यूपी की कानपुर देहात जिले की अकबरपुर पुलिस ने, नेहा, Neha Singh Rathore नेहा सिंह राठौर को उनके एक गीत पर, नोटिस जारी किया है। गीत इस प्रकार है। पढ़े और खुद तय करें कि इस गीत में ऐसा क्या है जो समाज में वैमनस्य फैला रहा है ?
बाबा के दरबार बा,
ढहत घर बार बा
माई बेटी के आग में झोंकत
यूपी सरकार बा...
का बा यूपी में का बा
बाबा के डीएम त बड़ा रंगबाज बा
कानपुर देहात में ले
आइल रामराज बा
बुलडोज़र से रौंदत दीक्षित के घरवा आज बा
यही बुलडोजरवा पे
बाबा के नाज बा
का बा यूपी में का बा
आग लगि त हिंदू जरिहें हें
जरिहें मुसलमान बा
ए बाबा
एहिजा ना खाली
अब्दुल के मकान बा……।
अतिक्रमण हटाओ अभियान के अंतर्गत कानपुर देहात में प्रमिला दीक्षित और नेहा दीक्षित नाम की दो महिलाएं झोपड़ी में जल कर मर गईं। प्रशासन और पुलिस पर झोपड़ी में आग लगाने का आरोप है। सरकार ने, एसडीएम और लेखपाल को सस्पेंड कर दिया और खबर है, शायद, लेखपाल गिरफ्तार है। DM कानपुर देहात के खिलाफ अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
इसी मामले में जब नेहा ने यह भोजपुरी गीत गाया तो, पुलिस ने धारा 160 CrPC के अंतर्गत नोटिस भेज दी। आरोप समाज में वैमनस्यता फैलाने का है। नेहा को नोटिस भेजने का निर्णय थानाध्यक्ष का अपना निर्णय तो नहीं ही होगा। यह निर्णय निश्चित ही DM/SP के स्तर पर लिया गया होगा। अब यह निर्णय DM/SP ने अपने विवेक से लिया है या उन्हे भी ऐसा करने के लिए कहा गया है,यह तो वही बताएं।
पर मैं अपने सेवागत अनुभव से बता सकता हूं कि किसी गीत के आधार पर, जिसका कोई असर इलाके की कानून व्यवस्था पर न पड़ा हो या पड़ रहा हो, इस तरह की जारी नोटिस पहली बार देखने में आई है। धारा 160 सीआरपीसी, जिसके अंतर्गत यह नोटिस जारी है और जिसे, सफीना भी, कहा जाता है यह गवाहों को हाजिर होने के लिए भेजा जाता है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से, प्रेरित होकर, इस तरह की नोटिस जारी करने के फैसले से, एक बात स्पष्ट है कि, इस तरह की नोटिस और अहंकार में लिए, ऐसे प्रशासनिक फैसलों से, कोई भी, प्रशासनिक लाभ नहीं होता है, उल्टे सरकार, पुलिस और प्रशासन की किरकिरी ही होती है और सोशल मीडिया के इस युग में ऐसे फैसले सरकार विरोधी वातावरण भी बनाते हैं।
(विजय शंकर सिंह)
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