Wednesday 19 May 2021

पाब्लो नेरूदा और विक्टर हारा के देश से अच्छी ख़बर

चिली में नया संविधान बनाने के लिए गठित होनेवाली संविधान सभा के चुनाव में दक्षिणपंथी सरकार और उसके गठबंधन की भारी हार हुई है. इसके साथ राज्यों के गवर्नरों, शहरों के मेयरों और स्थानीय निकायों के चुनावों में भी सत्तारूढ़ ख़ेमा उखड़ गया है. दो साल पहले देशभर में हुए व्यापक जन आंदोलन के बाद सरकार नया संविधान बनाने के लिए तैयार हुई थी. अभी जो संविधान है, उसे जेनरल पिनोशे की तानाशाही (1973-1990) में बनाया गया था, जिसमें बड़े धनपशुओं की हिमायत है और आम जनता के अधिकार बहुत सीमित हैं. इन परिणामों से इंगित होता है कि नवंबर के चुनाव में राष्ट्रपति सेबेस्टियन पीनेरा और उनके चिली वामोस गठबंधन के लिए आगे की राह बहुत मुश्किल है.

चिली में 11 सितंबर, 1973 को राष्ट्रपति अयेंदे की सरकार का तख़्ता पलट कर दिया गया था. कॉमरेड अयेंदे पहले ऐसे कम्यूनिस्ट थे, जो लोकतांत्रिक चुनाव में विजयी होकर किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष बने थे. अपनी शहादत से पहले राष्ट्रपति अयेंदे खुद बंदूक लेकर लड़ रहे थे. उस घटना पर लंबी फ़िल्म उपलब्ध है. 

इसके पाँच दिन बाद 40 वर्षीय लोकप्रिय गायक-गीतकार विक्टर हारा को मार दिया गया था. हत्या से पहले हारा की उँगलियाँ कुचल डाली गई थीं. अमेरिका समर्थित फ़ासिस्ट जेनरल पिनोशे के सैनिक हारा को कहते- अब गिटार बजाओ. उनके शरीर में 44 गोलियाँ दागी गयी थीं. क़रीब 17 साल की उस तानाशाही में हज़ारों लोगों को मारा गया. हारा ने पाबलो नेरूदा समेत अनेक कवियों की रचनाओं को भी गाया था. वे अध्यापक भी थे और रंगमंच से भी जुड़े हुए थे. उस तख़्तापलट के सरगना तत्कालीन अमेरिका विदेश सचिव कुख्यात हेनरी किसिंजर थे. 

जिस स्टेडियम में विक्टर हारा की हत्या हुई थी, 2004 में उसका नाम उनके नाम पर रख दिया गया. साल 2008 के बाद कुछ हत्यारे अधिकारियों को कटघरे में लाने और सज़ा सुनाने का सिलसिला शुरू हुआ. जुलाई, 2018 में उनकी हत्या के दोषी आठ सैनिक अधिकारियों को सज़ा सुनायी गई थी. विक्टर हारा अपने बारे में कहते थे कि वे सच्ची सच्चाइयों को गाते हुए मरेंगे. वे चिली और लातिनी अमेरिका समेत दुनियाभर में बेहद लोकप्रिय हैं. अक्टूबर, 2019 के आंदोलन में उनके गीत ख़ूब गए गए और नेरूदा की कविताएँ ख़ूब पढ़ी गयीं. 

जब चिली में आंदोलन हो रहे थे, तो पश्चिम की कथित लोकतांत्रिक मीडिया उसे आम ख़बर की तरह पेश कर रहा था, जैसे आज वह फ़िलीस्तीनियों पर हो रहे इज़रायल के हमलों के बारे में कर रहा है. यह तस्वीर अक्टूबर, 2019 के आंदोलन की है. कुछ लोगों ने सुज़ाना हिल्दागो की इस तस्वीर और अन्य तस्वीरों के बारे में सही ही लिखा था कि अगर ये किसी और देश के चित्र होते, तो पूरी दुनिया में अख़बारों के पहले पन्ने पर छापे जाते. इस तस्वीर में सबसे ऊपर जो झंडा है, वह चिली के मापुचे आदिवासी समुदाय का है. जो झंडा सामने है, वह चिली का राष्ट्रीय झंडा है. कई अन्य समूहों-समुदायों के झंडे भी हैं. झंडे सिर्फ़ अपनी पहचान के प्रतीक ही नहीं, अपने विरोध के बैनर भी होते हैं.

प्रकाश के रे
(Prakash k ray)
#vss

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