Thursday 27 June 2019

सरकार और डॉ मनमोहन सिंह की मुलाकात / विजय शंकर सिंह

अभी कुछ ही दिनों पहले सरकार ने डॉ मनमोहन सिंह को उनको पूर्व प्रधानमंत्री की हैसियत से मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की थी, जब कि डॉ सिंह ने उन सुविधाओं को जो मुख्यतया कार्यालयी सुविधाएं थीं को बनाये रखने के लिये अनुरोध भी किया था। कल सरकार खुद ही डॉ सिंह से मिलने और बजट की पेचीदगियां समझने उनके दर पर आ गयी।

डॉ मनमोहन सिंह एक ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री हैं, यह वक़्त की बात थी कि वे दस साल देश के पीएम रहे। उनके कार्यकाल के मूल्यांकन के लिये किसी लंबे चौड़े अध्ययन की आवश्यकता नहीं है। बस 2014 से अब तक के आर्थिक सूचकांक के आंकड़े ही पर्याप्त हैं।

न शोर, न नारे, न नाटकीय संवाद,न वस्त्र परिवर्तन और न ही भरत मुनि की विद्या का आंगिक प्रदर्शन। खामोशी और एक शिक्षकीय गरिमा से, आधे अधूरे बहुमत और जनाधार विहीन राजनीतिक क्षवि के सहारे उनसे जो बन पड़ा उन्होंने किया। जो कुछ भी उनके खिलाफ उच्छृंखल रूप से  अमर्यादित शब्दो मे कहा गया, उन्होंने सुना।

इतिहास उनका मूल्यांकन बात में करेगा। इतिहास कैसे करता है उनका मूल्यांकन यह भावी पीढ़ी देखेगी। पर फिलहाल तो उनका कार्यकाल अर्थव्यवस्था की दृष्टि से 2014 से चल रही सरकार से बेहतर है, जब हम देख रहे हैं कि, एक निकम्मे नशेड़ी वारिस की तरह अपने पूर्वजों की बनी बनाई पूंजी और संसाधन को बेच कर ही अर्थव्यवस्था के सुनहरे होने का जश्न आज की सरकार मना रही है।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का डॉ मनमोहन सिंह के आवास पर शिष्टाचार मुलाकात के लिये जाना एक सराहनीय पहल है। सरकार के इस कदम की सराहना की जानी चाहिये, विशेषकर ऐसे माहौल में जब सत्ता और विपक्ष पट्टीदारी के मूर्खतापूर्ण रंजिश से संक्रमित हो चुके हों । डॉ सिंह को भी सरकार को अर्थव्यवस्था के बेहतरी के लिये जो कुछ भी वे सुझाव दे सकते हैं, देना चाहिये।

© विजय शंकर सिंह

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