स्पेन से टूट कर एक नया राज्य बना है कैटोलेनिया । इस शिशु राष्ट्र का जन्म दुनिया भर में ढिंढोरा पीट रहे पूंजीवाद जन्य उत्पन्न आर्थिक संकट का परिणाम है । कातालोन्या या कॅटालोनिया 17 स्वायत्त समुदायों में से एक है। स्वायत्त समुदाय स्पेन का सबसे उच्च-स्तरीय प्रशासनिक विभाग होता है। कातालोन्या देश के उत्तर-पूर्व में स्थित है व उत्तर में इसकी सीमा फ्रांस और अण्डोरा से छूती है। पूर्व में इसके भूमध्य सागर, पश्चिम में आरागोन और दक्षिण में वैलेंसियाई समुदाय है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा नगर बार्सिलोना है, जो स्पेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर व यूरोप के सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्रों में से एक है। इसकी आधिकारिक भाषाओं में स्पेनी, कैटलन और ऑक्सिटन की उपभाषा आरानेस है ।
कैटेलोनिया लंबे समय से स्पेन से अलग होने की मांग कर रहा था। कैटेलोनिया का वित्तीय दबदबा अधिक था और वहां के लोगों का आरोप था कि उन्हें इसका फायदा नहीं मिल रहा है. हाल ही में इस विवाद को लेकर हिंसा भी बढ़ी और कैटेलोनिया में हिंसा के बीच एक जनमत संग्रह करवाया गया, जिसमें भाग लेने वाले 90 फीसदी लोगों ने स्पेन से अलग होने की मांग रखी. यह जनमत संग्रह 1 अक्टूबर को करवाया गया था, जिसे स्पेन ने अवैध बताया है. प्रधानमंत्री मारियानो रहोई ने कहा है कि जनमत संग्रह हुआ ही नहीं है. स्पेन में साल 2015 के चुनाव में कैटेलोनिया अलगाववादियों को जीत मिली थी. इस चुनाव के दौरान ही इन्होंने कैटेलोनिया को आजाद कराने के लिए जनमत संग्रह कराने का वादा किया था. साल 1977 में तानाशाही से उबरने के बाद से यह स्पेन में सबसे बड़ा राजनीतिक संकट माना जा रहा था ।
विश्व राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह देखना दिलचस्प होगा। कैटालोनिया के अलग और स्वाधीन होने के बाद अभी तक दुनिया के बड़े देशों, अमेरिका, कैनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय यूनियन ने मान्यता नहीं दी है ।
कैटालोनिया की धर्मिक स्थिति इस प्रकार है ।
कैथोलिक चर्च - 52.4%
नास्तिकवाद - 18.2%)
अज्ञेयवाद ( Agnosticism ) - 12%
इस्लाम - 7.3%
प्रोटेस्टेंट - 2.5%
अन्य धार्मिक विश्वास - 2.3%
बौद्ध धर्म - 1.3%
रूढ़िवादी चर्च ( Orthodox Church - 1.2%
जेहोवा को मानने वाले ( Jehovah's Witnesses ) - 0.4℅
जिन्हें अपना धर्म नहीं पता है - 2.4%
इस हलचल पर मुकेश असीम की फेसबुक पर लिखा गया यह अंश यह अंश पढ़ें।
" कैटालोनिया की आजादी की ऐलान
कुछ साल के गंभीर आर्थिक संकट ने ही यूरोप में जनतंत्र और समानता की कलई पूरी तरह खोल दी है| पूंजीवाद के असमाधेय संकट के असर में अर्थव्यवस्था के इलाकाई, भाषाई फर्क सामने आ गए हैं और पूंजीवाद विरोधी शक्तियों की कमजोरी के कारण यह असंतोष अब पूरे यूरोप में राष्ट्रीयताओं के दबे पड़े द्वंद्वों, टकरावों को तेजी से उभार रहा है - स्पेन के साथ कैटालोनिया, ब्रिटेन के साथ स्कॉटलैंड/आयरलैंड/वेल्स, इटली में लोम्बार्डी/वेनेटिआ, बेल्जियम में फ्लेमिश, फ़्रांस/स्पेन में बास्क, कनाडा में क्यूबेक, अमेरिका में उत्तर-दक्षिण-मिड वेस्ट पहले ही खबरों में हैं पर दूसरे देशों में भी ऐसी ही स्थितियां जल्दी ही उभार ले सकती हैं| इन सभी के मूल में शिकायतें आर्थिक हैं - संसाधनों का बंटवारा, क्षेत्रीय विकास की समस्याएं, आदि - जो पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था के असमतल / अव्यवस्थित विकास का नतीजा हैं|
साथ ही जनतंत्र की रक्षा, जनता की इच्छा के सम्मान और मानवाधिकारों के रक्षक अमेरिका-यूरोप के पूंजीवादी देशों का ढोंग-कपट भी नग्न रूप में प्रस्तुत हो रहा है - अब जनता द्वारा चुनी हुई सरकार की बात कोई नहीं कर रहा, संसद-चुनाव-प्रतिनिधित्व सबको पुलिस-फ़ौज के बूटों तले कुचलने से जनतंत्र को कोई खतरा इन्हें नजर नहीं आ रहा! जिसके लिए ये देश दुनिया भर के गरीब मुल्कों में बम बरसाते रहे, करोड़ों का क़त्ल किया अब उस पर किसी जनतंत्र-मानवाधिकार प्रेमी को कोई ऐतराज नहीं! "
© विजय शंकर सिंह
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