Friday, 5 August 2016

Ghalib - Alaawaa eid ke miltee hai / अलावा ईद के मिलती है - ग़ालिब / विजय शंकर सिंह



ग़ालिब - 13,
अलावा ईद के मिलती है, और दिन भी, शराब
गदा ए कूचा ए मयखाना नामुराद नहीं !! 
 
गदा - भिखारी. 

Alaawaa eid ke milatee hai, aur din bhee, sharaab, 
Gadaa e koochaa e maykhaanaa naa muraad nahin !!
-Ghalib. 

ईद के दिन के अतिरिक्त किसी अन्य दिन भी मधुशाला में शराब मिल सकती है. मधुशाला में आ कर भीख मांगने वाला भिखारी ऐसा नहीं है जो किसी भी दिन निराश जाए. मधुशाला से कोई कभी निराश नहीं जाता है. 

उर्दू शायरी में साकी, प्याला, शराब आदि के निहितार्थ भी है और ये इश्क ए हकीकी दैविक प्रेम के प्रतीक भी है. ग़ालिब ने इस शेर में उनका उपहास उड़ाया है जो सिर्फ त्योहारों पर ही दान पुण्य की औपचारिकता का निर्वाह करते हैं. ईद के अतिरिक्त अन्य दिनों में उनके घरों से निराशा ही मिलती है. यह त्यौहार उनके लिए एक आडम्बर है जो इसी अवसर पर अपनी दरियादिली दिखाते हैं. जब कि मधुशाला सदैव सबका स्वागत करती है . त्यौहार के दिन तो वह सभी को जो उसके यहाँ कुछ मांगने आते हैं पात हीे हैं और अन्य दिन भी निराश नहीं जाते . ग़ालिब वली पोशीदा और काफिर खुला के नाम से भी जाने जाते थे. उनकी शायरी ऐसे व्यंग्यों से भरी पडी है. 
-vss.


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