टाइम्स ऑफ इंडिया के नियमित पाठक रोज़ सुबह अखबार के फलक पहले पन्ने पर, एक अधेड़ व्यक्ति की ढीली ढाली चारखाने की कोट और धोती पहने हुये कार्टून को कभी नहीं भूल पाएंगे । यह अल्प केश वाला व्यक्ति हमारे आप के जीवन मे दैनंदिन आने वाली समस्याओं से रूबरू हो कर सुबह की चाय के साथ गुदगुदा जाता है । यह व्यक्ति महान कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण द्वारा गढ़ा गया चरित्र द कॉमन मैन था । यह लक्ष्मण का हमसफ़र था, उनका हमसाया था, और जब वे नहीं रहे तो यह भी अतीत के पन्नों में जा कर सो गया । आधी सदी तक इस किरदार ने जनता की भावनाओं, अपेक्षाओं, उपेक्षाओं, दुख और ज़िन्दगी की विसंगतियों को अभिव्यक्त किया है । यह कॉमन मैन का जन्म 1951 में हुआ था । और वह अपनी बात नहीं, you said it , तुमने कहा था, कहता था । गौर से कार्टून देखें तो, यह आदमी मौन भाव से सब कुछ देखता है और उसे महसूस करता है । नृतत्वशास्त्री ( anthropologist ) ऋतु गैरोला खंडूरी ने इस किरदार पर टिप्पणी करते हुये कहा है कि,
" Claid in a dhoti and a plaid jacket the puzzled common man is no dupe , his sharp observations miss no detail of the political circus. "
( Ritu Gairola Khanduri, Picturing India : Nation , Development and the common man - Visual anthropology . Page. 303 - 323 )
लक्ष्मण ने जब टाइम्स ऑफ इंडिया में कार्टून बनाना शुरू किया तो उन्होंने अन्य चरित्रों को भी गढ़ा । पर टाइम्स ऑफ इंडिया का यह कॉमन मैन सबसे अधिक लोकप्रिय हुआ । भारत सरकार के डाक तार विभाग ने 1988 में जब टाइम्स ऑफ इंडिया की डेढ़ सौवीं जयंती मनायी गयी तो इस कॉमन मैन के ऊपर एक डाक टिकट जारी किया । जब एयर डेक्कन की कम बजट की हवाई सेवा शुरू हुयी तो यह उसका एक प्रतीक लोगो भी बना । कॉमन मैन की लोकप्रियता का यह आलम है कि पुणे के सिम्बायोसिस संस्थान के भवन विश्वभवन के सामने 8 फ़ीट ऊंची कांसे की एक प्रतिमा बनायी गयी है । यह प्रतिमा प्रसिद्ध मूर्तिकार सुरेश संकल्प ने बनायी है ।
इसी कॉमन मैन को जन जन तक अपने कार्टून के माध्यम से पहुंचाने वाले आरके लक्ष्मण का जन्म मैसूर में सन् 1921 में 24 में हुआ था । उनके पिता प्रधानाचार्य थे और लक्ष्मण उनकी छः सन्तानों में सबसे छोटे थे। उनके एक बड़े भाई आरके नारायणन अंग्रेज़ी के प्रसिध्द उपन्यासकार थे । लक्ष्मण का प्रारम्भिक कार्य स्वराज्य और ब्लिट्ज़ नामक पत्रिकाओं सहित समाचार पत्रों में रहा। उन्होंने मैसूर महाराजा महाविद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपने बड़े भाई आर॰के॰ नारायण कि कहानियों को द हिन्दू में चित्रित करना आरम्भ कर दिया तथा स्थानीय तथा स्वतंत्र के लिए राजनीतिक कार्टून बनाना आरम्भ कर दिया। लक्ष्मण कन्नड़ हास्य पत्रिका कोरवंजी में भी कार्टून बनाने का कार्य किया। यह पत्रिका १९४२ में डॉ॰ एम॰ शिवरम स्थापित की थी, इस पत्रिका के संस्थापक एलोपैथिक चिकित्सक थे तथा बैंगलोर के राजसी क्षेत्र में रहते थे। उन्होंने यह मासिक पत्रिका विनोदी, व्यंग्य लेख और कार्टून के लिए यह समर्पित की। शिवरम अपने आप में प्रख्यात कन्नड हास्य रस लेखक थे। उन्होंने लक्ष्मण को भी प्रोत्साहित किया।
लक्ष्मण ने मद्रास के जैमिनी स्टूडियोज में ग्रीष्मकालीन रोजगार आरम्भ कर दिया। उनका प्रथम पूर्णकालिक व्यवसाय मुम्बई की द फ्री प्रेस जर्नल के राजनीतिक कार्टूनकार के रूप में की थी। इस पत्रिका में बाल ठाकरे उनके साथी काटूनकार थे। लक्ष्मण ने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, बॉम्बे से जुड़ गये तथा उसमें लगभग पचास वर्षों तक कार्य किया। उनका "कॉमन मैन" चरित्र प्रजातंत्र के साक्षी के रूप में चित्रित हुआ ।
लक्ष्मन का पहला विवाह भारतनाट्यम नर्तकी और फ़िल्म अभिनेत्री कुमारी कमला लक्ष्मण के साथ हुआ। कुमारी कमला ने अपना फ़िल्मी कैरियर बाल-कलाकार के रूप में आरम्भ किया था। उनके तलाक के समय तक उनकी कोई सन्तान नहीं थी तथा लक्ष्मण ने दूसरा विवाह कर लिया। उनकी दुसरी पत्नी का नाम भी कमला लक्ष्मण ही था। वो एक लेखिका तथा बाल-पुस्तक लेखिका थीं। लक्ष्मण ने "द स्टार आई नेवर मेट" नामक कार्टून शृंखला और फ़िल्म पत्रिका फिल्मफेयर में अपनी दूसरी पत्नी कमला लक्ष्मण का "द स्टार आई ऑनली मेट" शीर्षक से कार्टून चित्रित किया। दम्पति के एक पुत्र हुआ। सितम्बर 2003 में, उनके बायें भाग को लकवा मार गय। उन्होंने आंशिक रूप से इसके प्रभावों से मुक्ति प्राप्त कर लिया। २० जून २०१० की शाम को लक्ष्मण को मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ति करवाया गया और बाद में पुणे स्थानान्तरित किया गया। अक्टूबर 2013 में लक्ष्मण ने पुणे में अपना 91वाँ जन्मदिन मनाया।
उन्हें बी डी गोयनका पुरस्कार - दि इन्डियन एक्सप्रेस द्वारा, दुर्गा रतन स्वर्ण पदक - हिन्दुस्तान टाइम्स द्वारा, पद्म विभूषण , पद्म भूषण ,रमन मैग्सेसे पुरस्कार 1984, पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया है ।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं,
दि एलोक्वोयेन्ट ब्रश, द बेस्ट ऑफ लक्षमण सीरीज, होटल रिवीयेरा, द मेसेंजर, सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया, द टनल ऑफ टाईम (आत्मकथा), मल्टी-मीडिया ।
आज 24 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर उनका विनम्र स्मरण ।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं,
दि एलोक्वोयेन्ट ब्रश, द बेस्ट ऑफ लक्षमण सीरीज, होटल रिवीयेरा, द मेसेंजर, सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया, द टनल ऑफ टाईम (आत्मकथा), मल्टी-मीडिया ।
आज 24 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर उनका विनम्र स्मरण ।
© विजय शंकर सिंह
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