Saturday 14 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (5)

                   (चित्र: सिसरो)

लोकतंत्र में जनता का स्थान सर्वोपरि है। यह बात जूलियस सीज़र बखूबी जानते थे। इस कारण वह अभिजात्य छवि बनाने के बजाय जनप्रिय छवि बना रहे थे। बात यह भी थी कि सुल्ला के समय से ही उनके परिवार की ख़ास इज़्ज़त रह नहीं गयी थी।

जनता के लिए क्या किया जा सकता था? कोई उत्सव?

ईसा पूर्व 65 में सीज़र पैरवी लगवा कर एडील पद पर नियुक्त हुए, जिसका काम था उत्सव कराना। उन्होंने रोम में ऐसा भव्य महोत्सव कराया जो पहले कभी देखा-सुना नहीं गया था। उन्होंने तीन सौ से अधिक ग्लैडियेटरों को चाँदी के कवच पहना कर तमाम शेरों, और खूँखार जानवरों के बीच उतार दिया। 

कुछ रूढ़िवादियों ने इसका विरोध किया, कि इससे पहले ग्लैडिएटर स्पार्टाकस विद्रोह कर चुका है, अब यह खेल बंद हो। मगर सीज़र ने सिनेटरों को घूस खिला कर और ख़ास कर क्रैसस की चापलूसी कर आयोजन करवा दिया। सिसरो जैसे दार्शनिक भी इस खेल में आनंद लेने लगे। वेश्याओं, नर्तकियों और भरपूर शराब की व्यवस्था कर, सीज़र जनता और नेता दोनों का दिल जीत रहे थे। यह और बात है कि इस फेर में सीज़र का सर्वस्व लुट गया, और उन पर साहूकारों का कर्ज चढ़ गया।

उस समय पोम्पे महान यूनान में राजा मित्रिडेटस से युद्ध लड़ने गए थे। उनकी ग़ैरमौजूदगी में क्रैसस का ओहदा बढ़ गया था। जूलियस सीज़र उनकी चमचागिरी करते, और जब भी कोई क़र्ज़दार टोकता तो कहते, “रोम के सबसे धनी आदमी मेरे साथ हैं। आप लोग घबराएँ नहीं, मेरे पास धन रखना भविष्य के लिए आपका निवेश ही है।”

उन दिनों कैटीलिना नामक एक शातिर व्यक्ति प्रधानमंत्री बनने के प्रयास में थे। क्रैसस भी उनके समर्थन में थे। कैटीलिना तानाशाह सुल्ला के लठैत जैसे रहे थे, जो किसी को भी मरवाने में उस्ताद थे। मिसाल के तौर पर उनकी एक प्रेमिका ने कहा कि उनका बेटा इस संबंध के लिए नहीं मान रहा, तो बेटे को ही मरवा दिया। 

कैटीलिना के प्रतिद्वंद्वी थे सिसरो। सिसरो शानदार वक्ता थे, जिनसे उनकी कोई तुलना नहीं थी। उन्होंने अपने गुर्गे सिसरो को मारने के लिए भेज दिए। जैसे-तैसे सिसरो बच कर भागे, और संसद में शिकायत की। मगर पक्के सबूत के अभाव में शिकायत खारिज हो गयी।

सिसरो के पास कैटीलिना जितनी शक्ति तो नहीं थी, बुद्धि बहुत थी। उन्हें पता लगा कि कैटीलिना अपनी सेना लेकर रोम की गद्दी पर ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा करना चाह रहे हैं। इसके लिए गॉल कबीलों से साँठ-गाँठ कर रहे हैं। सिसरो ने उन कबीलों में जुगत लगायी, और कहा कि कैटीलिना से लिखित करार कर लो कि जीत के बाद क्या-क्या मिलेगा। वह करारनामा एक बार मुझे दिखा लेना। जैसे ही करारनामा उनके हाथ आया, वह लेकर संसद चले गए। अब पक्का सबूत था, और उस पर सिसरो जैसे वक्ता की दलीलें। कैटीलिना और उसकी सेना को खदेड़ कर मार डाला गया।

वहीं दूसरी तरफ़ क्रैसस घबराए हुए थे कि पोम्पे महान जब युद्ध से लौटेंगे तो वह तानाशाह बन जाएँगे और उन्हें मार डालेंगे। क्रैसस इस आशंका से इतना डर गए कि वह रोम छोड़ कर भाग गए। हालाँकि उनकी आशंका निराधार थी। तानाशाही तो क्या, पोम्पे ने लौट कर अपनी सेना ही त्याग दी। वह एक हज़ार किले, नौ सौ नगर, आठ सौ जहाज़ और बीस हज़ार टैलेंट (मुद्रा) सोना जीत कर लाए थे। सब सरकारी ख़ज़ाना में डाल दिया। 

उन्होंने सिर्फ़ यह माँग रखी कि उनके सैनिकों को खेती-बाड़ी के लिए ज़मीन दे दी जाए। मगर भ्रष्ट नेताओं ने उनकी माँग ठुकरा दी।

पोम्पे ने सिसरो से कहा, “मैंने रोम के लिए कितना कुछ किया, और रोम ने मेरी छोटी सी माँग नहीं मानी। इससे बेहतर तो यही होता कि मैं सेना लेकर रोम पर चढ़ाई कर देता।”

जहाँ ये लोग अपनी ईमानदारी की मिसाल दे रहे थे, जूलियस सीज़र फिर से उधारी-खाता से सांसदों को घूस खिला रहे थे।

वह अपनी माँ को कह कर गए, “मैं रोम का पोन्टिफस मैक्सिमस (सबसे ऊँची रोमन धार्मिक पदवी) बनने जा रहा हूँ। इसे पाने के लिए मैंने इतना कर्ज लिया है कि अगर नहीं बन पाया, तो साहूकार मुझे मार डालेंगे।”

जूलियस सीज़र ने यह पद हासिल किया, और जनता की आस्था के केंद्र बन गए। इस पद पर आने के बाद उन्होंने तीन लोगों को आमंत्रित किया। पहले तो उनके रईस दोस्त क्रैसस थे। दूसरे थे पोम्पे महान, जो सिनेट से नाराज़ थे। तीसरे थे सिसरो, जिनकी विद्वता की तूती पूरे रोम में बोलती थी। 

सीज़र ने कहा, “आप में एक के पास धन है, दूसरे के पास बल है, तीसरे के पास बुद्धि है। आप तीनों अगर मुझसे मिल जाएँ, तो हमारे पास रोम की सत्ता होगी। मेरे पास वह चीजें नहीं, जो आपके पास है। किंतु उससे भी बड़ी चीज है। मेरे पास धर्म है।”
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (4)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/4.html 
#vss  

1 comment:

  1. नाटक जूलियस सीज़र में भी इतनी गहनता नहीं मिल सकती, जितना इस लेख को पढ़कर प्राप्त होती है।

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