये खेती किसानी की व्यवस्था नहीं कर सकते ? क्यों नहीं करते हैं वे ?
ऐसे सज़ायाफ्ता अपराधियो को बहाने बना कर पेरोल पर छोड़ने से कानून लागू करने वाली एजेंसियों का मनोबल टूटेगा । राम रहीम जैसे दुराचारी को कानूनी प्रक्रिया के अनुसार सज़ा दिला देना, जब कि उसके चेले सरकार में मंत्री बने बैठे हों, हरियाणा पुलिस और अभियोजन की बड़ी सफलता है। अब उसे पेरोल पर रिहा करने पर गवाहों के लिये जिनकी गवाही से उसे सजा हुयी है खतरा उत्पन्न हो सकता है। हरियाणा सरकार ने पेरोल का विरोध न करके यह साबित कर दिया है वह अपराधी, सज़ायाफ्ता और दुराचारी के साथ है ।
राम रहीम को दुराचार के दो मामलों में दस दस साल की सज़ा मिली है। उसकीं अपील अभी हाईकोर्ट में लंबित है। जब सरकार का पेरोल पर यह नरम रवैया है तो, हाईकोर्ट में वह कितनी गम्भीरता से अपील का विरोध करेगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
© विजय शंकर सिंह
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