Tuesday 18 June 2019

धर्मांधता - राम को विवादित होने से बचाइए / विजय शंकर सिंह

राम में उनकी आस्था इतनी है कि जय श्री राम का उद्घोष जो कभी राम मंदिर के लिये जन जागृति का घोष हुआ करता था, अब किसी न किसी को चिढ़ाने के काम आने लगा है । राम मंदिर तो विवादित है ही। अदालत में उसकीं सुनवायी चल रही है। राम भी अपना आशियाना तोड़ दिए जाने के बाद तंबू में बैठे बैठे अदालती फैसले का इंतज़ार ही कर रहे हैं। अब राम का नाम विवादित किया जा रहा है।

संसद में जय श्री राम के नारे के बाद जब एआईएमआईएम के लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने अल्लाह हु अकबर का नारा लगाया तो सदन की क्या प्रतिक्रिया थी यह मुझे नहीं मालूम। पर इन दोनों ही धार्मिक नारों के संसद में लगाये जाने का कोई औचित्य नही था । यह धर्मांधता का धर्मांधता भरा उत्तर था। अनावश्यक और सर्वथा अप्रासंगिक ये नारे थे,  पर संसद में लगाये गए। उन्होंने जय श्री राम कहा, और उसके जवाब में इन्होंने अल्लाह हू अकबर। उधर मुजफ्फरपुर में जहां रोज बच्चे मर रहे हैं, न राम काम आ रहे हैं और न अल्लाह ! काम सरकार को आना है सरकार या तो स्कोर पूछ रही थी या खेल की हारजीत को युद्ध समझ सर्जिकल स्ट्राइक की बधाई दे रही थी।

यही जय श्री राम का नारा बंगाल में कुछ दिनों पहले वहां की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को चिढ़ाने के लिये इस्तेमाल किया गया। वह चिढ़ी भीं। दोनों का यह चिढ़ना और चिढाना मूर्खता भरी मानसिकता का द्योतक है। ममता का चिढ़ना और उन्हें चिढाना, दोनों ही अनुचित है। बचपन मे वे बच्चे जो अधिक चिढ़ते थे, उन्हें और अधिक चिढ़ाया जाता था। राम यहां चिढ़ाने के उपकरण बन गए !

ऐसा बिलकुल नहीं है कि आस्था से सराबोर लोगों ने यह नारा लगा कर राम की मान और मर्यादा को बढाया, बल्कि राम यहां भी सत्ता में पहुंचने की सीढ़ी की तरह प्रयोग किये जा रहे हैं । राम कभी भी विवादित नहीं थे। उनकी स्तुति करने वालों में पर्याप्त संख्या में मुस्लिम साहित्यकार भी है। राम कथा के संकलन पर सबसे बड़ा शोध ईसाई पादरी फादर डॉ कामिल बुल्के का है। जिन्हें इस शोध पर पीएचडी की डिग्री मिली है। राम कथा पर उनका विद्वतापूर्ण उद्बोधन मैंने सुना है।  इकबाल ने राम को इमाम ए हिंद कहा है। आज वही राम किसी को उत्तेजित करने तो,  किसी को बरगलाने तो, किसी को चिढ़ाने के उपकरण बना दिये गये हैं। क्या राम का यह अनादर नहीं है ?

जैसे कुछ धर्मांध और हिंसक मुस्लिम संगठनों ने अल्ला हु अकबर जिसका अर्थ ईश्वर महान है, है को पूरी दुनिया मे विवादित बना दिया है वैसे ही उसी नक़्शे कदम पर चल रहे कुछ धर्मांध और स्वघोषित कट्टर हिंदू संघटन राम से जुड़े इस उद्घोष को विवादित बनाते जा रहे हैं।

सच तो यह है कि धर्मांध और कट्टरपंथी तत्वों को न तो ईश्वर से कोई सरोकार होता है और न ही अल्लाह से। न तो उन्हें अपने धर्म में कोई आस्था होती है और न ही वे अपने धर्म के उदात्त स्वरूप को ही पहचान पाते हैं। अगर पहचान भी लेते हैं तो, धर्म पर उनका स्वार्थ हावी हो जाता है।

किसी भी धर्म के लिये असल खतरा उस धर्म के  धर्मांध और कट्टरपंथी तत्व होते हैं। वह न सिर्फ अपने धर्म को विवादित कर देते हैं बल्कि धर्म जिस उद्देश्य के लिये अवधारित हुआ होता है उससे भटक जाता है और धर्म का यह विचलन अंततः समाज को भी पतनोन्मुख कर देता है। क्योंकि समाज का बहुमत धर्म के प्रति आस्थावान होता है ।

सभी धर्मों के कट्टरपंथी और धर्मांध तत्वों का विरोध समाज, धर्म और विश्व शांति के लिये आवश्यक है। धर्म मे मेरी रुचि कम है। ईश्वर के अस्तित्व में मेरा विश्वास नहीं है। पर राम और कृष्ण की कथायें मुझे अच्छी लगती हैं। राम कथा के जितने भी संस्करण, वाल्मीकि रामायण से लेकर आधुनिक लेखक अमीश  त्रिपाठी तक, उपलब्ध हैं, वह मेरे पास हैं और मैं अक्सर उन्हें पढता रहता हूँ। इस तरह सत्ता की आसुरी भूख की तुष्टि के लिये  राम को विवादित बना देना मुझे खलता है।

© विजय शंकर सिंह

No comments:

Post a Comment